शनिवार, फ़रवरी 17, 2018

Kalakriti Staged Yeh Zindagi

Patiala, Feb.17- Punjab and Sind Bank & North Zone Cultural Centre (Ministry of Culture, Govt. of India) Patiala collaboration with the Kalariti Patiala, Punjabi Play "Yeh Zindagi" staged at Kalidasa Auditorium Virsa Vihar Kender NZCC Patiala.  The play based on Chitra Mudgill's Famous Hindi  Novel, "Gilli Guddu" and it was written and directed by Noted Theatre Director, Actress and short Film  Director Parminderpal Kaur.  Attempts were made to focus on the aspects of how a senior citizen of a particular class neeeds to go through difficulties while living in the family in every family of the society.  

Parminder Pal Kaur's latest dramatic tour-de-force 'Yeh Zindgi'  is a soul-stirring play poignantly depicting the unspeakable agony, humiliation and shame suffered by senior citizens in the so-called civilized society of the 21st century.
   
In the play Er. Jaswant Singh and Col. Swamy, not  withstanding their past glory are representative of  millions of their unfortunate brethren who are condemned to lead miserable lives because of the apathy, indifference and cruelty of their own children.  They desperately  try  to maintain the facade of being loved and accepted, but chinks in their armour betray their hollow claims.

The play is a powerful indictment of contemporary society which in its quest for mad, materialistic success and prestige, is biding adieu to time honoured values and human relations that have sustained the grand edifice of humanity for centuries.   

The all artists of Yeh Zindagi are fine actors and their names are follows Ravi Bhushan, Parminderpal Kaur, Er. M.M.Sayal, Surjit, Meenakshi Verma, Chandan Baloch, Vicky Chohan, Roop Kaur Sandhu and Nirmal Singh Sandhu.  Back stage credit goes to Production Incharge Gopal Sharma, Musuc of Harjit Guddu, lights of Harsh Sethi.  Stage & costumes design by Parminder Pal Kaur , Make up by Chandan Baloch, and set-props by Nirmal Singh. S.Avtar Singh Arora, President, Kalakriti Patiala welcomed the guest.  Dr. Manju Arora conduct the stage beautifully.  She spoke about the kalakriti staged passed productions.


On this occasion S.Bhupinder Pal Singh Kanwal, DGM Punjab and Sind Bank, Patiala Zone was the Chief Guest. Mr. Kanwal while appreciating the role of the Kalakriti & Parminderpal Kaur and NZCC.  He said Kala Kriti Patiala for organizing such a wonderful play.  It is a matter of concern that todays generation neglect their parents/grand parents and in turn are deprived of the vast plethora of knowledge that they pass on to the young ones.  This play is the perfect depiction of the scenario in todays society.  

On this occasion Mr. Kanwal said ,  year 1908, when a humble idea to uplift the poorest of poor of the land culminated in the birth of Punjab & Sind Bank with the farsighted vision of luminaries like Bhai Vir Singh, Sir Sunder Singh Majitha and Sardar Tarlochan Singh. They enjoyed the highest respect with the people of Punjab.

The bank was founded on the principle of social commitment to help the weaker section of the society in their economic endeavours to raise their standard of life.  On 15 April 1980 Punjab & Sind Bank was among six banks that the Government of India nationalised in the second wave of nationalisations. Sutlej Gramin Bank is a Regional Rural Bank sponsored by Punjab & Sind Bank.

The Bank has a business of 1,53,483 crores with 1500 branches pan india and 80 branches under Zonal offices, Patiala in 3 districts of Patiala, Barnala, Sangrur.

Decades have gone by even today Punjab & Sind Bank stands committed to honor the social commitments of the founding fathers. 

पंजाब में हर 1000 में से 33 बच्चों की मौत 5 साल पूरा होने से पहले हो जाती


·         पंजाब में, 5 साल से कम उम्र के प्रत्येक 1000 बच्चोँ में से शहरी और ग्रामीण इलाकोँ में क्रमशः 24 और 39 बच्चोँ की मौत हो जाती है।
·         राज्य में 5 साल से कम उम्र के बच्चोँ की मृत्यु दर के मामले में उनकी माताओँ की बचपन और किशोरावस्था में खराब सेहत भी जिम्मेदार होता है।

 दुनिया भर में तकरीबन 56 लाख बच्चे 5 साल की उम्र से पहले मृत्यु के शिकार हो गए हैं। भारत में यह संख्या 9 लाख हैजिसके साथ दुनिया भर में 5 साल से कम उम्र की मृत्यु दर में भारत की भागीदारी 16% है।

पंजाब में प्रत्येक 1000 बच्चोँ में से 33 की मौत 5 साल की उम्र से पहले हो जाती है। शहरी इलाकोँ में यह अनुपात जहाँ 1000 पर 24 का है वहीँ ग्रामीण इलाकोँ में यह अनुपात बढकर 1000 पर 39 मौतोँ का हो जाता है।

