बुधवार, फ़रवरी 27, 2019

समय है देश विरोधियो के चहरे से नकाब उतारने का

पुलवामा की आतंकवादी घटना के बाद से जिस प्रकार के कदम हमारी सरकार राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठा रही है उससे ना सिर्फ देश में एक सकारात्मक माहौल उत्पन्न हुआ है बल्कि इन ठोस कदमों ने  हमारे सुरक्षा बलों के मनोबल को भी ऊंचा किया है। लेकिन यह खेद का विषय है कि सरकार के जिन प्रयासों का स्वागत पूरा देश कर रहा है उनका विरोध देश की सबसे पुरानी राजनैतिक पार्टी कांग्रेस समेत जम्मू कश्मीर के स्थानीय विपक्षी दल कर रहे हैं। काश कि ये समझ पाते  कि इनका गैर जिम्मेदाराना और सरकार विरोधी आचरण देश विरोध की सीमा तक जा पहुंचा है । क्योंकि अपने राजनैतिक हितों के चलते इन लोगों ने कश्मीर समस्या को और उलझाने का ही  काम किया है।
 पाक परस्ती के चलते जो लोग यह कहते हैं कि युद्ध किसी समस्या का विकल्प नहीं होता उन्हें यह समझ लेना चाहिए कि युद्ध किसी समस्या का पहला विकल्प नहीं होता लेकिन अंतिम उपाय और एकमात्र समाधान अवश्य होता है। श्री कृष्ण ने भी कुरुक्षेत्र की भूमि पर गीता का ज्ञान देकर महाभारत के युद्ध को धर्म सम्मत बताया था। और जो लोग यह कहते हैं कि  1947 से लेकर आजतक कश्मीर के कारण भारत और पाकिस्तान में कई युद्ध हो चुके हैं तो क्या हुआ? तो उनके लिए यह जानना आवश्यक है कि हर युद्ध में हमारी सैन्य विजय हुई लेकिन राजनैतिक हार। हर युद्ध में हम अपनी सैन्य क्षमता के बल पर  किसी न किसी नतीजे पर पहुंचने के करीब होते थे लेकिन हमारे राजनैतिक नेतृत्व हमें किसी नतीजे पर पहुंचा नहीं पाए। यह वाकई में शर्म की बात है कि हर बार हमारी सेनाओं द्वारा पाकिस्तान को कड़ी शिकस्त  देने के बावजूद  हमारी सरकारें कश्मीर समस्या का हल नहीं निकाल पाईं। हर बार दुश्मन से सैन्य मोर्चे पर विजय प्राप्त कर लेने के बाद भी हम राजनैतिक और कूटनीतिक मोर्चे पर विफल रहे,  1948 में जब  हमारी सेनाएँ पाक फौज को लगातार पीछे खदेड़ने में कामयाब होती जा रही थीं तो कश्मीर मामले को संयुक्तराष्ट्र क्यों ले जाया गया? क्यों 1965 में हमें भारतीय सेना द्वारा पाक का जीता हुआ भू भाग वापस करना पड़ा। 1971 में जब पाक ने अपनी पराजय स्वीकार करी थी और भारतीय सेना के समक्ष 90000 हज़ार पाक सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया था तब संपूर्ण कश्मीर लेकर उसका स्थाई समाधान ना करके  शिमला समझौता क्यों किया गया?
इसे राजनैतिक इच्छा शक्ति का अभाव कहा जाए या मजबूरी?
कारण जो भी रहा हो लेकिन कहना गलत नहीं होगा कि हमारे द्वारा इतिहास में की गईं कुछ गलतियों की सज़ा पूरा देश आजतक भुगत रहा है खासतौर पर हमारी सेनाएँ और उनके परिवार। पहले जो पाकिस्तान आमने सामने से युद्ध करता था, अब आतंकवादियों के सहारे छिप कर वार करता है।
लेकिन इस बार भारत का नेतृत्व इस मुद्दे पर आरपार की निर्णायक लड़ाई के लिए अपनी इच्छा शक्ति जता चुका है जिसका स्वागत पूरे देश ने किया। लेकिन इसे क्या कहा जाए कि आज जब देश की हर जुबाँ पर पाकिस्तान को उसी की भाषा में जवाब देने की बात है तो महबूबा पाकिस्तान से बातचीत की वकालत करती हैं। जब घाटी में अलगाववाद को बढ़ावा देने वाले अलगाववादी नेताओं को गिरफ्तार किया जाता है तो वो विरोध करती हैं। 35A और 370 की बात आती है तो विरोध करती हैं। दरसअल इस प्रकार के नेता और उनके राजनैतिक स्वार्थ ही कश्मीर की समस्या के मूल में हैं। जब हमारे सैनिक इनकी रक्षा में शहीद होते हैं तब ये लोग आतंकवादियों से हथियार छोड़ कर बात करने के लिए क्यों नहीं कहते  इसके विपरीत जब हमारी सेना कार्यवाही करने लगती है तो ये बातचीत से मुद्दे का हल निकालने की बात करते हैं। जब हमारी सेनाओं पर पत्थरबाजी होती है तो इन्हें पत्थरबाज भटके हुए बच्चे लगते हैं लेकिन जब अपने बचाव में  इन पत्थरबाज़ों पर सेना कोई भी कार्यवाही करती है तो वो इन्हें सेना का अत्याचार दिखाई देता है। आखिर क्यों हमारे निहत्ते सैनिकों पर हमला करने वाले अब्दुल डार में इन्हें एक आतंकवादी नहीं एक भटका हुआ कश्मीरी दिखाई देता है। भले ही घाटी से  पंडितों को खदेड़ दिया गया हो और विरोध में इन्होंने एक शब्द ना बोला हो क्योंकि कश्मीर पर सिर्फ कुछ विशेष कौमों का अधिकार है लेकिन इनका पूरे देश पर अधिकार है। इनका अधिकार है कि भारत सरकार इनकी सुरक्षा करे लेकिन ये भारत की सुरक्षा में कोई योगदान नहीं देंगे। इनका अधिकार है कि जब कोई प्राकृतिक आपदा आए तो भारत सरकार इनकी मदद करे लेकिन जब भारत पर आपदा आए तो इनका कोई दायित्व नहीं। यह इनका अधिकार है कि भारत सरकार जम्मू कश्मीर के पृथक संविधान और ध्वज का सम्मान करें  लेकिन भारत के संविधान और ध्वज का अपमान कश्मीर में हो सकता है। यह इनका अधिकार है कि भारत सरकार कश्मीर की संप्रभुता की रक्षा करे लेकिन भारत की संप्रभुता से इन्हें कोई लेना देना नहीं। यह इनका अधिकार है कि एक कश्मीरी भारत में कही भी रह सकता है भारत सरकार उसकी सुरक्षा करे लेकिन पूरे देश की सुरक्षा करने वाले सैनिक खुद भी कश्मीर में सुरक्षित नहीं हैं। क्योंकि इनका मानना है कि इनकी सुरक्षा में  सुरक्षा बलों का शहीद हो जाना उनका फ़र्ज़ है और भारत सरकार से अपने लिए सहायता और सुरक्षा लेना इनका अधिकार है। लेकिन जिस सरकार से ये अपने लिए अधिकार मांगते हैं क्या उसके प्रति इनका कोई दायित्व नहीं है? जिस सेना से ये बलिदान मांगते हैं क्या उनके प्रति इनके कोई फ़र्ज़ नहीं है?   
इसलिए जरूरत है समय की नजाकत को समझा जाए। देशविरोधियों के चेहरों पर से नकाब हटाए जाएं।
अगर 370 और 35A संविधान से हटाना नामुमकिन है तो संविधान में  संशोधन करके एक और धारा जोड़ना तो मुमकिन हैतो एक नई धारा जोड़ी जाए कि हर भारतीय की तरह कश्मीर के लिए भी भारत के  संविधान ध्वज सेना और संप्रभुता का सम्मान और रक्षा सर्वोपरि होगी और भारत की अखंडता के खिलाफ किसी प्रकार की गतिविधि दंडनीय अपराध होगी। चूंकि कश्मीर भारत का ही अंग है इसलिए कश्मीर का ध्वज अकेले नहीं हमेशा भारत के ध्वज के साथ ही फहराया जाएगा। 
डॉ नीलम महेंद्र

