गुरुवार, अप्रैल 25, 2019

जेल में हाथ- पैर बांधकर पीटते थे पाकिस्तानी फौजी, दो दिन भूखा तड़पाने के बाद मिलती थी डेढ़ रोटी



जो बाेलता उसकी आंखें बांध कर बंदूक की बट से करते थे बर्बरता

1965 की लड़ाई में सीज फायर के बाद पाक सैनिकों ने बंदी बना लिया था दीपालपुर का रामस्वरूप, तीन महीने बाद हुई थी वतन वापसी

बंदूक के बट से छाती की टूटी हड्‌डी दिखाते आंतिल
परिवार ने मान लिया था कि लड़ाई में शहीद हो गया, सरकार बता रही थी लापता, तीन महीने बाद घर आया तो  पिता ने पूरे गांव में बांटे थे लड्‌डू



दीपालपुर गांव के 78 वर्षीय रामस्वरूप आंतिल के कंधो में भले ही आज युवाओं जैसा बल नहीं रहा हो, लेकिन आज भी जब बॉर्डर पर गोलियां चलने की खबर टीवी पर चलती है तो पूरी रात सो नहीं पाता। दिल में हलचल पैदा हो जाती है कि सरकार इजाजत दे तो बॉर्डर पर फिर से देश के लिए 1965 वाली हिम्मत व बहादुरी से लड़ाई लड़े। जब विंग कमांडर अभिनंदन को पाकिस्तानी सेना ने बंदी बनाया तो रामस्वरूप के दिमाग में पाकिस्तान की जेल में  तीन महीने तक मिली दर्दनाक यातनाएं ताजा हो गई। रामस्वरूप आंतिल भी 1965 की लड़ाई में पाकिस्तानी सेना ने बंदी बना लिया था। वे 1978 में रिटायर हुए। रामस्वरूप आंतिल ने पाकिस्तान की जेल में मिले तीन महीने का दर्द सांझा किया।

भारतीय सेना की थर्ड बटालियन के सिपाही रामस्वरूप आंतिल ने बताया कि वह 1963 में सेना में भर्ती हुआ था। राष्ट्रपति भवन से उन्हें लड़ाई के लिए भेजा गया था। उन्होंने दुश्मन को हरा दिया था। भारत- पाकिस्तान की 1965 की लड़ाई समाप्त हो गई थी। सीज फायर घोषित हो गया था। हम युद्ध जीत चुके थे। दो सौ सैनिक राजस्थान के जैसलमेर बॉर्डर पर सादेवाला पोस्ट से घर आने की तैयारी कर रहे थे। अचानक से पाकिस्तान ने सीज फायर का उल्लघंन कर हमला कर दिया। हम सभी 200 सैनिक भी 40 किलोमीटर तक पाकिस्तान की सीमा में घुस गए। हमारी टुकड़ी पाकिस्तान की सीमा के अंदर थी, इस कारण दुश्मन ने चारों तरफ से घेर लिया। हमारे बहुत से सैनिक मार दिए गए। मैं अपने शहीद जवानों के शवों के बीच में लेट गया। पाकिस्तानी सैनिक जब शवों की जांच कर रहे थे तो इस दौरान उसे जिंदा पकड़ लिया गया। तीन दिन तक रहीमान खान पोस्ट पर रखा गया और उसके बाद रावलपिंडी जेल में भेज दिया गया। जेल में उनके साथ पशुओं जैसा बर्ताव किया।

हाथ- पैर बांधकर िदन में तीन बार पीटते थे पाक सैनिक, आंखों पर पट्‌टी बांधकर छाती में मारते थे बंदूक के बट