कोलम्बिया एशिया हॉस्पिटल, पटियाला के डॉ नीरज अरोड़ा, सलाहकार निनाटोलॉजिस्ट और बाल चिकित्सा विशेषज्ञ कहते हैं, भारत में 0 से 59 माह के बच्चोँ की मृत्यु कई कारणोँ से होती है, इनमेँ जन्म के समय कम वजन, प्रेग्नेंसी और जन्म के समय की जटिलताएँऔर संक्रमण आदि शामिल हैं। जिन बीमारियोँ की वजह से बच्चे मरते हैं उनमेँ मुख्य रूप से डायरिया, मलेरिया, न्युमोनिया और श्वसन सम्बंधी संक्रमण शामिल है।हालांकि, पोषण की कमी और खराब ग्रोथ जैसे कारण ऐसे नजर नहीं आते हैं, लेकिन देशभर में लाखोँ बच्चे इन कारणोँ से भी अपनी जान गंवाते हैं। दुर्भाग्यवश भारत अब भी 5 साल से नीचे की उम्र में होने वाली मौतोँ क मामले में अब भी सबसे आगे है।“ 
 
बहुत सारे बच्चे जहाँ समय से पहले मृत्युबीमारियोँ और संक्रमण की वजह से मर जाते हैंवही बहुत सारे मामलोँ में पोषण की कमी भी जीवन की सम्भावना को बेहद कम कर देती है। से 5 साल की उम्र तक सम्पूर्ण विकासऔर रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित होने के लिए बच्चोँ को भरपूर पोषण की जरूरत होती है। जिन परिवारोँ के पास पोषक आहार उपलब्ध नहीं है अथवा इसे खरीदने की उनकी क्षमता नहीं हैउन परिवारोँ के बच्चोँ का विकास प्रभावित होता हैजिसके चलने उनका दिमाग अविकसित रह जाता हैरोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है और उनकी सेहत खराब रहती है।

एक अन्य कारक ऐसा भी है जो बच्चे की सेहत को सीधे-सीधे प्रभावित करता है लेकिन अक्सर उसे अनदेखा कर दिया जाता हैयह कारक है माँ की सेहतजो न सिर्फ गर्भावस्था में 9 महीने तक बच्चे को अपने पेट मे पालती हैबल्कि नवजात बच्चे के पोषण और आहार का प्राथमिक स्रोत भी होती है।

डॉ नीरज अरोड़ा कहते हैंयह समझना बेहद जरूरी है कि भारत की 70% किशोर लडकियाँ एनीमिया ग्रस्त हैं और खराब पोषण के साथ जी रही हैं। इनमेँ से लगभग आधी लडकियोँ का बॉडी मास इंडेक्स सामान्य से कम है। इस सबका असर भविष्य में उनके गर्भ और बच्चे पर भी पडने वाला है। अकेले पंजाब में ही, 42% गर्भवती महिलाएँ एनीमिया से ग्रसित  हैं। ऐसे में इस बात का अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है कि क्योँ प्रत्येक 1000 बच्चोँ में 29 की मौत 5 साल की उम्र से पहले ही हो जाती है।“

अध्ययनोँ में पाया गया है कि पढी-लिखी माओँ के बच्चोँ के सर्वाइवल का चांस अधिक रहता हैऔर दूसरी तरफ 20 साल से कम उम्र में माँ बनने वाली महिलाओँ के बच्चोँ के 5 साल से कम उम्र में मरने का खतरा सबसे अधिक रहता है। इससे साबित होता है कि पढी-लिखी माँएँ अपना और अपने बच्चे का बेहतर खयाल रख सकती हैंवहीँ ऐसी लडकियाँ जो किशोरावस्था के अंतिम पडाव में पहुंचते-पहुंचते माँ बन जाती हैं उनकी सेहत बच्चा पालने के लिए अनुकूल नहीं होती हैखासतौर से समाज के गरीब तबके की लडकियोँ के मामले में।

गर्भावस्था में माँ की सेहत कैसी रहती हैइससे भी बच्चे की सेहत और सर्वाइवल पर असर पडता है। एक गर्भवती महिला को गर्भ सम्बंधी सारी सावधानियाँ बरतनेदेखभाल और डॉक्टरी सलाह की जरूरत होती हैजो कि राज्य के अधिकतर हिस्सोँ में नही हो पाता है।

