अंतरनिहित संक्रमण और अस्वस्थ्य स्थितियाँ होने पर हमारा शरीर कुछ लक्षणोँ के जरिए हमेँ आगाह करता है। आमतौर पर नजरअंदाज कर दिए जाने वाले ये लक्षण हमारा ध्यान समस्या की ओर आकर्षित करने के लिए होते हैं। इसके अलावा, यह जानना भी बेहद जरूरी होता है कि किस अस्वस्थ्य व्यक्ति को संक्रामक बीमारी हुई है, ताकि हम सब बीमारी की चपेट में आने से खुद का बचाव कर सकेँ।
पटियाला: भारत में तमाम सामाजिक-आर्थिक व सांस्कृतिक कारणोँ के चलते बहुत सारे लोग समय पर डॉक्टर के पास नहीं जाना चाहते हैं। कई बार ऐसा भी होता है कि लोगोँ को खुद ही पता नहीं चल पाता है कि उनकी सेहत के साथ कुछ गलत चल रहा है। विभिन्न कारणोँ से जब वक्त पर जांच नहीं हो पाता है तब डॉक्टर को यह तय करने में भी समस्या होती है कि कौन सा मरीज गम्भीर रूप से बीमार है और किसकी समस्या एडवांस स्टेज पर पहुंच चुकी है। हालांकि, किसी भी मरीज को देखकर यह पता लगाना बिल्कुल आसाम होता है कि वह पूरी तरह से स्वस्थ नहीं है, क्योंकि ऐसे कई लक्षण होते हैं जो हमेँ हमारी सेहत की स्थिति को लेकर हमेँ अलर्ट कर देते हैं।
कोलम्बिया एशिया हॉस्पिटल, पटियाला के कंसल्टेंट इंटर्नल मेडिसन डॉ. प्रशांत भट्ट कहते हैं, “दरअसलहमारा शरीर अपने आप में सबसे जटिल तकनीक है और यह तमाम लक्षणोँ के जरिए हमेँ हमारी सेहत की स्थिति को लेकर संदेश देता रहता है, जिससे यह पता लग जाता है कि हमारा सिस्टम ठीक ढंग से काम नहीं कर रहा है। हालांकि कई ऐसी अंतरनिहित समस्याएँ होती हैं जिनकी जांच अथवा पहचान कर पाना सच में कठिन होता है, लेकिन अधिकतर समस्याओँ में स्पष्ट लक्षण सामने आते हैं। इनमेँ से कुछ आम लक्षण होते हैं, खराब सेहत और नींद से जुडी समस्या,शरीर में शक्ति कम होने और जल्दी से थक जाने का एहसास होना, पेशाब का गाढा पीला होना, शरीर के वजन में अचानक बदलाव आना, लगातार खांसी और फ्लू अथवा बार-बार कोल्ड होना या लम्बे समय तक चलने वाली बाउल और ब्लैडर से जुडी समस्या। यह शरीर का अपना तरीका होता है जिसके जरिए वह यह बताता है कि सब कुछ ठीक नही चल रहा है और आपको इलाज की जरूरत है। ऐसे में व्यक्ति को बिना किसी देरी के डॉक्टर के पास जाना चाहिए।“
खराब नींद के कई कारण हो सकते हैं, और इसका एक आम लक्षण हो सकता है बहुत अधिक तनाव्। स्ट्रेस हार्मोन कॉर्टिसोल आइडियली रात के समय कम हो जाना चाहिए ताकि व्यक्ति रात में आसानी से दो जाएऔर शरीर को आराम मिले, लेकिन रात में कॉर्टिसोल हार्मोन का स्तर सामान्य से अधिक होने पर इंसोमनिया हो जाता है, जिसकी वजह से शरीर का आपना रिपेयर सिस्टम ऑफ हो जाता है। नींद के पैटर्न में बदलाव और सुबह के समय नींद खुलन पर तरो-ताजा महसूस न हो तो भी समस्या होती है। अवसाद, तनाव, डिप्रेशन, सांस लेने में समस्या, डायबीटीजऔर यहाँ तक कि किडनी की समस्याएँ होने पर भी आपकी रात की नींद प्रभावित हो सकती है।