पाकिस्तानी जेल में मिली प्रताड़ना सुनाते हुए रामस्वरूप आंतिल भावुक हो गए। आंखों से आंसू टकपने लगे। पाकिस्तानी जेल में बंद अपने साथियों के साथ हुई बर्बरता की याद एक फिर ताजा हो गई। रामस्वरूप ने बताया कि हमारे सैनिकों को हाथ- पैर बांधकर दिन में तीन बार पीटा जाता था। भूखा- प्यासा रखा जाता था। दो दिन में डेढ़ रोटी खाने को दी जाती थी। पाक सैनिक कहते थे कि तुम्हारे लिए हमारे पास केवल नौ अंश आट्‌टा ही आता है। जब कोई और रोटी मांगता तो उसकी आंखों पर पट्‌टी बांधकर  छाती में बंदूक की बट मारी जाती।

पाक सैनिकों ने जी भरकर पीटा, लेकिन सेना की एक भी जानकारी नहीं दी

रमस्वरूप बताते हैं कि उन्हें पाक के सैनिकों ने जी भरकर पीटा, लेकिन उन्होंने अपनी सेना व सेना के मिशन की कोई जानकारी उन्हें नहीं दी। जब भी पाक सैनिक कुछ पूछते तो उन्हें गुमराह करने के लिए झूठ बोलता कि मैं तो अभी भर्ती हुआ था और ट्रेनिंग से ही सीधे लड़ाई में भेज दिया। भर्ती हुए भी तीन महीने नहीं हुए हैं। पाक सैनिक जब थक जाते थे तो उन्हें अधमरी हालत में छोड़कर चले जाते थे। वे रात भर तड़पते रहते थे।

तीन महीने तक विधवा बनकर रही पत्नी हरनंदी, दोनों नवजात बच्चों की भी हो गई मौत

रामस्वरूप आंतिल पाक की जेल में बंद था। परिवार ने उसे शहीद मान लिया। सरकार के पास भी काेई पुख्ता सूचना नहीं थी। इसलिए सरकार लापता ही मान रही थी। पिता श्रीलाल आंतिल ने भी बेटे को मृत समझकर सभी रस्म करा दी। पत्नी हरनंदी ने भी विधवा का जीवन जीना शुरू कर दिया। जब रामस्वरूप पाकिस्तानी सेना ने बंधक बनाया था तो वह दो बच्चों का पिता था। तीन महीने बाद जब घर आया तो बच्चों की भी बीमारी की वजह से मौत हो चुकी थी। परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट चुका था। हरनंदी को मायके वाले अपने साथ ले जा रहे थे, लेकिन उसने जाने से इंकार कर दिया और पूरा जीवन अपने पति की याद में ही बीताने का कठोर संकल्प लिया। तीन महीने बाद अब रामस्वरूप घर आया तो परिवार व गांव में खुशी छा गई। पिता श्रीलाल ने ताे पूरे गांव में लड्‌डू बांटे।