चूंकि अधिकतर बच्चोँ की मौत उन बीमारियोँ से होती है जिनसे बचाव सम्भव हैऐसे में ग्रामीण और गरीब इलाकोँ में प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाओँ का बेहतर होना अनिवार्य है। पूरे राज्य में कुपोषण की समस्या को गम्भीरता से लेने की जरूरत है। अच्छी स्वास्थ्य देखभाल के साथ गरीब और सुविधा विहीन लोगोँ हेतु पोषण के सस्ते विकल्प उपलब्ध होने चाहिए।

पंजाब में अंडर 5 मृत्यु दर को नीचे लाने के लिए कई स्तर पर प्रयास करने की जरूरत हैजिसमेँ माँ और बच्चे को बेहतर देखभाल उपलब्ध करानापोषण और इलाज के लिए सस्ती व सुलभ सुविधाएँ मुहैया कराना बेहद जरूरी है।

सोमवार, फ़रवरी 05, 2018

शतरंज के प्लेयर की मानिंद खेलता है क्रिकेट में युजवेंद्र चहल

युजवेंद्र चहल दुनिया के ऐसे दो गेंदबाजों में शुमार हैं, जिनके नाम ट्वेंटी-20 क्रिकेट में एक मैच में 6 विकेट लेेने का कारनामा दर्ज है। वह क्रिकेट के साथ शतरंज के भी अच्छे खिलाड़ी रह चुके हैं। शतरंज के खेल में भी में भी वे भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।
पिता केके चहल वकील हैं। युजवेंद्र ने 7 साल की उम्र में जब खेलों की दुनिया में कदम रखा तो क्रिकेट और शतरंज दोनों में अपनी प्रतिभा का कमाल दिखाना शुरू किया। अंडर 12 वर्ग में युजवेंद्र नेशनल चेस चैंप रह चुके हैं। कोझिकोड में एशियन यूथ चैंपियनशिप में वे भारत की तरफ से शामिल हुए। इसके बाद ग्रीस में वर्ल्ड यूथ चैंपियनशिप में देश के लिए खेले। चेस में उनका उभरता कॅरिअर कोई प्रायोजक नहीं मिल पाने के कारण ठप हो गया। इस खेल को जारी रखने के लिए युजवेंद्र को हर साल लगभग 50 लाख रुपए की जरूरत थी, जोकि बिना किसी प्रायोजक के संभव नहीं था। आखिरकार युजवेंद्र ने शतरंज की बजाय क्रिकेट पर फोकस किया। पिता ने बेटे को अपने डेढ़ एकड़ खेत मेें उसकी प्रैक्टिस के लिए क्रिकेट पिच बनवा दी।
सपना तो विश्वनाथन आनंद बनना था
उसे बचपन से ही क्रिकेट और शतरंज आकर्षित करते रहे। वह शतरंज को लेकर बहुत क्रेजी था और उसका रोल मॉडल विश्वनाथन आनंद थे। आनंद बनने के सपने को पूरा करने के लिए वह जी भरके प्रैक्टिस करता था। जींद में बहुत अच्छे शतरंज के खिलाड़ी नहीं थे और न वहां कोई ट्रेनिंग की सुविधा। चंद स्टेट प्लेयर के साथ ही वह प्रैक्टिस से अपना गेम सुधारने की कोशिश करता था। किस्मत को कुछ और ही मंजूर था, शुरुआती सफलता मिली, पर स्पांसर नहीं मिला और शतरंज पीछे छूट गया। साल 2003 में वर्ल्ड क्रिकेट कप में भारत फाइनल में आस्ट्रेलिया से हार गया। और यही से चहल शतरंज छोड क्रिकेट की �"र मुड़ गया।
शतरंज के शह-मात से ही क्रिकेट जीता
शह-मात का खेल शतरंज और इसी की रणनीति चहल ने क्रिकेट में बल्लेबाजों को घेरने में बनानी शुरू की। शतरंज में विपक्षी खिलाड़ी की गलती पर भी सधी नजर होती है। यही फलसफा उसने क्रिकेट में अपनाया। इसलिए वो बतौर फिरकी गेंदबाज बल्लेबाज को फांसने की लिए उसी तर्ज पर खेलता है।
इसलिए शतरंज के खिलाड़ी की मानिंद बल्लेबाज के आक्रामक होने के बावजूद वो आनंद के स्टाइल में शांत रहकर अपनी रणनीतियों को अंजाम देता है।







गुरुवार, फ़रवरी 01, 2018

खुदकुशी करने वाले किसान इन 12 किसान दोस्तों से सीखें कर्ज मुक्ति का रास्ता, जिंदगी होगी मालामाल

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खमाणो ब्लॉक के गांव नानोवाल में फ्रैंड्स फार्मर्स वेलफेयर क्लब के किसान बातचीत करते 

