शुक्रवार, फ़रवरी 24, 2012

स्मृति शेष: अध्यात्म और शास्त्रीय संगीत को समर्पित रहे दिवंगत सोढी


सिखों के चौथे गुरु रामदास के 16वें वंशज गुरु हरेश सोढी का पूरा जीवन अध्यात्म और संगीत को समर्पित रहा। उनके जीवन का आधा हिस्सा जहां अध्यात्म के नाम रहा वहीं बाद में पुराने संगीत को विकसित करने में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। गुरु नानक देव जी की एक पोथी और एक माला आज तक इनके पास सुरक्षित रही है। इसी कारण इनकी गद्दी का नाम पोथीमाला के नाम से विख्यात हुआ। अध्यात्म के क्षेत्र में जहां इन्होंने लोगों का मार्गदर्शन किया वहीं क्षेत्र की भलाई के लिए भी इनके किए गए कार्यों ने समाज में विकास के रास्तों को प्रशस्त किया। 1995 में इन्होंने अपनी गद्दी अपने बेटे युवराज सिंह सोढी को दे दी और अपना बाद का जीवन इन्होंने शास्त्रीय और सूफियाना संगीत को बढ़ावा देने में लगाया। यही कारण है कि उन्होंने गुमनाम, उपेक्षित और उभरती प्रतिभाओं को मंच देने के लिए फीदा चैनल की स्थापना की। चैनल का मकसद था कि पथ भ्रष्ट करने वाले संगीत से युवाओं को बचाया जाए और उनको ऐसे संगीत से जोड़ा जाए जो सभ्याचार को विकसित करने वाला हो। भारत और पाकिस्तान के कई सूफी कलाकारों, $गजल गायकों को इन्होंने अपने चैनल के जरिए बेहतरीन मंच दिया। आज वे दुनिया में नहीं रहे लेकिन उनके दिए मार्गदर्शन, उनके द्वारा किए गए कार्यों और अध्यात्म तथा संगीत की दुनिया में उनकी बेहतरीन भूमिका के लिए हमेशा उन्हें याद रखा जाएगा।

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