शनिवार, फ़रवरी 02, 2019

यहां मत जाना, जिल्लत से करते हैं स्वागत श्रीमान जी, शिकायतकर्ता से थाने में पूछे जाते हैं अपराधियों की तरह सवाल

- पुलिस वालों के बर्ताव से परेशान होकर काफी लोग नहीं करते थाने में जाकर शिकायत
- छेड़छाड़ वाले मामलों में लड़कियां या महिलाएं नहीं जाना चाहती थाने
- नाबालिग लड़कियों से भी पूछताछ वर्दी में पूछताछ करते हैं पुरुष पुलिस कर्मी

हरियाणा के थानों में श्रीमान जी शिकायत लेकर जाने वालों से सभ्य व्यवहार नहीं करते हैं। जो भी शिकायतकर्ता जाता है उससे गंदा व्यवहार करते हैं। कई बार तो लड़की से छेड़छाड़ और गुमशुदा की रिपोर्ट लिखवाने गए घरवालों से पुलिस बेतुके सवाल करती है। यही वजह है कि अब काफी लोग तो थानों में शिकायत लेकर जाना भी पसंद नहीं करते। खासकर छेड़छाड़ आदि के मामलों में तो युवतियां या महिलाएं थाने जाने से घबराती हैं। भले ही सरकार ने महिला थाने खोल दिए हैं। ऑपरेशन दुर्गा शुरू कर रखा है। लेकिन अब भी हरियाणा में पुलिस का बर्ताव वैसा नहीं है जैसा कि होना चाहिए। कोई भी व्यक्ति मजबूरी में अपनी शिकायत लेकर थाने जाता है। इस स्थिति में पुलिस को उसकी मदद करनी चाहिए लेकिन पुलिस उससे ही आरोपियों की तरह सवाल करने लगती है। छेड़छाड़ करने वाले स्पॉट को लेकर पुलिस कितनी गंभीर है इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि पिछले दिनों पानीपत में एक भाई ने अपनी बहन से छेड़छाड़ का फुटेज सीसीटीवी से खुद ही घूम-घूम कर निकाला, जोकि पुलिस की जिम्मेदारी थी। इसीलिए बहुत से मामलों में लड़कियां और परिजन शिकायत करने से बचते हैं।
कानून के नियमों की भी नहीं है प्रवाह :
पाक्सो एक्ट में स्पष्ट है कि जब भी किसी नाबालिग बच्ची के साथ रेप या छेड़छाड़ की घटना की कोई शिकायत मिलती है तो पुलिस उसे थाने नहीं बुलाएगी। महिला पुलिसकर्मी सादी वर्दी में उसके घर जाकर ही उससे सवाल-जवाब करेगी। लेकिन यहां तो इन नियमों को भी ताक पर रख कर पुलिस काम करती है। नाबालिग लड़कियों को भी पुलिस थाने बुलाती है, जहां काफी पुरुष पुलिसकर्मी वर्दी में होते हैं। जिन्हें देख ही नाबालिग घबरा जाती हैं। इसके बाद पुरुष पुलिस कर्मी उनसे घटना को लेकर तरह-तरह की अजीब सवाल पूछते हैं। जिससे घबराहट में बच्चियां अपनी बात नहीं रख पाती और उन्हें न्याय नहीं मिलता।
कहां गए वो हेल्प डेस्क :
पिछले दिनों सरकार की तरफ से निर्देश जरी किए गए थे कि सभी थानों में आमजन की सुविधा के लिए एफआईआर रजिस्ट्रेशन सैल स्थापित किए जाएं। शिकायत लेकर आने वालों के लिए हेल्प डेस्क बनाए जाएं। कई जगह पर ये बनाए भी गए लेकिन अब ये डेस्क भी खाली पड़े रहते हैं। शिकायतकर्ता भटकते रहते हैं, उन्हें अपनी एफआईआर तक नहीं लिखनी आती। जबकि इन्हें शुरू करने का उद्देश्य पीडितों को सीधा थाने के अंदर जाने की बजाए बाहर ही एफआईआर रजिस्ट्रेशन, एडवाइजरी व एफआईआर ऑन द स्पॉट लिखने की सुविधा देना था।
इन मामलों से समझिए माननीयों का कैसा है व्यवहार :