 आज पंजाब में कर्जे तले दबे किसानों का मुद्दा सबसे हॉट इशू बना हुआ है। पिछले कुछ समय से राज्य में कर्जे के चलते किसानों की आत्महत्याओं की गिनती भी लगातार बढ़ी है। किसान सरकार से कर्जा माफी को लेकर जहां सूबे भर में आंदोलन कर रहे हैं, वहीं फतेहगढ़ साहिब जिले के खमाणो ब्लॉक के गांव नानोवाल के 12 किसान दोस्तों ने एक समूह बनाकर कर्जा व खर्चा से मुक्ति पाने का बेहतरीन रास्ता खोजा है। गांव नानोवाल के किसान गुरविंदर सिंह सोही ने अगस्त 2014 में अपने 12 दोस्तों के साथ मिलकर फ्रैंड्स फार्मर्स वेलफेयर क्लब बनाया। शुरुआत में 5 हजार रुपए प्रति किसान मेंबरशिप एकत्र करके खेतीबाड़ी के लिए साझे तौर पर इस्तेमाल होने वाली मशीनरी खरीदी। इससे सभी 12 दोस्तों ने मिलकर खेती करनी शुरू की। फायदा यह रहा कि महंगी मशीनरी खरीदने पर किसी एक किसान पर ज्यादा वित्तीय बोझ नहीं पड़ा। एक खर्चा 12 हिस्सों में बंट गया। इसके बाद इन 12 दोस्तों ने 6 महीने बाद (धान/गेहूं की एक फसल कटने के बाद)किसान सुविधा के मुताबिक रकम इकट्ठी करके मशीनरी में बढ़ोतरी शुरू कर दी। अब आलम यह है कि मौजूदा समय में इस समूह के पास रोटावेर, हैप्पी सीडर, तवियां, रिजर, पावर स्प्रे पंप, ट्रैक्टर ऑपरेटेड पंप, सीड ड्रिल आदि जैसी लगभग 5 से 6 लाख रुपए की महंगी मशीनरी तैयार कर ली है। इस सारी मशीनरी को ये 12 किसान अपनी जरूरत के मुताबिक खेती के लिए यूज कर रहे हैं। 
 165 एकड़ की खेती कर रहे हैं ये 12 किसान 
 इन 12 किसान दोस्तों जिनमें गुरकरण सिंह, बलजीत सिंह, हरिंदर सिंह, गुरप्रीत सिंह, सुखवंत सिंह, हरप्रीत सिंह, सतविंदर सिंह, गुरिंदर सिंह, बलविंदर सिंह, अमरजीत सिंह, वतनदीप सिंह का कहना है कि उनकी इस सामूहिक कोशिश के चलते उनकी खेती के लिए प्रति किसान होने वाले खर्चे में भारी कमी आई है। इससे उनकी आमदन में बढ़ोतरी हुई है। यही कारण है कि अब ये सभी 12 दोस्त निजी और ठेके पर मिलकर करीबन 165 एकड़ जमीन की खेती कर रहे हैं। 
 12 किसान दोस्त खुद ही बेचते हैं अपनी फसल 
 ये 12 दोस्त सिर्फ गेहूं धान के फसली चक्कर में ही नहीं उलझे हैं, बल्कि  अपनी फसल की ज्यादा आमदनी लेने के लिए सरसों का तेल, दालें, शहद, हल्दी, मिर्च, गेहूं, व मक्की का आटा, गुड़, शक्कर आदि उपभोक्ताओं को खुद बेच रहे हैं। इन सभी चीजों को बेचने के लिए ये 12 किसान दोस्त पंजाब के अलग अलग किसान मंडियों में स्टाल लगाने के लिए भी जाते हैं।  
 चाहते हैं पंजाब सरकार उन्हें सब्सिडी दें- 
 इन 12 किसान दोस्तों ने दैनिक भास्कर के माध्यम से पंजाब सरकार से अपील करते हुए कहा है कि महाराष्ट्र, कर्नाटक में किसान समूहों को राज्य सरकारों द्वारा खेती को उत्साहित करने के लिए विशेष रियायतें दी जाती हैं, जबकि पंजाब में डूबती किसानी को बचाने के लिए सरकारों द्वारा कुछ विशेष नहीं किया जा रहा है। उनके समूह की मांग है कि किसानों से कर्जा लेने की परंपरा को खत्म करने के लिए गांवों में किसान खेतीबाड़ी समूह बनाए जाएं और उनको मशीनरी, बीज, खाद आदि पर सब्सिडी पहल के आधार पर दी जाए।
 परमवीर सिंह

यहां खाकी बदनाम :- नशा तस्करों से मोटी रकम वसूलने वाले सहायक थानेदार और सिपाही नामजद, दोनों फरार

यहां खाकी बदनाम :- नशा तस्करों से मोटी रकम वसूलने वाले सहायक थानेदार और सिपाही नामजद, दोनों फरार एसटीएफ की कार्रवाई में आरोपियों से...