मारुति अगले साल से बंद कर देगी डीजल कारें

नयी दिल्ली। मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड का मुनाफा वित्त वर्ष 2018-19 में समग्र आधार पर 2.92 प्रतिशत घटकर 7,650.6 करोड़ रुपये रह गया। वित्त वर्ष 2017-18 में यह 7,880.7 करोड़ रुपये रहा था। कंपनी के निदेशक मंडल की गुरुवार को यहाँ हुई बैठक में तिमाही तथा वार्षिक नतीजों को मंजूरी दी गयी। उसकी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है, “प्रतिकूल विनिमय दर और कच्चे माल की कीमतों में तेजी के कारण बीता वर्ष काफी चुनौतीपूर्ण रहा। इस दौरान हमने गुजरात के दूसरे संयंत्र में भी उत्पादन शुरू किया जिससे मूल्यह्रास में ज्यादा नुकसान हुआ है। वर्ष के दौरान कुल मिलाकर बाजार सुस्त रहा जिससे बिक्री बढ़ाने के लिए प्रोमोशन पर ज्यादा खर्च करना पड़ा। निदेशक मंडल ने पूरे वित्त वर्ष के लिए पाँच रुपये अंकित मूल्य के प्रत्येक शेयर पर 80 रुपये के लाभांश को भी मंजूरी दी। पिछले वर्ष भी उसने इतना ही लाभांश दिया था। 
 नए प्रदूषण मानकों का असर छोटी कारों पर ज्यादा होगा। यूरोप में भी यूरो-6 मानक लागू होने के बाद डीजल कारों की ग्रोथ कम हुई है।
अभी मारुति की विटारा ब्रेजा और एस-क्रॉस सिर्फ डीजल वर्जन में आती हैं। स्विफ्ट, बलेनो, डिजायर, सियाज और अर्टिगा के पेट्रोल और डीजल दोनों वर्जन हैं। कंपनी हल्के कॉमर्शियल वाहन सुपर कैरी का डीजल वर्जन भी बनाना बंद करेगी। यह सिर्फ पेट्रोल या सीएनजी वर्जन में मिलेगी। पेट्रोल-डीजल कारों में अंतर बढ़ेगा: मारुति के सीनियर ईडी सीवी रमन ने पिछले दिनों बताया था कि अभी पेट्रोल और डीजल कारों के दाम में अंतर एक लाख रुपए है। बीएस-6 लागू होने के बाद यह अंतर 2.5 लाख रुपए हो जाएगा। छोटी कार खरीदने वालों के लिए यह रकम काफी ज्यादा है। अप्रैल 2020 से ही बीएस-6 प्रदूषण मानक लागू होंगे। इस मानक के हिसाब से इंजन में बदलाव करने के कारण कार और यूटिलिटी वाहनों के दाम 10-25% तक बढ़ जाएंगे। शुरुआती अनुमान के मुताबिक पेट्रोल कारों के दाम 25,000-60,000 रुपए बढ़ेंगे। डीजल कारों के दाम एक से 2.5 लाख रुपए तक बढ़ सकते हैं। भार्गव ने कहा कि नए प्रदूषण मानकों का असर छोटी कारों पर ज्यादा होगा। यूरोप में भी यूरो-6 मानक लागू होने के बाद डीजल कारों की ग्रोथ कम हुई है।
अभी मारुति की विटारा ब्रेजा और एस-क्रॉस सिर्फ डीजल वर्जन में आती हैं। स्विफ्ट, बलेनो, डिजायर, सियाज और अर्टिगा के पेट्रोल और डीजल दोनों वर्जन हैं। कंपनी हल्के कॉमर्शियल वाहन सुपर कैरी का डीजल वर्जन भी बनाना बंद करेगी।कुल कार बिक्री में डीजल का हिस्सा सिर्फ 35%: बिक्री का ट्रेंड भी बदल रहा है। लोग डीजल के बजाय पेट्रोल गाड़ियां ज्यादा पसंद कर रहे हैं। 2016 में कुल कार बिक्री में 40% डीजल वाली थीं। 2018 में यह 35% रह गई।छोटी डीजल कारें ज्यादा प्रभावित होंगी
बीएस-6 के लिए पेट्रोल गाड़ियों में मामूली बदलाव करना होगा। लेकिन डीजल गाड़ियों में नई टेक्नोलॉजी की जरूरत होगी। छोटी डीजल कारें ज्यादा प्रभावित होंगी, क्योंकि 6 लाख की कार के दाम 50,000 से 1.5 लाख रुपए तक बढ़ जाएंगे। हर साल करीब 18 लाख छोटी कारें बिकती हैं।

