patarkar mann jab bhi kahin ghumkaree par nikal padta hai to kuch kamaal ho jata hai
शुक्रवार, फ़रवरी 24, 2012
स्मृति शेष: अध्यात्म और शास्त्रीय संगीत को समर्पित रहे दिवंगत सोढी
मंगलवार, फ़रवरी 21, 2012
पांच लाख की आय वालों को अलग से रिटर्न भरने की जरूरत नहीं
अब एक साल में पांच लाख रुपए तक की आय वालों को अलग से आयकर रिटर्न भरने की जरूरत नहीं होगी। मंगलवार को इस आशय की अधिसूचना वित्त मंत्रालय ने जारी कर दी। यह नियम कराधान वर्ष 2012-13 से लागू होगा।
इससे 85 लाख से ज्यादा लोग लाभान्वित होंगे। जिन्हें वेतन अथवा वेतन और बैंक में जमा राशि से ब्याज के रूप में प्रतिवर्ष 10 हजार रुपए तक मिलते हों। ये दोनों साल भर में कुल मिला कर पांच लाख रुपए से ज्यादा नहीं होने चाहिएं। अलग से आयकर रिटर्न भरने की छूट तभी मिलेगी जब नियोक्ता द्वारा दिया गया कर कटौती वाला फॉर्म 16 होगा। हां, आयकर रिफंड लेना हो तो अलग से भी रिटर्न भरना पड़ेगा। इस अधिसूचना के जारी होने से पहले तक आयकर कानून 1961 के तहत सभी वेतनभोगियों को अलग से भी आयकर रिटर्न भरना पड़ता था। जिनकी आय वेतन के अलावा कहीं और से नहीं है उन्हें एक ही जानकारी दो अलग अलग रिटर्न में भरनी पड़ती थी।
रविवार, फ़रवरी 12, 2012
बे सहारा बीसीसीआई का यह है सच
पिछले दिनों सहारा समूह ने बीसीसीआई के साथ 31 दिसंबर 2013 तक के प्रायोजन करार से कदम खींचने की ਘਾषणा कर दी। सब जानते हैं कि खेल प्रायोजन में सहारा समूह हमेशा बढ़-चढक़र हिस्सा लेता रहा है, पर आखिर ऐसा क्या हुआ कि उसी सहारा ने टीम इंडिया से अपने भावनात्मक रिश्ते एक झटके में तोड़ दिए। वैसे यह भी सच है कि सहारा प्रमुख सुब्रतो राय एक खेलप्रेमी के अलावा बिजनेस के क्षेत्र के भी मंजे हुए खिलाड़ी हैं। उनके इसी पक्ष को ध्यान में रखकर क्रिकेट के सूत्रों से प्रा:त जानकारी के अनुसार तस्वीर का दूसरा पहलू प्रस्तुत है-
क्रिकेट बोर्ड के मुनाफा दर में गिरावटबीसीसीआई की २०११ की वार्षिक रिपोर्ट (बोर्ड की ऑफिशियल वेबसाइट पर उपलब्ध) में चौंकाने वाले आंकड़े मिले हैं। पता चला है कि बोर्ड के मुनाफा की दर लगातार गिर रही है। पिछले साल बीसीसीआई (टीम इंडिया, रणजी आदि) की ग्रॉस इनकम (सकल आय) 805.04 करोड़ रुपए रही। लेकिन इसी अवधि में बोर्ड का कुल खर्च 782.37 करोड़ रुपए आया। जाहिर है बोर्ड को केवल 22.67 करोड़ रुपए का सर:लस (अधिशेष) हासिल हो सका। यह स्थिति किसी भी इन्वेस्टर के लिए चिंता खड़ी करने के लिए काफी है।
मगर आईपीएल लगा रहा :छलांग पर छलांग–
दूसरी तरफ आईपीएल की सकल आय 973.38 करोड़ रुपए रही और उसका कुल खर्च 854.62 करोड़ रुपए आया। यानी आईपीएल ने 118.76 करोड़ की सर:लस कमाई की। उधर, आईपीएल की ही शाखा चैंपियंस लीग, जो बहुतों की नजर में एक निरर्थक टूर्नामेंट है, ने भी 247.97 करोड़ रुपए की सकल आय की। उसके आयोजन में कुल 199.68 करोड़ रुपए खर्च हुए और सर:लस इनकम 48.29 करोड़ रुपए रही।
कुल मुनाफे में बोर्ड के हाथ 22.67 करोड़ ही
