मंगलवार, दिसंबर 31, 2013

पंजाब में आज तक नहीं पकड़ा गया कोई एसिड बेचने वाला


लुधियाना एसिड अटैक केस में शुक्रवार को विक्टिम की मौत के बाद पंजाब पुलिस अब जागी है। पीडि़़ता की मौत के बाद हरकत में आई पंजाब पुलिस ने जहां अब एसिड अटैक के केसेज में ढील बरतने वाले अपने ही अफसरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं, वहीं आरोपियों के खिलाफ 24 घंटे में कार्रवाई सुनिश्चित करने की भी बात कही है। डीजीपी कार्यालय ने ऐसे केसों में सभी जिलों के एसएसपी को 24 घंटे में कार्रवाई और आरोपियों की गिरफ्तारी सुनिश्चित करने के निर्देश जारी किए हैं। ऐसा न होने पर संबंधित जिले के अफसर जवाबदेह होंगे और उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उस दुकानदार को भी गिरफ्तार किया जाएगा, जिससे आरोपी ने एसिड खरीदा होगा। उसके खिलाफ साजिश में शामिल होने का केस दर्ज किया जाएगा। पंजाब पुलिस के आंकड़ों के अनुसार पिछले दो साल में राच्य में एसिड अटैक के 27 केस सामने आए हैं। इनमें मुख्य तौर पर लुधियाना, पटियाला, फगवाड़ा, मोहाली, फिरोजपुर, संगरूर आदि जिलों में हुई वारदातें शामिल हैं।
एसिड सेल रोकने के लिए क्या किया सरकार ने:-लुधियाना एसिड अटैक केस के बाद राच्य के मुख्य सचिव ने स्वास्थ्य विभाग और फूड एंड सप्लाई विभाग को निर्देश दे चुके हैं कि दुकानों पर एसिड सेल रोकने के लिए कार्रवाई की जाए। इसमें पुलिस के साथ मिलकर अभियान चलाया जाएगा। हालांकि इसके बाद भी अभी राच्य में एसिड सेल पर पूरी तरह पाबंदी नहीं लग पाई है। अभी भी एसिड सेल को लेकर सरकार द्वारा जारी गाइडलाइंस को अनदेखा किया जा रहा है। अभी तक राच्य में ऐसा कोई केस सामने नहीं आया है, जिसमें एसिड बेचने वाले किसी दुकानदार के खिलाफ कार्रवाई की गई हो।
ज्यादा ध्यान कैंसर के इलाज पर, जले की खास चिंता नहीं
न्यू चंडीगढ़ में 260 एकड़ में एक मेडिसिटी विकसित की जा रही है जिसमें टाटा कैंसर रिसर्च सेंटर एंड हॉस्पिटल के साथ एक कैंसर हॉस्पिटल की शुरुआत की जा रही है। मेडिकल सर्विसेज का सुधार तो तय है लेकिन इसमें समय लगेगा। राज्य में फोर्टिस, मैक्स, अपोलो हॉस्पिटल्स बर्न केयर सर्विसेज प्रदान कर रहे हैं लेकिन वे काफी महंगी है। सरकारी हॉस्पिटल्स में सुविधाओं का स्तर बेहतर नहीं है और पंजाब के अधिकांश एसिड अटैक या बर्न मामलों के मरीजों को पीजीआई, चंडीगढ़ ही आना पड़ता है।  प्रोग्रेसिव पंजाब सम्मिट में फोर्टिस करीब एक हजार करोड़ रुपए के निवेश से न्यू चंडीगढ़ में फोर्टिस सेंटर खोलने का ऐलान कर चुका है। मैक्स हेल्थकेयर ने भी मोहाली स्थित मैक्स हॉस्पिटल में 45 करोड़ रुपए के निवेश से 100 नए बेड्स की क्षमता विस्तार शुरू करने का ऐलान किया है।