गुरुवार, अप्रैल 04, 2019

‘यारा वे’ भारत पाक संबंधों को कुछ अलग अंदाज़ में दिखाने को तैयार


फिल्म में युवराज हंस, गगन कोकरी, मॉनिका गिल और रघवीर बोली मुख्य भूमिकाओं में आएंगे नज़र
हाल के कुछ सालों में फिल्मों में भारत पाक संबंधों को काफी नकारात्मक तौर पर पेश किया गया है।  हालाँकि एक फिल्म है जोकि दोनों देशों के बीच दोस्ती और प्रेम को उजागर करेगी।  ੧੯੪੦ के दशक में आधारित इस पीरियड ड्रामा यारा वे में युवराज हंस, गगन कोकरी, रघवीर बोली और मोनिका गिल मुख्य किरदारों में नज़र आएंगे।
लीड अदाकारों के अलावा इस फिल्म के अन्य स्टार कास्ट में योगराज सिंह, सरदार सोही, निर्मल ऋषि, हॉबी धालीवाल, मलकीत रॉनी, सीमा कौशल, बीएन शर्मा, गुरप्रीत कौर भंगू और राणा जंग बहादुर जैसे प्रतिभाशाली कलाकार भी मौजूद हैं। इसकी कहानी लिखी है रुपिंदर इंदरजीत ने।
गगन कोकरी, फिल्म के एक्टर ने कहा, "यारा वे एक बहुत अनोखा कांसेप्ट है और मुझे ख़ुशी है कि मैं इस फिल्म का हिस्सा हूँ।  यह एक पीरियड फिल्म है जो ऐसे समय में आधारित है जब लोग और रिश्ते बेहद पवित्र, साफ-दिल, अज़ीज़ और शर्तरहित होते थे।  हमें उम्मीद है कि हम उस समय के साथ न्याय कर पाएंगे जब भारत और पाकिस्तान के बीच प्रेम और दोस्ती थी।  लोग इस फिल्म में दर्शाये गए जज़्बातों से जुड़ाव ज़रूर महसूस करेंगे।
मॉनिका गिल, खूबसूरत अदाकारा ने भी अपने विचार साँझा करते हुए कहा, "यारा वे एक एक्टर के तौर पर शायद मेरे लिए सबसे सफल काम रहा है।  फिल्म की झलक और जज़्बात बेशक बहुत साधारण हैं पर उस समय को दिखाना बेहद मुश्किल था जिसके बारे में हमने सिर्फ अपने दादा-दादी से सुना है।  मुझे उम्मीद है कि लोग नसीबो के किरदार से जुड़ पाएंगे और ज़रूर पसंद करेंगे।
फिल्म के बारे में निर्देशक राकेश मेहता ने कहा, इस फिल्म में जज़्बात, ड्रामा, रोमांस और कॉमेडी का बेहतरीन मिश्रण है और यह भारत-पाक विभाजन के मुश्किल वक़्त में स्थापित है। भारत और पाकिस्तान के बीच हमेशा इतनी कड़वाहट नहीं थी और हमने उस समय को याद करने की कोशिश की है जब दोनों देशों के बीच भाईचारा था।  हमने उस समय को दिखाने की कोशिश की है और उम्मीद करते हैं कि यारा वे दर्शकों की अपेक्षाओं पर खरी उतरेगी।
यारा वे हमारा पहला प्रोजेक्ट है और हमने उसे सच्चाई के करीब रखने की भरपूर कोशिश की है।  मुझे राकेश मेहता जी के दृष्टिकोण और रिसर्च पर पूरा भरोसा है और सभी अदाकारों ने इस फिल्म के सेट पर शाट प्रतिशत मेहनत की है। मुझे यकीन है कि इस फिल्म को दर्शकों का प्यार ज़रूर मिलेगा और हम वादा करते हैं कि ऐसे ही कुछ अनोखे कांसेप्ट की फिल्में आगे भी रुपहले परदे पर लेकर आएंगे, बल्ली सिंह काकर, फिल्म के निर्माता ने कहा।
इस फिल्म का विश्व वितरण मुनीश साहनी के ओमजी ग्रुप ने किया है। यारा वे ੫ अप्रैल को सिनेमाघरों में रिलीज़ होगी।

यहां खाकी बदनाम :- नशा तस्करों से मोटी रकम वसूलने वाले सहायक थानेदार और सिपाही नामजद, दोनों फरार

यहां खाकी बदनाम :- नशा तस्करों से मोटी रकम वसूलने वाले सहायक थानेदार और सिपाही नामजद, दोनों फरार एसटीएफ की कार्रवाई में आरोपियों से...