रविवार, फ़रवरी 24, 2019

हरियाणा सरकार का प्रजा सुखे बजट

- कैप्टन अभिमन्यु ने हरियाणा सरकार का आखिरी बजट पेश किया। अभिमन्यु बोले- मुझे बड़े गौरव का अनुभव हो रहा है। कौटिल्य के अर्थशास्त्र के उद्धरण से प्रारम्भ करना चाहता हूँ -
प्रजा सुखे सुखं राजः प्रजानां च हिते हितम्।
नात्मप्रियं प्रियं राजः प्रजानां तु प्रियं प्रियम् ॥
प्रजा के सुख में सरकार का सुख है, प्रजा के हित में सरकार का हित है, प्रजा को जो प्रिय है, वही सरकार को प्रिय है।

शिक्षा
2019-20 में मौलिक और माध्यमिक शिक्षा के लिए कुल 12,307.46 करोड़ रुपये के परिव्यय का प्रस्ताव करता हूं, जो संशोधित बजट 2018-19 के 11,256 करोड़ रुपये पर 9.3 प्रतिषत की वृद्धि दर्षाता है। उच्च शिक्षा के लिए, मैं वर्ष 2019-20 के लिए 2,076.68 करोड़ रुपये के परिव्यय का प्रस्ताव करता हूँ, जो बजट अनुमान 2018-19 पर 17.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।

तकनीकी शिक्षा
2019-20 में तकनीकी षिक्षा विभाग के लिए 512.72 करोड़ रुपये के परिव्यय का प्रस्ताव, जोकि संशोधित अनुमान 2018-19 के 465.70 करोड़ रुपये पर 10.1 प्रतिषत की वृद्धि दर्शाता है।
सहकारिता
सरकार का वर्ष 2020-21 तक 750 करोड़ रुपये की कुल लागत से शाहबाद चीनी मिल में 60 केएलपीडी का एथनोल प्लांट लगाने और सहकारी चीनी मिल पानीपत और करनाल का आधुनिकीकरण करने का प्रस्ताव है। 2019-20 के लिए 1396.21 करोड़ रुपये के परिव्यय का प्रस्ताव जो बजट अनुमान 2018-19 के 802.07 करोड़ रुपये के परिव्यय से 74.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।
खेल एवं युवा मामले
अनुमान 2019-20 में खेल एवं युवा मामले विभाग के लिए 401.17 करोड़ रुपये की राशि आवंटित करने का प्रस्ताव, जोकि संशोधित अनुमान 2018-19 पर 13.9 प्रतिषत की वृद्धि दर्शाता है।
कृषि और संबद्ध क्षेत्र
- वर्ष 2018-19 में प्रथम चरण में 15,000 पंप और वर्ष 2019-20 में दूसरे चरण में 35000 पंप लगाने की योजना है। इन प्रयासों से हमारे किसान उपभोक्ता की बजाय बिजली उत्पादक और बिजली आपूर्तिकर्ता बनेंगे। राज्य सरकार ने इस वर्ष गन्ने के लिए 340 रुपये प्रति क्विंटल के मूल्य की घोषणा की है,जो एक बार फिर देश में अधिकतम है। पहली बार, किसानों को गन्ने की बकाया राशि के भुगतान के लिए 16 रुपये प्रति क्विंटल की सब्सिडी दी गई।

- किसानों के जोखिम को कम करने के लिए, सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को सफलतापूर्वक लागू किया है, जिसके तहत किसानों से लिए गए 406.27 करोड़ रुपये के प्रीमियम के विरूद्ध मुआवजे के रूप में पिछले तीन वर्षों में 1140.98 करोड़ रुपये की राशि वितरित की गई, जो बीमा कंपनियों को दिए गए 818.20 करोड़ रुपये के प्रीमियम से अधिक है। इसके अलावा, उदार नीति अपनाते हुए, सरकार ने प्राकृतिक आपदा से हुई फसल क्षति के लिए भी प्रति एकड़ 12000 रुपये का मुआवजा दिया है।

- कृषि एवं सम्बद्ध गतिविधियों के लिए बजट अनुमान 2019-20 में 3834.33 करोड़ रुपये के परिव्यय का प्रस्ताव करता हूँ, जोकि बजट अनुमान 2018-19 के 3670.29 करोड़ रुपये की तुलना में 4.5 प्रतिशत की वृद्धि है। इसमें कृषि क्षेत्र के लिए 2210.51 करोड़ रुपये, पशुपालन के लिए 1026.68 करोड़ रुपये, बागवानी के लिए 523.88  करोड़ रुपये, और मत्स्य पालन के लिए 73.26 करोड़ रुपये का परिव्यय शामिल है।
- वर्ष 2017-18 में, कंपनी अधिनियम, 1956 के तहत पंजीकृत 22 सार्वजनिक उपक्रमों में से 18 उपक्रमों ने षुद्ध लाभ अर्जित किया, जबकि वर्श 2013-14 में 13 सार्वजनिक उपक्रम लाभ की स्थिति में थे। वर्ष 2017-18 में इन 18 उपक्रमों द्वारा अर्जित लाभ 1116.16 करोड़ रुपये था। घाटे में रहने वाले सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की संख्या वर्ष 2013-14 के 9 से कम होकर वर्ष 2017-18 में 4 रह गई।  राज्य के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का सकल घाटा वर्ष 2017-18 में कम होकर 19.89 करोड़ रुपये रह गया।

- इसी प्रकार, सहकारी समितियां अधिनियम, 1984 के तहत पंजीकृत 19 सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों ने भी सुधार के लक्षण दर्षाए हैं। लाभ कमाने वाले सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की संख्या 2013-14 में पांच से बढ़कर 2017-18 में सात हो गई और इसी अवधि के दौरान उनका लाभ 72.91 करोड़ रुपये से बढ़कर 132.20 करोड़ रुपये हो गया।

कैप्टन अभिमन्यु ने कहा कि पांच एकड़ तक की भूमि के काश्तकार किसान परिवारों और असंगठित क्षेत्र में लगे श्रमिकों के परिवारों, जिनकी मासिक आय 15,000 रुपये से कम है, को वित्तीय एवं सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए नई स्कीमें घोषित करते हुए मुझे बड़ा गर्व हो रहा है। किसानों के मामले में यह भारत सरकार द्वारा घोशित प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) स्कीम के अलावा होगी। माननीय अध्यक्ष महोदय इस बजट में इन स्कीमों के लिए 1500 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है।

हरियाणा सरकार ने, पहली बार कॉरपोरेट सैलरी पैकेज के तहत सरकारी कर्मचारियों को कई लाभ प्रदान करने के उद्देष्य से बैंकों के साथ बातचीत करके एक अनूठी पहल की है। इस योजना के तहत, कर्मचारियों की प्राकृतिक मृत्यु होने पर 2 लाख रुपये देना, 50,000 रुपये की चिकित्सा सुविधा और 30 लाख रुपये तक का दुर्घटना बीमा जैसे कई लाभ प्रदान करने के लिए चार बैंकों-एसबीआई, एचडीएफसी, पीएनबी और हरको बैंक को चुना गया है।

