रेल मंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को घोषणा की कि प्रख्यात पाश्र्व गायकों मोहम्मद रफी और किशोर कुमार और सिख गुरू गोबिंद सिंह, कवि मोहम्मद इकबाल के नाम पर कोलकाता मेट्रो स्टेशनों के नाम रखे जाएंगे।
दक्षिण के 24 परगना जिले के जोका से शहर के मध्य में स्थित बी.बी.डी. बाग तक एक नई मेट्रो लाइन की नींव रखे जाने के मौके पर आयोजित समारोह में ममता ने कहा, ""हम मोहम्मद रफी और किशोर कुमार के नाम पर स्टेशनों के नाम रखेंगे। कोलकाता में बहुत से सिख हैं और उनकी भावनाओं का ध्यान रखते हुए हम एक स्टेशन का नाम गुरू गोबिंद सिंह के नाम पर रखेंगे।"" उन्होंने यह भी कहा कि अन्य स्टेशनों के नाम पूर्व भारतीय फुटबॉल खिल़ाडी गोश्थो पाल और गायिका मोहिनी चौधरी के नाम पर रखे जाएंगे। उन्होंने कहा, ""हम मोहिनी चौधरी के नाम पर भी एक स्टेशन का नाम रखेंगे। हम शहर के खेल केंद्र मैदान क्षेत्र की मैट्रो का नाम गोश्थो पाल के नाम पर रखेंगे। "सारे जहां से अच्छा" जैसा अमर गीत देने वाले मोहम्मद इकबाल को भी हम इसी तरह सम्मानित करेंगे।"" कोलकाता में 16.72 किलोमीटर की लंबाई में 13 स्टेशन बनेंगे और 2,619.02 करो़ड रूपये की लागत से उनका निर्माण होगा। ममता ने कहा कि अन्य सात स्टेशनों के नाम स्थानीय लोगों की राय लेने के बाद रखे जाएंगे।
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patarkar mann jab bhi kahin ghumkaree par nikal padta hai to kuch kamaal ho jata hai
बुधवार, सितंबर 22, 2010
शनिवार, जुलाई 10, 2010
रविवार, मई 23, 2010
पत्रकार हो क्या?
एक व्यक्ति पशुओं के डॉक्टर के पास पहुंचा और कहा कि तबियत ठीक नहीं लग
रही है, दिखाना है। डॉक्टर ने कहा कि कृपया मेरे सामने वाले क्लीनिक में
जाएं, मैं तो जानवरों का डॉक्टर हूं। वहां देखिए, लिखा हुआ है।
रोगी– नहीं डॉक्टर साब मुझे आप ही को दिखाना है।
डॉक्टर– अरे यार, मैं पशुओं का डॉक्टर हूं। मनुष्यों का इलाज नहीं करता।
रोगी– डॉक्टर साब मैं जानता हूं और इसीलिए आपके पास आया हूं।
इस पर डॉक्टर साब चौंक गए। जानते हो? फिर मेरे पास क्यों आए।
रोगी- मेरी तकलीफ सुनेंगे तो जान जाएंगे।
डॉक्टर- अच्छा बताओ।
रोगी– सारी रात काम के बोझ से दबा रहता हूं।
सोता हूं तो कुत्ते की तरह सोता हूं।
चौबीसों घंटे चौकस रहता हूं।
सुबह उठकर घोड़े की तरह भागता हूं।
रफ्तार मेरी हिरण जैसी होती है।
गधे की तरह सारे दिन काम करता हूं।
मैं बिना छुट्टी की परवाह किए पूरे साल बैल की तरह लगा रहता हूं।
फिर भी बॉस को देखकर कुत्ते की तरह दुम हिलाने लगता हूं।
अगर कभी, समय मिला तो अपने बच्चों के साथ बंदर की तरह खेलता हूं।
बीवी के सामने खरगोश की तरह डरपोक रहता हूं।
डॉक्टर ने पूछा – पत्रकार हो क्या?
रोगी- जी
डॉक्टर- इतनी लंबी कहानी क्या बता रहे थे। पहले ही बता देते। वाकई,
तुम्हारा इलाज मुझसे बेहतर कोई नहीं कर सकता। इधर आओ। मुंह खोलो.. आ
करो... जीभ दिखाओ....
