रियलिटी रिपोर्ट आयुष्मान भारत योजना
250 प्रकार के इलाज सिर्फ सरकारी अस्पताल में मरीज ले सकते हैं
जरूरतमंद मरीजों का 5 लाख रुपए तक का बड़े अस्पतालों में बेहतर इलाज के लिए आयुष्मान भारत योजना को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लांच किया था, लेकिन निजी अस्पतालों में मरीजों का इलाज सही ढंग से शुरू नहीं हो सका है। ज्यादातर लोगों को पता ही नहीं कि किस बीमारी का इलाज निजी अस्पताल में होगा और किसका सरकारी में। इसके चलते प्रदेश के जरूरतमंद लोग धक्के खा रहे हैं। प्रदेश में ऐसे अनेक केस सामने आए हैं, जिनमें पता चला है कि लोगों को निजी अस्पतालों में परेशान होना पड़ रहा है। मरीजों का कहना है कि वह निजी अस्पतालों में इलाज के लिए जाते हैं तो लौटा दिया जाता है। मरीजों की शिकायत पर भास्कर ने निजी अस्पतालों में योजना की पड़ताल की। पता चला कि कुछ बड़े निजी अस्पताल को छोड़कर अन्य अस्पतालों में आयुष्मान भारत चालू नहीं हई है। वहीं, जितने अस्पतालों ने आवेदन किया था, उनमें खामियों के चलते अनेक को अप्रूवल नहीं दी गई है। 1370 तरह के मुफ्त इलाज का लाभ पैनल में शामिल प्राइवेट अस्पतालों से मरीज ले सकते हैं, जबकि 250 प्रकार के इलाज सिर्फ सरकारी अस्पताल में मरीज करा सकते हैं। निजी अस्पतालों के डॉक्टरों का मानना है कि पेमेंट के लिए डेढ़ से दो महीने तक इंतजार करना पड़ रहा है। वहीं योजना के जिला मैनेजर सोहन का कहना है कि पेमेंट 15 दिन में हो जाती है। अगर फिर भी किसी अस्पताल की पेमेंट रुकती है तो उसमें या तो कोई गलत पैकेज सेलेक्ट किया होता या फिर डॉक्यूमेंट गलत हो सकते हैं।
योजना में यहां आ रही परेशानी
- 276 बीमारियों को रिजर्व पैकेज में शामिल किया है। यानि जो बीमारियां रिजर्व पैकेज में शामिल हैं, उनका इलाज सरकारी अस्पताल में होगा। इस कारण कोई खास फायदा नहीं हो रहा। इन बीमारियों का इलाज निजी अस्पतालों में नहीं है।
- सोनीपत के तीन बड़े निजी अस्पतालों ने योजना से जुड़ने से किनारा कर लिया है। कारण इन अस्पताल के मालिकों को सर्जरी के रेट काफी कम लगे।
- निजी अस्पतालों को गोल्डन कार्ड बनाने की ट्रेनिंग पूरी तरह से नहीं दी गई। अस्पताल संचालकों का कहना है कि सरकार के नियम काफी सख्त व ज्यादा है। पेमेंट के लिए डेढ़ से दो महीने तक इंतजार करना पड़ रहा है। कई बार जो रिपोर्ट और पैकेज बनाकर भेज देते हैं, वो रिजेक्ट हो जाते हैं।
- गाॅल ब्लाडर समेत रुटीन के ऑपरेशन के लिए निजी अस्पतालों को योजना के तहत अधिकृत नहीं किया है। लाेग आकर कहते हैं कि 5 लाख तक सभी इलाज निशुल्क हैं।
- सरकारी अस्पतालों में होने वाले ट्रीटमेंट को प्राइवेट अस्पतालों में शामिल नहीं किया है। इसके अलावा जो ट्रीटमेंट प्राइवेट अस्पतालों में होता है, उसे सरकारी अस्पतालों में शामिल नहीं किया गया।