राजस्व एवं आपदा प्रबंधन
सरकार ने नम्बरदारों का मानदेय भी 1500 रुपये प्रतिमाह से बढ़ाकर 3000 रुपये प्रतिमाह करने तथा उन्हें एक मोबाइल फोन देने का भी निर्णय लिया है। कैथल, जींद और सोनीपत में आधुनिक रिकॉर्ड रूम स्थापित किए गए हैं। अब हम सभी जिलों और राज्य मुख्यालय तक इस पहल का विस्तार कर रहे हैं। 2019-20 में 1512.42 करोड़ रुपये आवंटित करने का प्रस्ताव जो बजट अनुमान 2018-19 के 1053.95 करोड़ रुपये की तुलना में 43.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।

स्वास्थ्य
हरियाणा सरकार 63 अस्पतालों, 125 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों, 509 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और 2,636 उप-स्वास्थ्य केंद्रों, 7 ट्रॉमा सेंटर, 3 बर्न केयर यूनिट्स और 57 शहरी औषधालयों/पॉलीक्लिनिक्स के विषाल नेटवर्क के माध्यम से सभी नागरिकों को गुणवत्तापरक स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया करवाने के लिए प्रतिबद्ध है।

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण
वर्ष 2019-20 में 5,040.65 करोड़ रुपये आवंटित करने का प्रस्ताव करता हूँ, जोकि वर्ष 2018-19 के 4,486.91 करोड़ रुपये के संशोधित अनुमान परिव्यय पर 12.3 प्रतिशत की वृद्धि है। प्रस्तावित परिव्यय में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के लिए 3,126.54 करोड़ रुपये, चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान के लिए 1,358.75 करोड़ रुपये, आयुष के लिए 337.2 करोड़ रुपये, कर्मचारी राज्य बीमा स्वास्थ्य देखभाल के लिए 172.49 करोड़ रुपये और खाद्य एवं औषध प्रशासन के लिए 45.67 करोड़ रुपये शामिल हैं।

शुक्रवार, फ़रवरी 15, 2019

पाक के खिलाफ भारत के जंगी जवाब का देशवासियों को इंतजार

 पुलवामा आतंकी हमले में 44 जवानों की शहादत के बाद सीआरपीएफ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान को जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी है।  सरकार ने पाकिस्तान का मोस्ट फेवर्ड नेशन (एमएफएन) का दर्जा खत्म कर दिया।  जैश ए मोहम्मद ने पुलवामा हमले की जिम्मेदारी ली है। भारत सरकार आतंकी मौलाना मसूद अजहर के खिलाफ कार्रवाई के लिए पाकिस्तान पर दबाव बना रही है। लेकिन चीन यहां पर पाकिस्तान के साथ खड़ा हो गया। मोदी ने कहां कि जल्द ही जवाब देंगे और सोशल मीडिया पर जनता भी उस जवाब का कर रही है इंतजार।
नमन तुम्हें, पुलवामा के शहीदों 

1- रोहिताश लांबा
शहीद रोहिताश लांबा राजस्‍थान के अमरसर थाना इलाके के गोविंदपुरा के निवासी थे। वह सिर्फ दो साल पहले ही सेना में भर्ती हुए थे। शहीद रोहिताश की साल भर पहले ही शादी हुई थी। वह शनिवार को छुट्टी बिताकर वापस जम्मू-कश्मीर ड्यूटी पर लौटे थे। रोहिताश अपने पीछे पत्नी और दो महीने की बच्ची छोड़ गए हैं। जानकारी के अनुसार, शहीद के भाई को सीआरपीएफ के अधिकारियों ने शहादत की सूचना दी।

2- नारायण गुर्जर
पुलवामा हमले में राजसमन्द का भी एक लाल नारायण गुर्जर शहीद हुआ है। जिले के कुंवारिया थाना इलाके के बिनोल गांव के नारायण गुर्जर इस हमले में शहीद हो गए हैं। शहीद की पत्नी और उनके दो मासूम बच्चों को अभी इसकी जानकारी नहीं दी गई है। नारायण गुर्जर बचपन में ही अपने माता-पिता को खो चुके थे। शहरभर में लोग शहीद को श्रद्धाजंलि दे रहे हैं।

3- जीतराम गुर्जर
कश्‍मीर में हुए इस आतंकी हमले में राजस्‍थान के भरतपुर का एक सपूत भी शहीद हुआ है। जिले के नगर इलाके के सुंदरावली गांव का लाडला जीतराम गुर्जर हमले में शहीद हो गया। लाडले की शहादत की सूचना से सुंदरावली गांव पूरी तरह से गमगीन है।

4- अजीत कुमार आजाद
उत्‍तर प्रदेश उन्नाव के लोकनगर मोहल्ला निवासी प्यारेलाल का 35 वर्षीय बेटा अजीत कुमार आजाद 115वीं बटालियन में सीआई के पद पर तैनात था। देर रात जब शहादत की खबर आई तो मां राजवती, पत्नी मीना व बेटियों ईशा और श्रेया की मानो दुनिया उजड़ गई। सभी का रो-रोकर बुरा हाल है।

5- प्रदीप सिंह यादव
उत्‍तर प्रदेश के कन्नौज के तिर्वा के सुखचैनपुर निवासी जवान प्रदीप सिंह यादव भी 115वीं बटालियन में तैनात था। प्रदीप की पत्नी नीरज का रो-रोक बुरा हाल है। उनकी दो बेटी सुप्रिया यादव और सोना यादव को अपने पिता की शहादत पर गर्व है।

6- कौशल कुमार रावत
आगरा के ताजगंज इलाके के कहरई गांव के जवान कौशल कुमार रावत पुलवामा हमले में शहीद हुए हैं। मां धन्नो देवी, भाई कमल किशोर और पूरा परिवार बेहाल हो गया। कौशल कुमार रावत का बेटा गुनगांव से पढ़ाई कर रहा है। चार दिन पूर्व ही ड्यूटी जॉइन करने कश्मीर गए थे।

7- महेश कुमार
प्रयागराज के तुड़ीहर बदल गांव निवासी महेश कुमार 118 बटालियन में तैनात थे। इस हमले में महेश भी शहीद हुए हैं। महेश के दो बच्चे साहिल पांच साल व समर छह साल का है। पिता राजकुमार यादव ऑटो चालक हैं। पांच दिन पहले ही वह यहां आए थे। बीते मंगलवार को ही वह जम्मू-कश्मीर के लिए यहां से रवाना हुए।

8- प्रदीप कुमार
शामली के बनत निवासी प्रदीप कुमार के घर में कोहराम मचा हुआ है। वे भी इस हमले में शहीद हुए हैं। वह 21 वीं बटालियन में तैनात थे। शहीद प्रदीप कुमार के परिवार में तीन भाई और एक बहन है। प्रदीप के एक बेटा और एक बेटी है, जो पढ़ाई कर रहे हैं। आईटीबीपी में तैनात बड़े भाई संजय का कहना है कि, देश को इसका बदला लेना चाहिए, सर्जिकल स्ट्राइक की एक बार और जरूरत है।