तो आईपीएल और चैंपियंस लीग को जोडक़र 189.72 करोड़ रुपए के संयुक्त अधिशेष में बीसीसीआई (टीम इंडिया, रणजी आदि) का योगदान सिर्फ 22.67 करोड़ रुपए का ही आता है। 167.05 करोड़ रुपए का शेष सर:लस टी-20 रुट से आया। साफ है कि बीसीसीआई का अनुमानित मुनाफा गिर रहा है।
...और अब 2,200 करोड़ का झटका
सहारा के हाथ खींच लेने से बीसीसीआई 2,200 करोड़ रुपए से अधिक (1700 करोड़ रुपए फ्रेंचाइजी फी के साथ ही ५३४ करोड़ रुपए की टीम इंडिया स्पांसरशिप फी) के झटके के फेर में फंसा है। चिंता की बात यह है कि आईपीएल के राजस्व पर भी इस :तलाक– का असर दिखाई देने की आशंका है। 2010 में बोर्ड ने पुणे वॉरियर्स और कोच्चि टस्कर्स की फ्रेंचाइजी बेचने के एवज में 323 करोड़ की इनकम फीस वसूली थी। इस नुकसान के अलावा आईपीएल के मैच भी अब 76 से 59 ही रह जाएंगे। यानी दर्शकों से होने वाली इनकम पर भी बट्टा।
सकल आय कुल खर्च सर:लस
बीसीसीआई
(टीम इंडिया-रणजी आदि) 805.04 करोड़ 782.37करोड़ 22.67 करोड़
आईपीएल 973.38 करोड़ 854.62 करोड़ 118.76 करोड़
चैंपियंस लीग 247.97 करोड़ 199.68 करोड़ 48.29 करोड़
(टी-20) (बीसीसीआई की २०११ की वार्षिक रिपोर्ट, रुपए मे)
विश्वमोहन मिश्रा.
रविवार, फ़रवरी 05, 2012
आत्महत्या की राह चले
गुरुवार, फ़रवरी 02, 2012
२ज़ी गाड गिफट
2जी घोटाले की गाज उपभोक्ताओं पर भी गिरेगी। १२२ मोबाइल कंपनियों के लाइसेंस रद्द कर दिए गए हैं। कंपनियों को चार माह में दोबारा लाइसेंस लेने के लिए बोली में शामिल होना है। सरकार भी इस बार पिछली बार सस्ते में दिए गए इन लाइसेंसों से ज्यादा पैसा वसूलकर अपनी स्थिति संभालने की कोशिश करेगी। पैसा जितना ज्यादा खर्च होगा, वह कंपनियां रिकवर भी जनता से ही करेंगी और इसी कारण कंपनियों के टैरिफ व प्लान महंगे हो जाएंगे और सुविधाओं में भी कटौती हो सकती है। मोबाइल कंपनियों के खर्च बढऩे से कॉल दरें महंगी हो सकती हैं। कंपनियां अगर अपने लाइसेंस नहीं बचा पाई तो लोगों को अपना नैटवर्क व घ्लान बदलने पड़ेंगे। लोगों को मिल रही सस्ती सुविधाएं कट जाएंगी। एक पैसा कॉल का घ्लान खत्म ही हो सकता है। यह साफ नहीं है कि रद्द हुए लाइसेंस के बदले नए आवंटन की जो प्रक्रिया होगी उसमें इन कंपनियों को शामिल किया जाएगा या नहीं। स्पैक्ट्रम का पूरा इस्तेमाल होगा तो कॉल ड्राप की समस्या खत्म हो जाएगी। नेटवर्क क्वालिटी बेहतर हो सकती है। लाइनों में आने वाली बाधा खत्म हो जाएगी।
बुधवार, फ़रवरी 01, 2012
शाबाश टीम इंडिया, आपने वादा निभाया,
गजब रहा आज का मैच, जैसाकि अनुमान था नतीजे का, वही हुआ।
माही वादा करके पलटता नहीं है, यह उसने फिर साबित कर दिया। जब हम इंगलैंड के बाद ऑस्टे्रलिया की धरती पर टेस्ट, वन डे में जबरदस्त प्रदर्शन कर चुके हैं, फिर २०-२० में कैसे पीछे रहते हैं।
भई आपुण तो टीम इंडिया का जबरदस्त फैन है, जैसे पाक का चाचा, वैसे आपुण,। तुम ऐसे ही हारते रहो धौनी, हम तुम्हारे साथ हैं।
कोई बात नहीं आईपीएल में खेलो, पैसा तो वहीं से आएगा। जलवा, जज्बा और जुनून ऐसी ही कायम रखना। हमें बिलकुल भी बुरा नहीं लगेगा। ऑस्टे्रेलिया से लौटेगो, तो भी अपण तुमहारा जबरदस्त इस्तकबाल करेगा। हमें आप से ही तो हैं ऐसी उम्मीदें।
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