भारत में टेलीविजन का आगमन विश्व में इसके आविष्कार से बहुत समय बाद हुआ लेकिन 1983 और 1991 दो ऐसे साल हैं जिन्होंने देश के विस्तार की एक नई दिशा प्रदान की 1982 में काले-सफेद प्रसारण का स्थान रंगीन प्रसारण ने लिया और साथ ही सेटेलाइट लिंक उपलब्ध हुआ जिसे दूरदर्शन का राष्ट्रीय कार्यक्रम प्रारंभ हुआ इसके साथ ही प्रतिदिन की दर से ट्रांसमीटर लगने लगे और 1990 तक इनकी संख्या 19 से बढ़कर 519 हो गई परंतु 1991 में इराक और अमेरिका के बीच खाड़ी युद्ध को जब सीएनएन नामक एक अमेरिकी चैनल सीधा प्रसारण किया जिसे डिश एंटीना की मदद से देखा जा सके तो इसे भारत में सेट लाइट केबल टेलीविजन का एक नया दौर शुरू हुआ इसके बाद दो परिणाम सामने आए जहां एक और इससे दूरदर्शन का एकाधिकार खत्म हो गया वहीं आकाश मार्ग को सेटेलाइट प्रसारण ने सबके लिए खोलकर राष्ट्र की सीमाओं को भंग कर दिया इससे सेंसर बोर्ड बेकार हो गया और सेटेलाइट ब केबल टीवीयुग का एक नया सूत्रपात हुआ। जहां तक चैनल खाड़ी युद्ध को विश्व के लिए सीधा प्रसारण कब स्थापित किया। इसके तुरंत बाद हांगकांग कवि को बाजार में उतारा स्टार प्लस, जी टीवी, बीबीसी, एम टीवी, प्राइम स्पोर्टर्स,एशिया सैटेलाइट के माध्यम से टेलीविजन कार्यक्रमों को प्रसारित करना आरंभ किया। इससे ना केवल दर्शकों की तादाद बढ़ी बल्कि राष्ट्र की सीमाएं लुप्त होने से विश्व व्यापारीकरण होने लगा अब समाचारों विचारों और मनोरंजन का मुक्त वितरण होने लगा आज भारत में लगभग दर्जनों चैनल हर कहीं सहजता से उपलब्ध है दूरदर्शन के 2 चैनल जी टीवी का पूरा पैकेज सोनी टीवी सहारा टीवी आदि हिंदी चैनल हैं Star Plus ABP News Zee चैनल आदि अंग्रेजी में वह हिंदी के मिले-जुले कार्यक्रम आते हैं तमिल के चैनलों में सन टीवी राज TV विजय TV और प्रमुख है पंजाबी में लश्कारा, तारा, पीटीसी और दूरदर्शन आदि हैं इसी प्रकार मलयालम के 4 चैनल एशियानेट सूर्या कैराली दूरदर्शन का मलयालम चैनल है यही नहीं BBC सीएनएन डिस्कवरी नेशनल जियोग्राफी CNBC स्टार मूवीस एक्शन कार्टून नेटवर्क आस्था संस्कार आदि चैनल विभिन्न प्रकार के शतावर की अभिरुचि के अनुसार उनका मनोरंजन करते हैं आज यह सैटेलाइट टेलीविजन अंतरराष्ट्रीय संबंधों को बनाने में एक अहम पुल का काम कर रहे हैं यही नहीं यह वस्तु की खरीद व बिक्री का भी महत्वपूर्ण साधन बन गए हैं और क्षेत्रीय स्तर पर राष्ट्र की सीमाओं को बंद कर अपनी सेवा प्रदान कर रहे हैं यद्यपि सेटेलाइट के महत्व को देखते हुए स्वागत किया जा रहा है वही राष्ट्रहित पर उनके प्रभाव को लेकर निरंतर चिंता भी बनी हुई है सर्वेक्षणों से यह बात सामने आई है कि दूरदर्शन के दर्शकों ने बड़ी तेजी से सेट लाइट का केबल टेलीविजन को अपनाया है परंतु पश्चिमी विचारों का रहन सहन की पद्धति पर आधारित कार्यक्रमों की 24 घंटे उपलब्ध भारत एशियाई राष्ट्रों की सोच को बुरी तरह प्रभावित कर रही है कि आकाश के माध्यम से हो रहे इस