9- रमेश यादव
वाराणसी के तोफापुर बराइन गांव निवासी रमेश यादव भी पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुए हैं। रमेश की शादी 4 साल पहले रेणु से हुई थी, डेढ़ साल का एक बेटा है।एक भाई प्राइवेट नौकरी मुम्बई में करता है। बहन सरोज के मुताबिक, रमेश ने कहा था होली पर आएंगे, गांव में होली खेला जाएगा। सपना टूटा नहीं, बिखर गया। पिता श्याम नारायण ने रो रो कर कहा- मेरे बेटे को धोखे से गद्दारों ने मारा, सामने से तो वह 15 पर भारी पड़ता।

10- श्याम बाबू
कानपुर देहात के डेरापुर थाना के रैगवा के रहने वाले श्याम बाबू शहीद हो गए। बीए प्रथम वर्ष की पढ़ाई करते हुए ही 2007 में उन्होंने सीआरपीएफ ज्वॉइन किया था। श्याम लाल के दो बच्चे हैं। एक लड़का 4 वर्ष का और एक लड़की पांच माह की है।

11- अमित कुमार
शामली के मोहल्ला रेपार निवासी अमित कुमार भी पुलवामा हमले में शहीद हुए हैं। अमित दो साल पहीले सीआरपीएफ में नियुक्त हुए थे। अमित अपने छह भाई-बहनों में सबसे छोटा भाई था। अमित के पापा स्थानीय व्यापारी के पास मुनीम का कार्य करते हैं। शहीद अमित के बड़े भाई का कहना है कि, हम लोगों को शुक्रवार सुबह करीब 7:30 बजे फोन करके सूचना दी गई। घटना के बाद से पूरे परिवार में कोहराम मचा हुआ है

12- विजय मौर्या
देवरिया के भटनी थाना इलाके के छपिया जयदेव निवासी विजय मौर्या सीआरपीएफ के 92 बटालियन में तैनात थे। गुरुवार देर रात जब शहादत की खबर आई तो पूरे गांव में मातम छा गया।

13- पंकज त्रिपाठी
महाराजगंज के रहने वाले जवान पंकज त्रिपाठी भी पुलवामा हमले में शहीद हुए हैं। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। पंकज परिवार में सबसे बड़े बेटे थे। पिता ओम प्रकाश ने बताया कि पंकज की शादी छह साल पहले हुई थी। उसके चार साल का बेटा है। वह बाबा के देहांत पर आया था और चार दिन पहले ड्यूटी पर गया था।

14- अवधेश यादव
चंदौली के मुगलसराय इलाके के बहादुरपुर गांव निवासी अवधेश यादव 2006 में सीआरपीएफ में नियुक्त हुए थे। वर्तमान में उनकी तैनाती 45वीं बटालियन में थी। चार भाई-बहनों में सबसे बड़े अवधेश पुलवामा हमले में शहीद हो गए। उनकी तीन साल पहले शादी हुई थी। दो साल का बच्चा है। उनकी मां कैंसर से पीड़ित हैं।

15- राम वकील
मैनपुरी के बरनाहल स्थित गांव विनायकपुर के सैनिक राम वकील 10 फरवरी को ही छुट्टी बिताकर वापस लौटे थे। पत्नी गीता से वादा करके गए थे कि वापस लौटकर आऊंगा, मुझे अपना मकान बनवाना हैं। रामवकील के तीन छोटे बच्चे हैं। रामवकील के बच्चे इटावा के केंद्रीय विद्यालय में पढ़ते हैं। इनका परिवार अपने नाना नानी के साथ रहता है। जैसे ही शहीद होने खबर परिवार को लगी तो पत्नी, बच्चों व परिजनों का रो रो करके बुरा हाल है। घर मे मातम छा गया है। शहीद की शादी 15 वर्ष पहले हुई थी।

16- विजय सोरेंग
झारखंड के गुमला के बसिया के फरसमा गांव के निवासी विजय सोरेंग इस हमले में शहीद हो गए. वो अपने पीछे दो बच्चे और तीन बच्चियां छोड़ गए हैं. एक फरवरी को विजय सोरेंग अपने घर छुट्टी पर आए थे। रांची के डीआइजी होमकर ने इस बात की जानकारी दी है.

17- संजय कुमार सिन्हा
बिहार के मसौढ़ी के संजय कुमार सिन्हा भी पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हो गए हैं। उनकी उम्र 45 वर्ष थी. संजय कुमार सिन्हा 8 फरवरी को घर आए थे और 15 दिन बाद वो अपनी बेटी की शादी के लिए फिर से घर आने वाले थे। संजय कुमार सिन्हा के परिवार में कोहराम मच गया है और इलाके में सन्नाटा पसर गया है। शहीद संजय कुमार सिन्हा जो बतौर हेड कांस्टेबल के देश की सेवा कर रहे थे, उनकी शहादत की खबर मिलते ही उनके परिवार में भी मातम पसर गया है। पास-पड़ोस के घरों में आज चूल्हे भी नहीं जले हैं। संजय के पिता महेंद्र प्रसाद सीआरपीएफ की 176वीं बटालियन में तैनात थे।

18- रतन कुमार ठाकुर
बिहार के भागलपुर के रतन कुमार ठाकुर शहीद हो गए। रतन कुमार ठाकुर 2011 के बैच के 45 बटालियन में कॉन्सेटेबल के पद पर तैनात थे. रतन कुमार की पत्नी मां बनने वाली हैं और इसलिए उन्हें अभी तक इस बात की जानकारी नहीं दी गई है. भागलपुर के शहीद रतन ठाकुर का परिवार मूल रूप से कहलगांव के आमंडंडा थाना के रतनपुर गांव का रहने वाला है। घर में पत्नी राजनंदिनी देवी और चार साल का बेटा कृष्णा है। राजनंदिनी फिर से मां बनने वाली हैं तो वहीं संजय कमार सिन्हा ने बताया कि हर शाम वो फोन करता था पिता निरंजन कुमार ठाकुर ने कहा शाम को बेटे के फोन का इंतजार हो रहा था तब तक उधर से सात बजे उसके शहादत की खबर आई। खबर के सुनते ही पूरे घर में कोहराम मच गया।

19- सुदीप बिस्वास
पश्चिम बंगाल के नाडिया जिले के हंसपुकुरिया गांव के रहने वाले सुदीप बिस्वास इस हमले के बाद लापता बताए जा रहे हैं।

20- राठौड़ नितिन शिवाजी 
पुलवामा में सुरक्षाबलों पर हुए कायराना हमले में महाराष्ट्र के बुल्ढाना शहर की तहसील लोनार के चोरपांगरा गांव के निवासी राठौड़ नितिन शिवाजी पुलवामा हमले में शहीद हो गए।

21- भागीरथ सिंह 
पुलवामा हमले में भागीरथी सिंह भी शहीद हो गए। राजस्थान के जिले ढोलपुर में जैतपुर के रहने वाले थे।

22- वीरेंद्र सिंह 
उत्तराखंड के उधमसिंह नगर जिले के मोहम्मद पुर भूरिया गांव में रहने वाले वीरेंद्र सिंह भी आतंकी हमले में शहीद हो गए।

23- कुलविंदर सिंह 
कुलविंदर सिंह पुलवामा हमले में शहीद हो गए। वह पंजाब के आनंदपुर साहिब के रौली गांव के रहने वाले थे।

24- मनेश्वर बासुमतारी 
मनेश्वर बासुमतारी भी आतंकी हमले में शहीद हो गए। वह असम के बासका जिले के कलबारी गांव के रहने वाले थे।

25- मोहन लाल 
उत्तराखंड के मोहन लाल भी इस हमले में शहीद हो गए। वह उत्तरकाशी के बानकोट गांव के रहने वाले थे।