- स्वास्थ्य विभाग ने प्रचार तक नहीं किया कि कौन-कौन सा इलाज सरकारी और निजी अस्पतालों में कैशलेस मिलेगा।
ये हैं 4 उदाहरण, जिनमें से 2 को मिला इलाज, 1 को भटकना पड़ा, एक का कार्ड नहीं बना
- घरोड़ा निवासी 80 वर्षीय केशो देवी परिवार के साथ कुछ दिन पहले सिविल सर्जन डाॅ. डीएन बागड़ी से बीमारी में मदद लेने के लिए आई थी। डाॅ. बागड़ी ने उनका रिकॉर्ड आयुष्मान योजना में चेक कराया और उनका नाम योजना में शामिल मिलते ही उनका गोल्डन कार्ड बनाया गया। फिर बीते सप्ताह प्रेम अस्पताल में केशो देवी की प्लास्टिक सर्जरी का सफल इलाज हुआ। इसमें अस्पताल को सरकार की ओर से करीब 25 हजार रुपए भेजे गए हैं। महिला ने कहा कि उनके लिए ये योजना किसी वरदान से कम नहीं है।
- पानीपत निवासी गौतम कुमार 9 वर्षों से नाक से ठीक प्रकार से सांस नहीं ले पाता था, इस कारण उसको बहुत तकलीफ होती थी। उसने बताया कि नाक से सांस नहीं आने के कारण वह कई सालों से उल्टा लेटकर सोता था। ताकि नजला अंदर की बजाए बहार टपकता रहे। उसने बताया कि उसका पिता वेदपाल फैक्ट्री में काम करता है। इस कारण वह ऑपरेशन नहीं करा पा रहा था। उसने एक दिन अपना नाम योजना में चेक किया तो उसका नाम शामिल मिला। उसके बाद उसने गोल्डन कार्ड बनवाकर अग्रसेन अस्पताल में इलाज कराया।
- रेवाड़ी के धारूहेड़ा चुंगी स्थित विराट अस्पताल में कोसली क्षेत्र से एक व्यक्ति गाॅल ब्लेडर के ऑपरेशन के लिए पहुंचा। व्यक्ति ने आयुष्मान योजना में उपचार निशुल्क होने की बात कही। चिकित्सकों ने उसे बताया कि ऐसेे छोटे ऑपरेशन निजी अस्पताल के लिए योजना में शामिल नहीं हैं।
- फरीदाबाद की एनआईटी निवासी मंजू ने बताया कि वह एक माह पहले लिस्ट में अपना नाम देख चुकी है लेकिन अभी तक गोल्डन कार्ड नहीं बना है। वह एक दिन बीके में कार्ड बनवाने गई थीं, लेकिन भीड़ अधिक होने से कार्ड नहीं बना पाया।
अस्पतालों के तर्क
आईएमए का कहना है कि अभी तक उनके पास इलाज के लिए मरीज नहीं पहुंच रहे हैं। इसका बड़ा कारण योजना में बीमारियों के रिजर्व पैकेज का किया गया प्रावधान है। गंभीर बीमारी का इलाज किस अस्पताल में होगा, यह क्लियर नहीं। कॉरपोरेट अस्पतालों में तो स्टाफ हैं, छोटे अस्पताल के डॉक्टरों को क्लर्की करनी होगी। जिस अस्पताल में भोजन की व्यवस्था नहीं है,वहां परेशानी है। इलाज के पैकेज में ही सब कुछ करना है, जो संभव नहीं है।
प्रदेश के किन जिलों के कितनों अस्पतालों में इलाज संभव
नारनौल : यहां 44 हजार परिवारों को आयुष्मान भारत योजना में शामिल किया है। इसके तहत जिले के 6 अस्पतालों को शामिल किया है। इनमें 4 निजी और 2 सरकारी अस्पताल शामिल हैं। यहां इनमें पात्र लोगों का निशुल्क इलाज शुरू हो चुका है। बता दें कि 10 से अधिक निजी अस्पतालों ने योजना के लिए आवेदन किया था, लेकिन 6 ने शर्तें पूरी नहीं की।