आक्रमण का हमारी युवा पीढ़ी और बच्चों पर क्या असर पड़ रहा है यही नहीं विकासशील राष्ट्रों पर सैटेलाइट टेलीविजन के कार्यक्रमों का आर्थिक और राजनीतिक प्रभाव किस प्रकार होगा इस प्रश्न प्रश्न सामने खड़े हुए हैं आंकड़े बताते हैं कि भारत में लगभग एक लाख केबल ऑपरेटर हैं जिन्होंने इस व्यवसाय में 8 से 10 करोड़ पर समाया हुआ है केवल अपने ग्राहकों को मनपसंद कार्यक्रम दिखाते रहते हैं कोई ऑपरेटर तो कुछ कार्यक्रम के प्रोड्यूसर बन गए और अपने अपने लोकल एरिया की घटनाएं समाचार के रूप में खाते हैं उसी कवरेेेज करते हैं कई बार तो देखने में आया कि कुछ समारोह का सीधा प्रसारण भी करने लगे हैं आज क्षितिज सेट लाइट और केबल इन 3 तरह का प्रसारण दर्शकों के लिए उपलब्ध हो गया है आंकड़ों के अनुसार भारत में 7 करोड़ टेलीविजन सेट उपलब्ध हैं जिनमें से केवल ऑपरेटर से कोई चार करोड़ घर जुड़े हुए बताए जाते हैं और दिनों दिन इनकी संख्या बढ़ती जा रही है।
patarkar mann jab bhi kahin ghumkaree par nikal padta hai to kuch kamaal ho jata hai
मंगलवार, जून 12, 2018
भारत में सेटेलाइट और केबल टीवी का आगाज
भारत में टेलीविजन का आगमन विश्व में इसके आविष्कार से बहुत समय बाद हुआ लेकिन 1983 और 1991 दो ऐसे साल हैं जिन्होंने देश के विस्तार की एक नई दिशा प्रदान की 1982 में काले-सफेद प्रसारण का स्थान रंगीन प्रसारण ने लिया और साथ ही सेटेलाइट लिंक उपलब्ध हुआ जिसे दूरदर्शन का राष्ट्रीय कार्यक्रम प्रारंभ हुआ इसके साथ ही प्रतिदिन की दर से ट्रांसमीटर लगने लगे और 1990 तक इनकी संख्या 19 से बढ़कर 519 हो गई परंतु 1991 में इराक और अमेरिका के बीच खाड़ी युद्ध को जब सीएनएन नामक एक अमेरिकी चैनल सीधा प्रसारण किया जिसे डिश एंटीना की मदद से देखा जा सके तो इसे भारत में सेट लाइट केबल टेलीविजन का एक नया दौर शुरू हुआ इसके बाद दो परिणाम सामने आए जहां एक और इससे दूरदर्शन का एकाधिकार खत्म हो गया वहीं आकाश मार्ग को सेटेलाइट प्रसारण ने सबके लिए खोलकर राष्ट्र की सीमाओं को भंग कर दिया इससे सेंसर बोर्ड बेकार हो गया और सेटेलाइट ब केबल टीवीयुग का एक नया सूत्रपात हुआ। जहां तक चैनल खाड़ी युद्ध को विश्व के लिए सीधा प्रसारण कब स्थापित किया। इसके तुरंत बाद हांगकांग कवि को बाजार में उतारा स्टार प्लस, जी टीवी, बीबीसी, एम टीवी, प्राइम स्पोर्टर्स,एशिया सैटेलाइट के माध्यम से टेलीविजन कार्यक्रमों को प्रसारित करना आरंभ किया। इससे ना केवल दर्शकों की तादाद बढ़ी बल्कि राष्ट्र की सीमाएं लुप्त होने से विश्व व्यापारीकरण होने लगा अब समाचारों विचारों और मनोरंजन का मुक्त वितरण होने लगा आज भारत में लगभग दर्जनों चैनल हर कहीं सहजता से उपलब्ध है दूरदर्शन के 2 चैनल जी टीवी का पूरा पैकेज सोनी टीवी सहारा टीवी आदि हिंदी चैनल हैं Star Plus ABP News Zee चैनल आदि अंग्रेजी में वह हिंदी के मिले-जुले कार्यक्रम आते हैं तमिल के चैनलों में सन टीवी राज TV विजय