25- नसीर अहमद 
नसीर अहमद भी इस हमले में शहीद हो गए। वह जम्मू-कश्मीर के रजौरी जिले से डोडासनबाला के रहने वाले थे।

26-जयमाल सिंह 
पुलवामा हमले में शहीद हुए जयमाल सिंह पंजाब के मोगा जिले के कोटइसेखां के रहने वाले थे। बताया जा रहा है कि जिस पर बस पर हमला हुआ उसे जयमाल ही चला रहे थे।

27-सुखजिंदर सिंह 
सुखजिंदर सिंह भी हमले में शहीद हो गए। वह पंजाब के तरनतारन जिले के गंडीविंड के रहने वाले थे।

28- तिलक राज 
तिलक राज पुलवामा हमले में शहीद हो गए। वह हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के ढेवा गांव के रहने वाले थे।

29- वसंत कुमार वीवी 
वसंत कुमार वीवी भी इस हमले में शहीद हो गए। वह केरल के वायानाड जिले के रहने वाले थे।

30- सुब्रमण्यम जी 
सुब्रमण्यम जी आतंकी हमले में शहीद हो गए। वह तमिलनाडु के तूतिकोरिन जिले के सबलापेरी गांव के रहने वाले थे।

31- गुरु एच 
गुरु एच पुलवामा हमले में शहीद हो गए। वहकर्नाटक के मांड्या जिले के गुड़िगेरे गांव के रहने वाले थे।

32- मनोज कुमार बेहरा 
मनोज कुमार बेहरा इस हमले में शहीद हो गए। वह ओडिशा के कटक के रतनपुर गांव के रहने वाले थे।

33- हेमराज मीणा 
राजस्थान के रहने वाले हेमराज मीणा भी इस हमले में शहीद हो गए। वह कोटा के विनोद कालन गांव के रहने वाले थे।

34- पीके साहू 
ओडिशा के जगतसिंह पुर जिले के रहने वाले पीके साहू भी इस हमले में शहीद हो गए।

35- संजय राजपूत 
महाराष्ट्र के बुल्ढाना जिले के लखनी प्लॉट गांव के निवासी संजय राजपूत भी शहीदों में शामिल हैं।

36- मनिंदर सिंह अटरी 
पंजाब के गुरदासपुर जिले आर्य नगर गांव के रहने वाले मनिंदर सिंह भी हमले में शहीद हो गए।

37- बबलू संतरा 
पश्चिम बंगाल के हावड़ा जिले के पश्चिमी बउरिया निवासी बबूल संतरा भी इस हमले में शहीद हो गए।

38- अश्विनी कुमार काउची 
मध्य प्रदेश के जबलपुर निवासी अश्वनी कुमार भी इस हमले में शहीद हो गए। वह जबलपुर के कुदावल के रहने वाले थे।

जवान, जो लापता बताए जा रहे हैं

1- शिवचंद्रन सी
तमिलनाडु के अरियालपुर जिले के करगुड़ी गांव के निवासी शिवचंद्रन सी इस हमले के बाद से लापता हैं।

2- गोपाल सिंह किरूला
उत्तराखंड के अल्मोड़ा के बांद्रा गांव के रहने वाले गोपाल सिंह किरूला इस हमले में लापता बताए जा रहे हैं

गुरुवार, फ़रवरी 07, 2019

ऐसे चुनिए सस्ता टीवी चैनल पैक...


एक फरवरी से ट्राई का डीटीएच और केबल ऑपरेटर्स के लिए जारी किया गया नया नियम पूरी तरह लागू हो गया। नियम के तहत ट्राई ने उपभोक्ताओं को अपनी पसंद के चैनल चुनने और सिर्फ उन्हीं के पैसे चुकाने की सुविधा दी है। इससे डीटीएच का बिल कम होने का दावा किया जा रहा है। प्रमुख डीटीएच ऑपरेटर्स में से डिश टीवी, एयरटेल और वीडियोकॉन डी2एच ने वेबसाइट और फोन के माध्यम से चैनल के विकल्प चुनने की सुविधा देना शुरू कर दिया है। हालांकि टाटा स्काई विकल्प लेने से इंकार कर रहा है।
चैनल चुनने में कन्फ्यूज हैं तो इसे पढ़ें

आसानी के लिए ट्राई का टूल इस्तेमाल करें
ट्राई ने पैक बनाने के लिए एक टूल तैयार किया है जो channel.trai.gov.in पर उपलब्ध है। टूल से आप भाषा, एसडी/एचडी आदि फिल्टर सिलेक्ट कर पसंद के चैनल सिलेक्ट/डिसिलेक्ट कर सकते हैं। फिर ‘व्यू योर सिलेक्शन’ पर क्लिक करना होगा। अगले पेज पर ‘ऑप्टिमाइज़’ बटन पर क्लिक करना होगा। इससे आपकी जरूरत के मुताबिक बुके और अलग-अलग चैनल का सबसे अच्छा कॉम्बिनेशन दिखेगा। इस सूची को डाउनलोड कर, प्रिंटआउट लेकर डीटीएच या केबल ऑपरेटर को बताकर लागू करवा सकते हैं।
चैनल चुनने के दो सबसे आसान तरीके
1. अगर डीटीएच ऑपरेटर की वेबसाइट या एप इस्तेमाल करते हैं तो - वेबसाइट या एप पर जाकर पसंद के चैनल चुन सकते हैं। एचडी, स्टैंडर्ड (एसडी), प्रकार (किड्स, स्पोर्ट्स आदि) और भाषाओं के विकल्प भी उपलब्ध होंगे। साथ ही ब्रॉडकास्टर्स द्वारा दिए जा रहे बुके भी दिखेंगे। कुछ बड़े केबल ऑपरेटर्स ने भी अपनी एप लॉन्च की है। उन पर जाकर भी पैक बना सकते हैं।

2. अगर केबल कनेक्शन है या ऑपरेटर की वेबसाइट/एप इस्तेमाल नहीं करते हैं तो - सभी चैनल्स के नाम के साथ उनकी कीमत टीवी पर नजर आ रही है। उसके आधार पर चैनल की लिस्ट बना सकते हैं। फिर इस लिस्ट को केबल ऑपरेटर या डीटीएच के कस्टमर केयर नंबर पर फोन कर लागू करवाया जा सकता है। बुके की जानकारी का विज्ञापन भी विभिन्न चैनल्स पर आ रहा है। आप बुके और अ-ला-कार्टे (अलग-अलग चैनल्स) दोनों में से चुन सकते हैं।

ज्यादातर ब्रॉड्कास्टर (जैसे स्टार इंडिया और सोनी एंटरटेनमेंट) अपने-अपने चैनलों पर बुके के विज्ञापन कर रहे हैं। लेकिन आप फ्री और पे चैनलों को एक-एक करके भी चुन सकते हैं। ट्राई के निर्देशों के बावजूद कुछ अनियमितताएं नजर आ रही हैं। ऑपरेटर्स खुद ही 75 फ्री टू एयर चैनल का बेसिक पैक बनाकर पेश कर रहे हैं। जबकि ट्राई ने 548 फ्री चैनल के विकल्प दिए हैं। इसके अलावा डिश अपने फ्री पैक में स्टार और सोनी के ऐसे चैनल दे रहा है, जिनका विज्ञापन ये चैनल अपने बुके में भी कर रहे हैं। नियम के मुताबिक बुके या पे चैनल को फ्री की कैटेगरी में नहीं रखा जा सकता।