मैक्स मोहाली में है अल्ट्रामार्डन बर्न केयर यूनिट: मैक्स हॉस्पिटल, मोहाली के डॉ. नरेश कौशल का कहना है कि हॉस्पिटल में एक पूरा बर्न केयर यूनिट है और मरीजों को हर प्रकार की आधुनिक केयर प्रदान की जाती है। एसिड और बर्न मामलों में मरीजों को प्राथमिक केयर से लेकर स्पेशलाइ'ड केयर तक प्रदान की जाती है। मरीजों को संपूर्ण इलाज के दौरान प्लास्टिक सर्जरी से पुराना लुक प्राप्त करने में भी मदद की जाती है।
6-7 सालों में मिला है 2200 करोड़: पंजाब को बीते 6-7 साल में ही 2200 करोड़ रुपए स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए दिए गए हैं, इसके बावजूद पंजाब में मेडिकल सेवाओं का स्तर नहीं सुधर पाया है। राज्य में इस तरफ व्यापक ध्यान देने की जरूरत है। सडक़ हादसों के दौरान अक्सर सिर में लगने वाली चोटों के इलाज के लिए पंजाबभर से मरीजों को पीजीआई चंडीगढ़ ही रेफर किया जाता है, क्योंकि लुधियाना के अलावा कहीं भी इमरजेंसी सेवाएं प्रदान करने वाले न्यूरो सर्जन उपलब्ध ही नहीं हैं। कुछ ऐसा ही हाल बर्न केयर सुविधाओं का भी है।
एसिड के इलाज के लिए एडवांस सेंटर की दरकार
एसिड अटैक पीडि़त के ट्रीटमेंट के लिए नर्दन रीजन को भी नेशनल बर्न केअर हॉस्पिटल (एनबीसीएच) जैसे एडवांस सेंटर की जरूरत है। पीजीआई और सफदरजंग रीजनल बर्न सेंटर के पास पास बर्न इंजरी के मरीजों के इलाज के लिए एक्सपर्टाइज और बुनियादी ढांचा तो है। लेकिन एसिड अटैक या बर्न इंजरी के मरीजों की स्पेशल केअर के लिए अलग से बड़ा संस्थान नही है। पीजीआई का प्लास्टिक सर्जरी डिपार्टमेंट ऐसे मरीजों के ट्रीटमेंट के लिए बर्न यूनिट में सुविधाएं हैं। लेकिन एसिड अटैक या बर्न इंजरी के बाद बिगड़ती हालत में होने वाले मल्टी ऑरगन इंफेक्शन के लिए स्पोर्ट सिस्टम दूसरे डिपार्टमेंट से लेना पड़ रहा है। इन हालात में एसिड अटैक या बर्न, थर्मल या इलेक्ट्रिक इंजरी के बाद गंभीर मरीजों के लिए एडवांस सेंटर की जरूरत है।
पीजीआई के पास सुविधाएं:-पीजीआई के पास एसिड,बर्न, इलेक्ट्रिक या थर्मल इंजरी के बाद ट्रीटमेंट का जि मा प्लास्टिक सर्जरी डिपार्टमेंट पर है। डिपार्टमेंट के पास ऐसी किसी भी इंजरी के बाद स्किन डैमेज हुए हिस्से को ठीक करने के लिए तो सुविधाएं और स्पेशलाइजेशन है। लेकिन इन मरीजों को अगर इंफेक्शन के बाद मल्टी ऑरगन प्राब्लम आने लगती है तो उसके लिए एनेस्थिसिया, नेफ्रोलॉजी और दूसरे डिपार्टमेंट के डॉक्टरों की मदद लेनी पड़ती है। लेकिन एनबीसीएच सिर्फ बर्न, केमिकल, इलेक्ट्रिकल और थर्मल इंजरी के ट्रीटमेंट की स्पेशलाइजेशन के लिए जाना जाता है लेकिन यहां पर किसी दूसरे अंग पर पडऩे वाले प्रभाव को रोकने के लिए स्पेशलाइज फैकल्टी हैं। हालांकि पीजीआई के पास किसी भी तरह की बर्न इंजरी से हुए नुकसान की भरपाई के लिए क्ले ट एंड पेलेट सर्जरी, क्रेनिओफेशिअल सर्जरी की सुविधा, टिश्यू ट्रांस्फर के लिए माइक्रोसर्जिकल ऑप्रेशन, स्किन री-ट्रांसप्लांटेशन, कंप्लीट स्पेक्ट्रम ऑफ हेंड इंजरी और एंडोस्कोपिक प्लास्टिक सर्जरी की सुविधा है। लेकिन इंफेक्शन बढऩे पर दूसरे डिपार्टमेंट की स्पोर्टलेनी पड़ रही है। यहां पर बर्नयूनिट के आईसीयू में 8 बेड और वेंटीलेटर के अलावा इमरजेंसी में भी 10 मरीजों के ट्रीटमेंट की सुविधा के साथ कुछ 53 मरीजों के ट्रीटमेंट का इंतजाम है।