TV और प्रमुख है पंजाबी में लश्कारा, तारा, पीटीसी और दूरदर्शन आदि हैं इसी प्रकार मलयालम के 4 चैनल एशियानेट सूर्या कैराली दूरदर्शन का मलयालम चैनल है यही नहीं BBC सीएनएन डिस्कवरी नेशनल जियोग्राफी CNBC स्टार मूवीस एक्शन कार्टून नेटवर्क आस्था संस्कार आदि चैनल विभिन्न प्रकार के शतावर की अभिरुचि के अनुसार उनका मनोरंजन करते हैं आज यह सैटेलाइट टेलीविजन अंतरराष्ट्रीय संबंधों को बनाने में एक अहम पुल का काम कर रहे हैं यही नहीं यह वस्तु की खरीद व बिक्री का भी महत्वपूर्ण साधन बन गए हैं और क्षेत्रीय स्तर पर राष्ट्र की सीमाओं को बंद कर अपनी सेवा प्रदान कर रहे हैं यद्यपि सेटेलाइट के महत्व को देखते हुए स्वागत किया जा रहा है वही राष्ट्रहित पर उनके प्रभाव को लेकर निरंतर चिंता भी बनी हुई है सर्वेक्षणों से यह बात सामने आई है कि दूरदर्शन के दर्शकों ने बड़ी तेजी से सेट लाइट का केबल टेलीविजन को अपनाया है परंतु पश्चिमी विचारों का रहन सहन की पद्धति पर आधारित कार्यक्रमों की 24 घंटे उपलब्ध भारत एशियाई राष्ट्रों की सोच को बुरी तरह प्रभावित कर रही है कि आकाश के माध्यम से हो रहे इस आक्रमण का हमारी युवा पीढ़ी और बच्चों पर क्या असर पड़ रहा है यही नहीं विकासशील राष्ट्रों पर सैटेलाइट टेलीविजन के कार्यक्रमों का आर्थिक और राजनीतिक प्रभाव किस प्रकार होगा इस प्रश्न प्रश्न सामने खड़े हुए हैं आंकड़े बताते हैं कि भारत में लगभग एक लाख केबल ऑपरेटर हैं जिन्होंने इस व्यवसाय में 8 से 10 करोड़ पर समाया हुआ है केवल अपने ग्राहकों को मनपसंद कार्यक्रम दिखाते रहते हैं कोई ऑपरेटर तो कुछ कार्यक्रम के प्रोड्यूसर बन गए और अपने अपने लोकल एरिया की घटनाएं समाचार के रूप में खाते हैं उसी कवरेेेज करते हैं कई बार तो देखने में आया कि कुछ समारोह का सीधा प्रसारण भी करने लगे हैं आज क्षितिज सेट लाइट और केबल इन 3 तरह का प्रसारण दर्शकों के लिए उपलब्ध हो गया है आंकड़ों के अनुसार भारत में 7 करोड़ टेलीविजन सेट उपलब्ध हैं जिनमें से केवल ऑपरेटर से कोई चार करोड़ घर जुड़े हुए बताए जाते हैं और दिनों दिन इनकी संख्या बढ़ती जा रही है।
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
यहां खाकी बदनाम :- नशा तस्करों से मोटी रकम वसूलने वाले सहायक थानेदार और सिपाही नामजद, दोनों फरार
यहां खाकी बदनाम :- नशा तस्करों से मोटी रकम वसूलने वाले सहायक थानेदार और सिपाही नामजद, दोनों फरार एसटीएफ की कार्रवाई में आरोपियों से...
-
आधुनिक जनसंचार माध्यमों में टेलीविजन का महत्वपूर्ण स्थान है टेलीविजन के विकास के फलस्वरुप सूचना विस्फोट हुआ है टेलीविजन क्या दर्जनों चैनल ...
-
टेलीविजन में सभी तरह के कार्यक्रमों का निर्माण एक टीम वर्क से होता है इसमें बहुत सारे लोग मिलजुल कर कार्य करते हैं और अपनी प्रतिभा से अधिक...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
thanx 4 yr view. keep reading chandanswapnil.blogspot.com