रही है, दिखाना है। डॉक्टर ने कहा कि कृपया मेरे सामने वाले क्लीनिक में
जाएं, मैं तो जानवरों का डॉक्टर हूं। वहां देखिए, लिखा हुआ है।
रोगी– नहीं डॉक्टर साब मुझे आप ही को दिखाना है।
डॉक्टर– अरे यार, मैं पशुओं का डॉक्टर हूं। मनुष्यों का इलाज नहीं करता।
रोगी– डॉक्टर साब मैं जानता हूं और इसीलिए आपके पास आया हूं।
इस पर डॉक्टर साब चौंक गए। जानते हो? फिर मेरे पास क्यों आए।
रोगी- मेरी तकलीफ सुनेंगे तो जान जाएंगे।
डॉक्टर- अच्छा बताओ।
रोगी– सारी रात काम के बोझ से दबा रहता हूं।
सोता हूं तो कुत्ते की तरह सोता हूं।
चौबीसों घंटे चौकस रहता हूं।
सुबह उठकर घोड़े की तरह भागता हूं।
रफ्तार मेरी हिरण जैसी होती है।
गधे की तरह सारे दिन काम करता हूं।
मैं बिना छुट्टी की परवाह किए पूरे साल बैल की तरह लगा रहता हूं।
फिर भी बॉस को देखकर कुत्ते की तरह दुम हिलाने लगता हूं।
अगर कभी, समय मिला तो अपने बच्चों के साथ बंदर की तरह खेलता हूं।
बीवी के सामने खरगोश की तरह डरपोक रहता हूं।
डॉक्टर ने पूछा – पत्रकार हो क्या?
रोगी- जी
डॉक्टर- इतनी लंबी कहानी क्या बता रहे थे। पहले ही बता देते। वाकई,
तुम्हारा इलाज मुझसे बेहतर कोई नहीं कर सकता। इधर आओ। मुंह खोलो.. आ
करो... जीभ दिखाओ....
शनिवार, मई 15, 2010
44 साल बाद भी अपनी राजधानी नहीं
देश को दो प्रधानमंत्री देने वाला पंजाब पुनर्गठन के 44 साल बाद भी पूर्णता के लिए तरस रहा है। पंजाब ने हर दिशा में प्रगति की है, लेकिन पूर्णता हासिल नहीं कर सका है। हर पंजाबी को इस बात का मलाल है कि चंडीगढ़ अभी तक इसे नहीं मिला है। आजादी मिलने के बाद पंजाब के पुनर्गठन की मांग उठने लगी थी। पंजाबी भाषा के आधार पर सूबे को लेकर अकाली दल ने आंदोलन चलाया। लंबे संघर्ष के बाद एक नवंबर 1966 को पंजाब का पुनर्गठन हुआ और राज्य तीन हिस्सों पंजाब, हरियाणा व हिमाचल प्रदेश में बंट गया।
पंजाब और हरियाणा को चंडीगढ़ सांझी राजधानी के रूप में मिला। चंडीगढ़ पर पंजाब का हक बनता है, लेकिन आज तक इसका समाधान नहीं किया जा सका। चंडीगढ़ पंजाबियों की प्रतिष्ठा का प्रश्न बना हुआ है। अगर चंडीगढ़ पंजाब को मिल जाए तो कई राज्यस्तरीय सरकारी दफ्तर चंडीगढ़ शिफ्ट हो जाएंगे।
चंडीगढ़ पर केवल पंजाब का हक है। अकालियों ने इसके लिए काफी संघर्ष किया है। केन्द्र के भेदभाव के कारण चंडीगढ़ पंजाब को नहीं मिल पाया। मुद्दा फिर उठाया जाएगा।
प्रकाश सिंह बादल, मुख्यमंत्री
बॉर्डर स्टेट होने के कारण पंजाब को रक्षा यूनिवर्सिटी मिलनी चाहिए। यह पुरानी मांग है। मुद्दे को केंद्र के समक्ष उठाएंगे। चंडीगढ़ तो पंजाब को ही मिलना चाहिए।
मोहिन्दर केपी, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष
शनिवार, मई 08, 2010
एक अधूरी कविता
रोज ये पंछी आते हैं
तुम्हारे दर पे दस्तक देने
उन बेचारे ख्वाबों का क्या करें
जो तुम्हारी याद दिलातें हैं
कुछ तुमने अपने चेहरे पे
ऐसे जुल्फ गिरा ली है
ये ख्वाब बुनकर भला
हम क्या करें
जो फिर तितली बनकर
कल उड़ जाएँगे एक नये दर पे
इन आँखों तले हमने
एक खवाहिश छुपा राखी है
क्या तुमने इन खवाहिशों की
तितली कभी पकड़ी है
ये कैसी मीठी तन्हाई है
जेहन पे छाई है
तुम्हारे दर पे दस्तक देने
उन बेचारे ख्वाबों का क्या करें
जो तुम्हारी याद दिलातें हैं
कुछ तुमने अपने चेहरे पे
ऐसे जुल्फ गिरा ली है
ये ख्वाब बुनकर भला
हम क्या करें
जो फिर तितली बनकर
कल उड़ जाएँगे एक नये दर पे
इन आँखों तले हमने
एक खवाहिश छुपा राखी है
क्या तुमने इन खवाहिशों की
तितली कभी पकड़ी है
ये कैसी मीठी तन्हाई है
जेहन पे छाई है
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