एबीसीएच के पास सुविधाएं :-नेशनल बर्न स्किन हॉस्पिटल में एक्यूट बर्न सीक्वल ड्रेसिंग, कोला जेन एप्लीकेशन, डेब्रीडेमेंट ऑफ पोस्ट बर्न स्किन ग्रा िटंग, ड्रेसिंग विद वेसलीन बेटाडीन जैसी सुविधाएं हैं। एनबीएसएच के पास पोस्ट बर्न सीक्वल हाइपरट्रोफिक स्केर के तौर स्पेशल ट्रीटमेंट की सुविधा है। फिर यहां पर इंजरी में जली आंखों, नेक, एलबो, कान और दूसरे अंगों को हुए नुकसान को ठीक करने के लिए स्किन ग्रा िटंग हो रही है। ये ट्रीटमेंट पूरा होने के बाद सर्जिकल  असेस्मेंट के तौर स्किन ग्रा िटंग, जेड प्लास्टी, ज्वाइंट ट्रीटमेंट के लिए एक्स प्लास्टी और के वायरिंग की सुविधा है।
शराइनर बर्न इंस्टिट्यूट है मिसाल :-केमिकल, बर्न, थर्मल या इलेक्ट्रिकल इंजरी के बाद ट्रीटमेंट के लिए  लोरिडा का शराइनर बर्न इंस्टीट्यूट को प्रीमियर इंस्टीट्यूट माना जाता है। ऐसे मरीजों के ट्रीटमेंट के लिए इस इंस्टीट्यूट के पास मेडिकल, सर्जिकल और री-हेब्लीटेटिव ट्रीटमेंट की एडवांस सुविधा है। इन सुविधाओं में आग या एसिड अटैक के बाद पेशेंट को दर्द से बचाने के लिए पेन मेनेजमेंट पर सबसे पहले जोर दिया जाएगा। फिर फिजिकल एंड ऑक्यूपेशनल थेरेपी के लिए 3डी इमेजिंग के बाद सर्जरी की जाती है। किसी भी तरह की बर्न, केमिकल, थर्मल या इलेक्ट्रिकल इंजरी के बाद बाहरी घाव के बाद हड्डियां या ज्वाइंट को हुए नुकसान के लिए आईपी ज्वाइंट ट्रीटमेंट जैसी तकनीक उपलब्ध है। ऐसे मरीजों के लिए पोस्ट ट्रॉमा री-कंस्ट्रक्शन सेंटर अलग हैं। ऐसे मरीजों को मानसिक तौर पर किसी भी मरीज में आई हीनभावना को दूर करने के लिए फेमिली स्पोर्ट ग्रुप की मदद लेते हैं।
परसेंटज नही ज म की गहराई है अहम:-पीजीआई के प्लास्टिक सर्जरी डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. प्रमोद कुमार बताते हैं कि पीजीआई और सफदरजंग जैसे संस्थानों के पास एक बराबर सुविधाएं हैं। लेकिन एसिड या इलेक्ट्रिक इंजरी के बाद मरीजों के जले होने नही बल्कि उस अटैक के बाद कितनी गहराई तक असर हुआ, इस पर मरीज की स्थिति डिपेंड करती है। आग से 70 फीसदी जले हुए मरीज की जगह कई बार एसिड या इलेक्ट्रिकल इंजरी के बाद मरीज सिर्फ 15 फीसदी जला होता है। लेकिन उस ज म की गहराई इतनी ज्यादा होती है कि उसका ट्रीटमेंट काफी पेचीदा होता है।
एसिड अटैक में इसलिए होता है इंफेक्शन:- एसिड अटैक के पीडि़त में कई बार इंफेक्शन की संभावना ज्यादा होती है। क्योंकि एसिड या केमिकल अटैक के बाद पीडि़त के मुंह से कई बार तेजाब या दूसरा केमिकल मुंह से अंदर चला जाता है। ऐसे में पहले फेफड़े या फिर किडनी तक इंफेक्शन बढऩे पर दूसरे अंग डैमेज होने लगते हैं।

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