क्या होने जा रहा है?
ट्राई ने उपभोक्ताओं को अपने चैनल चुनने का अधिकार दिया है। कुल 100 एसडी चैनल देखने के लिए 130 रुपए (जीएसटी मिलाकर 153 रुपए) चुकाने होंगे। इसमें प्रसार भारती के करीब 25 चैनल अनिवार्य हैं और बाकी 75 चैनल के लिए फ्री और पे चैनल के विकल्पों में से चैनल चुने जा सकते हैं। सौ से अधिक चैनल देखने के लिए 20 रुपए प्रति 25 चैनल अतिरिक्त फीस लगेगी। साथ ही पे चैनल की एमआरपी चुकानी होगी।

क्या एचडी और एसडी दोनों चुन सकते हैं? : किसी भी क्वालिटी का चैनल चुन सकते हैं। एक एचडी को दो एसडी चैनल के बराबर गिना जाएगा।

फायदा होगा या नुकसान? : समझदारी से चैनल चुने जाएं तो फायदा होगा। विभिन्न ब्रॉडकास्टर्स ने बुके के विकल्प उपलब्ध कराए हैं। अपना पर्सनल पैक भी बनवा सकते हैं।

चैनल नहीं चुनेंगे तो क्या होगा? : डीटीएच पर बेसिक सर्विस टियर पैक लागू हो जाएगा। जिसमें केवल फ्री टू एअर (मुफ्त) 100 चैनल दिखाई देंगे। 153 रुपए का नेटवर्क सीमा शुल्क चुकाना होगा। चैनल बाद में भी चुने जा सकते हैं।

शनिवार, फ़रवरी 02, 2019

लोग नहीं जानते किस बीमारी का कहां होगा इलाज, 1370 प्रकार का इलाज निजी अस्पतालों में, बहाना-मिल रहे कम रेट

रियलिटी रिपोर्ट आयुष्मान भारत योजना
250 प्रकार के इलाज सिर्फ सरकारी अस्पताल में मरीज ले सकते हैं

जरूरतमंद मरीजों का लाख रुपए तक का बड़े अस्पतालों में बेहतर इलाज के लिए आयुष्मान भारत योजना को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लांच किया थालेकिन निजी अस्पतालों में मरीजों का इलाज सही ढंग से शुरू नहीं हो सका है। ज्यादातर लोगों को पता ही नहीं कि किस बीमारी का इलाज निजी अस्पताल में होगा और किसका सरकारी में। इसके चलते प्रदेश के जरूरतमंद लोग धक्के खा रहे हैं। प्रदेश में ऐसे अनेक केस सामने आए हैंजिनमें पता चला है कि लोगों को निजी अस्पतालों में परेशान होना पड़ रहा है। मरीजों का कहना है कि वह निजी अस्पतालों में इलाज के लिए जाते हैं तो लौटा दिया जाता है। मरीजों की शिकायत पर भास्कर ने निजी अस्पतालों में योजना की पड़ताल की। पता चला कि कुछ बड़े निजी अस्पताल को छोड़कर अन्य अस्पतालों में आयुष्मान भारत चालू नहीं हई है। वहींजितने अस्पतालों ने आवेदन किया थाउनमें खामियों के चलते अनेक को अप्रूवल नहीं दी गई है। 1370 तरह के मुफ्त इलाज का लाभ पैनल में शामिल प्राइवेट अस्पतालों से मरीज ले सकते हैंजबकि 250 प्रकार के इलाज सिर्फ सरकारी अस्पताल में मरीज करा सकते हैं। निजी अस्पतालों के डॉक्टरों का मानना है कि पेमेंट के लिए डेढ़ से दो महीने तक इंतजार करना पड़ रहा है। वहीं योजना के जिला मैनेजर सोहन का कहना है कि पेमेंट 15 दिन में हो जाती है। अगर फिर भी किसी अस्पताल की पेमेंट रुकती है तो उसमें या तो कोई गलत पैकेज सेलेक्ट किया होता या फिर डॉक्यूमेंट गलत हो सकते हैं।

योजना में यहां आ रही परेशानी
  • 276 बीमारियों को रिजर्व पैकेज में शामिल किया है। यानि जो बीमारियां रिजर्व पैकेज में शामिल हैंउनका इलाज सरकारी अस्पताल में होगा। इस कारण कोई खास फायदा नहीं हो रहा। इन बीमारियों का इलाज निजी अस्पतालों में नहीं है।
  • सोनीपत के तीन बड़े निजी अस्पतालों ने योजना से जुड़ने से किनारा कर लिया है। कारण इन अस्पताल के मालिकों को सर्जरी के रेट काफी कम लगे।
  • निजी अस्पतालों को गोल्डन कार्ड बनाने की ट्रेनिंग पूरी तरह से नहीं दी गई। अस्पताल संचालकों का कहना है कि सरकार के नियम काफी सख्त व ज्यादा है। पेमेंट के लिए डेढ़ से दो महीने तक इंतजार करना पड़ रहा है। कई बार जो रिपोर्ट और पैकेज बनाकर भेज देते हैंवो रिजेक्ट हो जाते हैं। 
  • गाॅल ब्लाडर समेत रुटीन के ऑपरेशन के लिए निजी अस्पतालों को योजना के तहत अधिकृत नहीं किया है। लाेग आकर कहते हैं कि लाख तक सभी इलाज निशुल्क हैं।
  • सरकारी अस्पतालों में होने वाले ट्रीटमेंट को प्राइवेट अस्पतालों में शामिल नहीं किया है। इसके अलावा जो ट्रीटमेंट प्राइवेट अस्पतालों में होता हैउसे सरकारी अस्पतालों में शामिल नहीं किया गया।
  • स्वास्थ्य विभाग ने प्रचार तक नहीं किया कि कौन-कौन सा इलाज सरकारी और निजी अस्पतालों में कैशलेस मिलेगा।


ये हैं उदाहरणजिनमें से को मिला इलाज, 1 को भटकना पड़ाएक का कार्ड नहीं बना

  • घरोड़ा निवासी 80 वर्षीय केशो देवी परिवार के साथ कुछ दिन पहले सिविल सर्जन डाॅडीएन बागड़ी से बीमारी में मदद लेने के लिए आई थी। डाॅबागड़ी ने उनका रिकॉर्ड आयुष्मान योजना में चेक कराया और उनका नाम योजना में शामिल मिलते ही उनका गोल्डन कार्ड बनाया गया। फिर बीते सप्ताह प्रेम अस्पताल में केशो देवी की प्लास्टिक सर्जरी का सफल इलाज हुआ। इसमें अस्पताल को सरकार की ओर से करीब 25 हजार रुपए भेजे गए हैं। महिला ने कहा कि उनके लिए ये योजना किसी वरदान से कम नहीं है।
  • पानीपत निवासी गौतम कुमार वर्षों से नाक से ठीक प्रकार से सांस नहीं ले पाता थाइस कारण उसको बहुत तकलीफ होती थी। उसने बताया कि नाक से सांस नहीं आने के कारण वह कई सालों से उल्टा लेटकर सोता था। ताकि नजला अंदर की बजाए बहार टपकता रहे। उसने बताया कि उसका पिता वेदपाल फैक्ट्री में काम करता है। इस कारण वह ऑपरेशन नहीं करा पा रहा था। उसने एक दिन अपना नाम योजना में चेक किया तो उसका नाम शामिल मिला। उसके बाद उसने गोल्डन कार्ड बनवाकर अग्रसेन अस्पताल में इलाज कराया।
  • रेवाड़ी के धारूहेड़ा चुंगी स्थित विराट अस्पताल में कोसली क्षेत्र से एक व्यक्ति गाॅल ब्लेडर के ऑपरेशन के लिए पहुंचा। व्यक्ति ने आयुष्मान योजना में उपचार निशुल्क होने की बात कही। चिकित्सकों ने उसे बताया कि ऐसेे छोटे ऑपरेशन निजी अस्पताल के लिए योजना में शामिल नहीं हैं।
  • फरीदाबाद की एनआईटी निवासी मंजू ने बताया कि वह एक माह पहले लिस्ट में अपना नाम देख चुकी है लेकिन अभी तक गोल्डन कार्ड नहीं बना है। वह एक दिन बीके में कार्ड बनवाने गई थींलेकिन भीड़ अधिक होने से कार्ड नहीं बना पाया।   