जींद : जिला में अभी तक किसी भी निजी अस्पताल में लाभपात्र का इलाज नहीं हो पाया है। यहां से 9 अस्पतालों ने आवेदन किया था, लेकिन 5 को ही लॉगइन मिला है। जो लाभपात्र पहुंचे उनका सिविल अस्पताल में ही इलाज किया जाता है, नहीं तो पीजीआई रेफर किया जाता है। सिविल अस्पताल में 27 लाभपात्र का इलाज हुआ है।
सोनीपत : 20 निजी अस्पताल पैनल से जुड़े हैं, जबकि 6 की फाइल पेंडिंग है। यहां गोल्डन कार्ड 80 हजार के बनने हैं, जबकि बने सिर्फ 6500 के हैं। गोल्डन कार्ड के लिए भी लाइन लग रही है। काउंटर नहीं बढ़ाए गए। अब तक 65 मरीजों की सर्जरी व फिजिशियन से जांच हुई है।
सिरसा : जिले के 82 हजार परिवार शामिल हैं। 11 बड़े प्राइवेट और 4 सरकारी अस्पतालों को पैनल में लिया है, जबकि 20 प्राइवेट अस्पतालों ने आवेदन किया था। 5 हजार पात्रों ने कार्ड बनवाए हैं। 51 मरीजों ने पैनल में शामिल विभिन्न अस्पतालों से इलाज लिया है। 14 मरीजों का इलाज सरकारी अस्पताल में संभव हो पाया है। यहां सभी में इलाज शुरू हो चुका है।
फतेहाबाद : कुल 7 अस्पतालों में योजना लागू हो पाई है। इसमें 4 सरकारी और 3 प्राइवेट अस्पताल हैं। अभी तक प्राइवेट अस्पताल में एक भी व्यक्ति का इलाज नहीं हुआ है। सरकारी अस्पतालों में 36 लोग उपचार करा चुके हैं।
भिवानी : चौ. बंसीलाल सामान्य अस्पताल सहित जिले के अन्य सब डिविजन अस्पतालों में आयुष्मान योजना के तहत सुविधा दी जा रही है। प्रदेश में अभी तक सबसे ज्यादा गोल्डन कार्ड भिवानी में 18 हजार बनाए हैं। यहां जितने अस्पतालों ने आवदेन किया था, सभी में इलाज शुरू हो चुका है।
पानीपत : 135 निजी अस्पताल है, लेकिन योजना से जुड़ने के लिए मात्र 27 अस्पतालों ने लॉगइन किया।
रेवाड़ी : रेवाड़ी के 16 अस्पतालों ने ऑनलाइन आवेदन किया, लेकिन 12 के रद्द हो गए,क्योंकि अस्पतालों से फायर सेफ्टी, प्रदूषण समेत कई तरह की एनओसी मांगी गई, एक भी डॉक्यूमेंट कम रहने के चलते आवेदन रद्द किए जा रहे हैं। चार को छोड़कर बाकी किसी भी अस्पताल को पैनल में नहीं जोड़ा गया।
महेंद्रगढ़ : 44 हजार परिवारों को शामिल किया है। 6 अस्पतालों को शामिल किया है। इनमें 4निजी अस्पताल व 2 सरकारी अस्पताल शामिल हैं।
करनाल : 20 प्राइवेट अौर 4 सरकारी अस्पतालों को लॉगइन मिला है। 2 नए प्राइवेट अस्पतालों का अप्रूवल के लिए नामांकन किया है। करीब 30 अस्पतालों ने अप्रूवल के लिए अप्लाई किया था। 24 में लोगों को सुविधाएं मिल रही है।
हिसार : एक लाख लाभार्थियों को योजना का लाभ मिलना है। करीब 8 हजार लाभार्थियों को गोल्डन कार्ड बन चुके हैं। 40 के करीब निजी अस्पतालों ने आवेदन किया था, जिसमें से 13को जोड़ा गया है।
फरीदाबाद : करीब साढ़े छह लाख लोगों के गोल्डन कार्ड बनने हैं, पर सिर्फ साढ़े पांच हजार लोगों की पहचान हो पाई है और इतने ही कार्ड बन सके हैं। स्वास्थ्य विभाग ने दो माह में सिर्फ11 निजी अस्पतालों को ही जोड़ा है।
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