डॉ. प्रशांत भट्ट कह्ते हैं, “अन्य लक्षणोँ में से एक पेशाब का गाढा होना इस बात की पहचान है कि आपके शरीर में पानी की कमी हो गई है अथवा कोई अन्य समस्या है। यह इस बात का लक्षण भी हो सकता है कि हमारा सिस्टम शरीर के कचरे को पूरी तरह से फिल्टर नहीं कर रहा है। यह पीलिया, हेपेटाइटिसऔर लिवर व किडनी से जुडी तमाम बीमारियोँ का लक्षण भी हो सकता है। थकान और चक्कर आना कई बीमारियोँ जैसे कि एनीमिया, डायबीटीज, डिप्रेशन, थायरॉइड, स्लीप एप्निया आदि का लक्षण हो सकता है। अगर हमारे शरीर में कोई अंतरनिहित संक्रमण होता है तो हमारा शरीर स्लो हो जाता है, जो कि प्रतिरोधक क्षमता की टेस्टिंग होती है। बेवजह वजन बढने का कारण जहाँ हार्मोनल बदलाव अथवा कुछ खास दवाओँ जैसे कि कॉर्टिकोस्टेरॉइडआदि का इस्तेमाल, वहीँ अचानक वजन घटने का कारण कैंसर, सीओपीडी, डिप्रेशन, एचआईवी/एड्स,टीबी, और अन्य कई बीमारियोँ के कारण हो सकता है।“
बार-बार फ्लू और कोल्ड हो जाना आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने की पहचान है, जिसके चलते आप संक्रमण और यहाँ तक कि कैंसर की चपेट में भी आ सकते हैं। ब्लैडर और बाउल सम्बंधी समस्याओँ का लम्बे समय तक चलना प्रॉस्टेट कैंसर (जिसमेँ पेशाब की बारम्बारता में बदलाव स्पष्ट लक्षण होता है), कोलोन अथवा ओवेरियन कैंसर (कब्ज या डायरिया), इंफ्लेमेटरी डिसॉर्डर जैसे कि क्रॉन्स डिजीज व अन्य समस्याओँ के कारण हो सकता है।
प्रॉसीडिंग ऑफ द रॉयल सोसायटी बी में प्रकाशित एक स्टडी रिपोर्ट में बताया गया है कि, इसके लिए वैज्ञानिकोँ ने एक प्रयोग किया जिसमेँ 16 स्वस्थ्य वयस्क व्यक्तियोँ को प्लेसबो बैक्टीरिया का इंजेक्शन दिया गया जिसकी वजह से उनका इम्यून सिस्टम प्रभावित हुआ और उन्हे हल्के फ्लु जैसे लक्षण सामने आए। इसके बारे में अनजान सहभागियोँ की प्लेसबो लेने से पहले और इसके बाद तस्वीर ली गई। इन तस्वीरोँ को 62 अप्रशिक्षित मेडिकल प्रोफेशनल्स को सिर्फ 5-5 सेकंड के लिए दिखाया गया और इसके आधार पर उन्हेँ यह जज करने के लिए कहा गया कि कौन सी तस्वीर स्वस्थ्य व्यक्ति की है और कौन सी बीमार लोगोँ की। परिणाम बेहद प्रोत्साहित करने वाले आए, 52% लोगोँ की तस्वीरेँ देखकर यह पहचान लिया गया कि वे किस समय बीमार थे और 70% मामलोँ में यह पता लगा लिया गया कि वे कब स्वस्थ्य थे।
डॉ. प्रशांत भट्ट कहते हैं, “यह रिसर्च इस बात की पुष्टि करता है कि किसी भी व्यक्ति को देखकर यह पता लगाया जा सकता है कि वह स्वस्थ्य है अथवा नहीँ। और अस्वस्थ्य व्यक्तियोँ की जांच कराकर यह तय किया जा सकता है कि उन्हेँ संक्रामक समस्या तो नहीँ। समय पर यह पता लग जाने से बीमारी के प्रसार रोकने के उपयुक्त उपाय किए जा सकते हैं। यह भी जरूरी है कि बीमार लोगोँ को जहाँ तक हो सके घर में रहने की सलाह दी जाए, और पूरी तरह स्वस्थ्य होने के बाद ही बाहर निकलने के लिए प्रोत्साहित किया जाए ताकि बीमारी का प्रसार अन्य लोगोँ तक न हो।“
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