अस्पतालों के तर्क
आईएमए का कहना है कि अभी तक उनके पास इलाज के लिए मरीज नहीं पहुंच रहे हैं। इसका बड़ा कारण योजना में बीमारियों के रिजर्व पैकेज का किया गया प्रावधान है। गंभीर बीमारी का इलाज किस अस्पताल में होगायह क्लियर नहीं। कॉरपोरेट अस्पतालों में तो स्टाफ हैंछोटे अस्पताल के डॉक्टरों को क्लर्की करनी होगी। जिस अस्पताल में भोजन की व्यवस्था नहीं है,वहां परेशानी है। इलाज के पैकेज में ही सब कुछ करना हैजो संभव नहीं है।

प्रदेश के किन जिलों के कितनों अस्पतालों में इलाज संभव

नारनौल यहां 44 हजार परिवारों को आयुष्मान भारत योजना में शामिल किया है। इसके तहत जिले के अस्पतालों को शामिल किया है। इनमें निजी और सरकारी अस्पताल शामिल हैं। यहां इनमें पात्र लोगों का निशुल्क इलाज शुरू हो चुका है। बता दें कि 10 से अधिक निजी अस्पतालों ने योजना के लिए आवेदन किया थालेकिन ने शर्तें पूरी नहीं की।

जींद जिला में अभी तक किसी भी निजी अस्पताल में लाभपात्र का इलाज नहीं हो पाया है। यहां से अस्पतालों ने आवेदन किया थालेकिन को ही लॉगइन मिला है। जो लाभपात्र पहुंचे उनका सिविल अस्पताल में ही इलाज किया जाता हैनहीं तो पीजीआई रेफर किया जाता है। सिविल अस्पताल में 27 लाभपात्र का इलाज हुआ है।

सोनीपत :  20 निजी अस्पताल पैनल से जुड़े हैंजबकि की फाइल पेंडिंग है। यहां गोल्डन कार्ड 80 हजार के बनने हैंजबकि बने सिर्फ 6500 के हैं। गोल्डन कार्ड के लिए भी लाइन लग रही है। काउंटर नहीं बढ़ाए गए। अब तक 65 मरीजों की सर्जरी व फिजिशियन से जांच हुई है। 

सिरसा जिले के 82 हजार परिवार शामिल हैं। 11 बड़े प्राइवेट और सरकारी अस्पतालों को पैनल में लिया हैजबकि 20 प्राइवेट अस्पतालों ने आवेदन किया था। हजार पात्रों ने कार्ड बनवाए हैं। 51 मरीजों ने पैनल में शामिल विभिन्न अस्पतालों से इलाज लिया है। 14 मरीजों का इलाज सरकारी अस्पताल में संभव हो पाया है। यहां सभी में इलाज शुरू हो चुका है।

फतेहाबाद कुल अस्पतालों में योजना लागू हो पाई है। इसमें सरकारी और प्राइवेट अस्पताल हैं। अभी तक प्राइवेट अस्पताल में एक भी व्यक्ति का इलाज नहीं हुआ है। सरकारी अस्पतालों में 36 लोग उपचार करा चुके हैं। 

भिवानी चौबंसीलाल सामान्य अस्पताल सहित जिले के अन्य सब डिविजन अस्पतालों में आयुष्मान योजना के तहत सुविधा दी जा रही है। प्रदेश में अभी तक सबसे ज्यादा गोल्डन कार्ड भिवानी में 18 हजार बनाए हैं। यहां जितने अस्पतालों ने आवदेन किया थासभी में इलाज शुरू हो चुका है।  

पानीपत :  135 निजी अस्पताल हैलेकिन योजना से जुड़ने के लिए मात्र 27 अस्पतालों ने लॉगइन किया।

रेवाड़ी :  रेवाड़ी के 16 अस्पतालों ने ऑनलाइन आवेदन कियालेकिन 12 के रद्द हो गए,क्योंकि अस्पतालों से फायर सेफ्टीप्रदूषण समेत कई तरह की एनओसी मांगी गईएक भी डॉक्यूमेंट कम रहने के चलते आवेदन रद्द किए जा रहे हैं। चार को छोड़कर बाकी किसी भी अस्पताल को पैनल में नहीं जोड़ा गया। 

महेंद्रगढ़ : 44 हजार परिवारों को शामिल किया है। अस्पतालों को शामिल किया है। इनमें 4निजी अस्पताल व सरकारी अस्पताल शामिल हैं। 

करनाल : 20 प्राइवेट अौर सरकारी अस्पतालों को लॉगइन मिला है। नए  प्राइवेट अस्पतालों का अप्रूवल के लिए नामांकन किया है। करीब 30 अस्पतालों ने अप्रूवल के लिए अप्लाई किया था। 24 में लोगों को सुविधाएं मिल रही है।

हिसार एक लाख लाभार्थियों को योजना का लाभ मिलना है। करीब हजार लाभार्थियों को गोल्डन कार्ड बन चुके हैं। 40 के करीब निजी अस्पतालों ने आवेदन किया थाजिसमें से 13को जोड़ा गया है।
फरीदाबाद करीब साढ़े छह लाख लोगों के गोल्डन कार्ड बनने हैंपर  सिर्फ साढ़े पांच हजार लोगों की पहचान हो पाई है और इतने ही कार्ड बन सके हैं। स्वास्थ्य विभाग ने दो माह में सिर्फ11 निजी अस्पतालों को ही जोड़ा है।

यहां मत जाना, जिल्लत से करते हैं स्वागत श्रीमान जी, शिकायतकर्ता से थाने में पूछे जाते हैं अपराधियों की तरह सवाल

- पुलिस वालों के बर्ताव से परेशान होकर काफी लोग नहीं करते थाने में जाकर शिकायत
- छेड़छाड़ वाले मामलों में लड़कियां या महिलाएं नहीं जाना चाहती थाने
- नाबालिग लड़कियों से भी पूछताछ वर्दी में पूछताछ करते हैं पुरुष पुलिस कर्मी