- हिसार के आर्य नगर वासी विनोद का कसूर इतना कि उसने महिला एसआई पर अवैध वसूली का वीडियो वायरल करके भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत केस दर्ज करवाया था। अपनी मुलाजिम पर एफआईआर दर्ज होने से नाराज पुलिस कर्मियों ने विनोद के साथ मुजरिम जैसा व्यवहार किया। उसे पूछताछ के नाम पर इतने प्रश्न पूछे कि जैसे उसने ही गुनाह किया है। यही वजह है कि विनोद अब थाने में जाने से कतराता है। उसने बताया कि पहली बार पुलिस से सामना हुआ लेकिन एक्सपीरियंस बुरा ही रहा।
- हिसार में साइबर ठगों ने शहर के एक व्यक्ति के खाते से 6 हजार रुपए की राशि दूसरे खाते में ट्रांसफर कर ली। पीड़ित पुलिस के पास शिकायत दर्ज करवाने गया तो उसकी फरियाद सुनने की बजाए पुलिस ने सवालों की बौछार कर दी। उसे कहा कि क्यों एटीएम कोड बताया। आप जैसे पढ़े-लिखे भी शिकार हो गए। अब क्या करोगे शिकायत दर्ज करवाकर। ये मामले कहां ट्रेस होते हैं। 6 हजार के चक्कर में आरोपी को ट्रेस कर उसे पकड़ने के लिए जाने पर चार-पांच गुना राशि खर्च हो जाएगी। कोई गारंटी भी नहीं वह पकड़ा जाए। पीड़ित को इतना निराश कर दिया कि वह बिना शिकायत दर्ज करवाए लौट आया।
- रोहतक के शीला बाईपास पर ट्रैफिक पुलिस के जवान ने एक खिलाड़ी के साथ छेड़छाड़ की थी। इस मामले की शिकायत लेकर खिलाड़ी महिला थाना पहुंची थी तो महिला थाना प्रभारी से पीड़ित खिलाड़ी की सुनवाई नहीं थी। बल्कि उसके साथ अभद्र व्यवहार किया था। इसको लेकर तत्कालीन एसपी पंकज नैन ने थाना प्रभारी को लाइन हाजिर कर दिया था। इसके बाद पीडि़ता खिलाड़ी के बयान पर आरोपी सिपाही के खिलाफ केस दर्ज कर उसे गिरफ्तार किया था।
- अंबाला में करीब तीन माह पहले की बात है, जब एक व्यक्ति की बीवी उसे छोड़कर चले गई। जब उसे यह पता चला कि उसकी बीवी किसी दूसरे युवक के साथ रह रही है तो उसने पुलिस में शिकायत की। मगर पुलिस ने उसे कहा कि तू ठीक से नहीं रख पाया होगा, तभी तेरी बीवी भाग गई। लिहाजा शर्मिंदगी झेल रहा युवक थाने से चले गया। फिर उसने किसी तरह अपनी बीवी का पता लगाया और खुद उस मकान तक पहुंच गया, जहां वह रह रही थी। कुछ फोटो लेने के बाद वह पुलिस के पास पहुंचा। बोला, देखो साहब मैं सच कह रहा था। इस पर भी पुलिस ने उसका साथ नहीं दिया और उसे ही जेल में ठूसने तक की बात कह डाली। पुलिस बोली, औरतों के लिए सख्त कानून बने हैं। अगर उसने कुछ किया तो तेरी बीवी तुझ पर ही आरोप लगा देगी। यही कारण है कि आज तक उसकी समस्या का हल नहीं हो पाया।
वाहन चोरी के केसों में ज्यादा दिक्कत :
ज्यादातर दिक्कत वाहन चोरी के केसों से जुड़े प्रभावित को आती है। जब भी प्रभावित शिकायत लेकर चौकी या थाने जाता है तो उसे आफत के समान देखा जाता है। बोला जाता है कि अभी अपने स्तर पर तलाश करो। अगर नहीं मिली तो बताना। जब प्रभावित अगले दिन जाता है तो भी उसकी एक नहीं सुनी जाती। तकरीबन मामलों में प्रभावित को चार से पांच दिन चक्कर कटवाए जाते हैं। कभी संबंधित कर्मचारी ड्यूटी आने का हवाला देते हैं तो कभी निजी काम से बाहर जाने की बात कहकर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेते हैं। हाल ही में एक घर में हुई चोरी के मामले में पुलिस ने प्रभावित से कहा कि अगर अंदर से ताला लगाकर कूदकर बाहर आ जाते तो सेफ रहते। तुम्हारी गलती के कारण ही चोरी हुई है।

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