हरियाणा के थानों में श्रीमान जी शिकायत लेकर जाने वालों से सभ्य व्यवहार नहीं करते हैं। जो भी शिकायतकर्ता जाता है उससे गंदा व्यवहार करते हैं। कई बार तो लड़की से छेड़छाड़ और गुमशुदा की रिपोर्ट लिखवाने गए घरवालों से पुलिस बेतुके सवाल करती है। यही वजह है कि अब काफी लोग तो थानों में शिकायत लेकर जाना भी पसंद नहीं करते। खासकर छेड़छाड़ आदि के मामलों में तो युवतियां या महिलाएं थाने जाने से घबराती हैं। भले ही सरकार ने महिला थाने खोल दिए हैं। ऑपरेशन दुर्गा शुरू कर रखा है। लेकिन अब भी हरियाणा में पुलिस का बर्ताव वैसा नहीं है जैसा कि होना चाहिए। कोई भी व्यक्ति मजबूरी में अपनी शिकायत लेकर थाने जाता है। इस स्थिति में पुलिस को उसकी मदद करनी चाहिए लेकिन पुलिस उससे ही आरोपियों की तरह सवाल करने लगती है। छेड़छाड़ करने वाले स्पॉट को लेकर पुलिस कितनी गंभीर है इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि पिछले दिनों पानीपत में एक भाई ने अपनी बहन से छेड़छाड़ का फुटेज सीसीटीवी से खुद ही घूम-घूम कर निकाला, जोकि पुलिस की जिम्मेदारी थी। इसीलिए बहुत से मामलों में लड़कियां और परिजन शिकायत करने से बचते हैं।
कानून के नियमों की भी नहीं है प्रवाह :
पाक्सो एक्ट में स्पष्ट है कि जब भी किसी नाबालिग बच्ची के साथ रेप या छेड़छाड़ की घटना की कोई शिकायत मिलती है तो पुलिस उसे थाने नहीं बुलाएगी। महिला पुलिसकर्मी सादी वर्दी में उसके घर जाकर ही उससे सवाल-जवाब करेगी। लेकिन यहां तो इन नियमों को भी ताक पर रख कर पुलिस काम करती है। नाबालिग लड़कियों को भी पुलिस थाने बुलाती है, जहां काफी पुरुष पुलिसकर्मी वर्दी में होते हैं। जिन्हें देख ही नाबालिग घबरा जाती हैं। इसके बाद पुरुष पुलिस कर्मी उनसे घटना को लेकर तरह-तरह की अजीब सवाल पूछते हैं। जिससे घबराहट में बच्चियां अपनी बात नहीं रख पाती और उन्हें न्याय नहीं मिलता।
कहां गए वो हेल्प डेस्क :
पिछले दिनों सरकार की तरफ से निर्देश जरी किए गए थे कि सभी थानों में आमजन की सुविधा के लिए एफआईआर रजिस्ट्रेशन सैल स्थापित किए जाएं। शिकायत लेकर आने वालों के लिए हेल्प डेस्क बनाए जाएं। कई जगह पर ये बनाए भी गए लेकिन अब ये डेस्क भी खाली पड़े रहते हैं। शिकायतकर्ता भटकते रहते हैं, उन्हें अपनी एफआईआर तक नहीं लिखनी आती। जबकि इन्हें शुरू करने का उद्देश्य पीडितों को सीधा थाने के अंदर जाने की बजाए बाहर ही एफआईआर रजिस्ट्रेशन, एडवाइजरी व एफआईआर ऑन द स्पॉट लिखने की सुविधा देना था।
इन मामलों से समझिए माननीयों का कैसा है व्यवहार :
- हिसार के आर्य नगर वासी विनोद का कसूर इतना कि उसने महिला एसआई पर अवैध वसूली का वीडियो वायरल करके भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत केस दर्ज करवाया था। अपनी मुलाजिम पर एफआईआर दर्ज होने से नाराज पुलिस कर्मियों ने विनोद के साथ मुजरिम जैसा व्यवहार किया। उसे पूछताछ के नाम पर इतने प्रश्न पूछे कि जैसे उसने ही गुनाह किया है। यही वजह है कि विनोद अब थाने में जाने से कतराता है। उसने बताया कि पहली बार पुलिस से सामना हुआ लेकिन एक्सपीरियंस बुरा ही रहा।
- हिसार में साइबर ठगों ने शहर के एक व्यक्ति के खाते से 6 हजार रुपए की राशि दूसरे खाते में ट्रांसफर कर ली। पीड़ित पुलिस के पास शिकायत दर्ज करवाने गया तो उसकी फरियाद सुनने की बजाए पुलिस ने सवालों की बौछार कर दी। उसे कहा कि क्यों एटीएम कोड बताया। आप जैसे पढ़े-लिखे भी शिकार हो गए। अब क्या करोगे शिकायत दर्ज करवाकर। ये मामले कहां ट्रेस होते हैं। 6 हजार के चक्कर में आरोपी को ट्रेस कर उसे पकड़ने के लिए जाने पर चार-पांच गुना राशि खर्च हो जाएगी। कोई गारंटी भी नहीं वह पकड़ा जाए। पीड़ित को इतना निराश कर दिया कि वह बिना शिकायत दर्ज करवाए लौट आया।
- रोहतक के शीला बाईपास पर ट्रैफिक पुलिस के जवान ने एक खिलाड़ी के साथ छेड़छाड़ की थी। इस मामले की शिकायत लेकर खिलाड़ी महिला थाना पहुंची थी तो महिला थाना प्रभारी से पीड़ित खिलाड़ी की सुनवाई नहीं थी। बल्कि उसके साथ अभद्र व्यवहार किया था। इसको लेकर तत्कालीन एसपी पंकज नैन ने थाना प्रभारी को लाइन हाजिर कर दिया था। इसके बाद पीडि़ता खिलाड़ी के बयान पर आरोपी सिपाही के खिलाफ केस दर्ज कर उसे गिरफ्तार किया था।
- अंबाला में करीब तीन माह पहले की बात है, जब एक व्यक्ति की बीवी उसे छोड़कर चले गई। जब उसे यह पता चला कि उसकी बीवी किसी दूसरे युवक के साथ रह रही है तो उसने पुलिस में शिकायत की। मगर पुलिस ने उसे कहा कि तू ठीक से नहीं रख पाया होगा, तभी तेरी बीवी भाग गई। लिहाजा शर्मिंदगी झेल रहा युवक थाने से चले गया। फिर उसने किसी तरह अपनी बीवी का पता लगाया और खुद उस मकान तक पहुंच गया, जहां वह रह रही थी। कुछ फोटो लेने के बाद वह पुलिस के पास पहुंचा। बोला, देखो साहब मैं सच कह रहा था। इस पर भी पुलिस ने उसका साथ नहीं दिया और उसे ही जेल में ठूसने तक की बात कह डाली। पुलिस बोली, औरतों के लिए सख्त कानून बने हैं। अगर उसने कुछ किया तो तेरी बीवी तुझ पर ही आरोप लगा देगी। यही कारण है कि आज तक उसकी समस्या का हल नहीं हो पाया।
वाहन चोरी के केसों में ज्यादा दिक्कत :
ज्यादातर दिक्कत वाहन चोरी के केसों से जुड़े प्रभावित को आती है। जब भी प्रभावित शिकायत लेकर चौकी या थाने जाता है तो उसे आफत के समान देखा जाता है। बोला जाता है कि अभी अपने स्तर पर तलाश करो। अगर नहीं मिली तो बताना। जब प्रभावित अगले दिन जाता है तो भी उसकी एक नहीं सुनी जाती। तकरीबन मामलों में प्रभावित को चार से पांच दिन चक्कर कटवाए जाते हैं। कभी संबंधित कर्मचारी ड्यूटी आने का हवाला देते हैं तो कभी निजी काम से बाहर जाने की बात कहकर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेते हैं। हाल ही में एक घर में हुई चोरी के मामले में पुलिस ने प्रभावित से कहा कि अगर अंदर से ताला लगाकर कूदकर बाहर आ जाते तो सेफ रहते। तुम्हारी गलती के कारण ही चोरी हुई है।

यहां खाकी बदनाम :- नशा तस्करों से मोटी रकम वसूलने वाले सहायक थानेदार और सिपाही नामजद, दोनों फरार

यहां खाकी बदनाम :- नशा तस्करों से मोटी रकम वसूलने वाले सहायक थानेदार और सिपाही नामजद, दोनों फरार एसटीएफ की कार्रवाई में आरोपियों से...