गुरुवार, सितंबर 11, 2014

पंजाब में ऐसा लॉ एंड ऑर्डर किस काम का


सीमावर्ती राज्य होने के कारण नशीले पदार्थों की तस्करी और आतंकवादी गतिविधियों पर ब्रेक लगाने में पंजाब पुलिस फिसड्डी ही साबित हुई है।
पंजाब पुलिस के पास ७० हजार से ज्यादा जवान है, फिर भी राज्य में लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति बेकाबू है। एक तरफ जहां पुलिस को अंदरूनी रूप से राज्य में चल रही आंतकी गतिविधियों की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है, वहीं बढ़ रही नशीले पदार्थों की तस्करी रोक पाने में पुलिस पूरी तरह से नाकाम रही है। बॉर्डर के साथ लगता राज्य होने के कारण पंजाब में नशीले पदार्थों की तस्करी और आतंकवादी गतिविधियां खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही हैं। जिस प्रदेश में लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति सही नहीं है, वहां का पूरा ढांचा ही पटरी से खिसक जाता है। विकास में बाधा भी इसी कारण आती है। उद्योग, टूरिज्म पर भी इसका प्रभाव देखा जा सकता है। सबसे बड़ी कमी है कि पुलिस अपना भरोसा पब्लिक कायम नहीं कर पाई है।
लगातार खराब होती स्थिति
राज्य में लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति लगातार खराब हो रही है। लुधियाना में दो माह पहले हुए डीएसपी हत्याकांड में परिजनों को ही पुलिस पर विश्वास नहीं रहा है। डीएसपी का परिवार मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग कर रहा है। सबसे बड़ी कमी है कि पुलिस प्रशासन लोगों में भरोसा ही कायम नहीं कर सका। किसी भी अधिकारी की जिम्मेदारी तय नहीं है। अगर कोई अधिकारी सख्ती करके काननू व्यवस्था को लागू करने की कोशिश भी करता है तो उसका तबादला हो जाता है या फिर सस्पेंड कर दिया जाता है। मजे की बात यह है कि साल में एक एसएसपी का तीन या चार बार तबादला हो जाता है, जाहिर है कि ऐसे में वह काम कैसे कर सकता है। ज्यादातर बड़े पुलिस अधिकारी नेताओं या मंत्रियों की पसंद पर तैनात किए जाते हैं। अधिकारी कानून के तहत काम नहीं करके जैस नेता कहते हैं, उस तरह से काम करते हैं। अधिकारी अगर काननू के तहत अपने स्तर पर काम करने की कोशिश भी करते हैं, उनको खुड्डेलाइन लगा दिया जाता है।
आतंक के लिए विदेश से आता है पैसा
पंजाब में बेशक अब आतंकी गतिविधियां समाप्त हो चुकी हैं, लेकिन विदेशों में बैठे पूर्व आतंकी अंदरूनी रूप से इसे फिर से शुरू करने के लिए बढ़ावा देने में जुटे हुए हैं। हाल ही में लुधियाना, पठानकोट और अन्य जगहों से पकड़े गए आतंकवादियों से पूछताछ के दौरान यह तथ्य सामने आया है कि पंजाब में फिर से आतंकवादी गतिविधियां शुरू करने के प्रयास जारी हैं। इसके लिए बेरोजगारों को निशाना बनाया जा रहा है।
नशीले पदार्थों की तस्करी
पाकिस्तान की ओर से पंजाब में नशीले पदार्थों की तस्करी पर पुलिस लगाम नहीं लगा पा रही। सप्ताह में एक या दो बार हेरोइन की तस्करी के मामले सामने आ रहे हैं। बॉर्डर के साथ लगते इलाके के लोग भी तस्करी में शामिल है। इसके अलावा राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, जमू-कश्मीर और चंडीगढ़ से नशीले पदार्थों की तस्करी से नशे का जाल फैलता जा रहा है। पंजाब में नशीले पदार्थों की खपत ज्यादा होने के कारण इसे नशीले पदार्थों की बड़ी मंडी माना जा रहा है। यहां तक कि पंजाब के ज्यादातर गांवों में लोग घर में ही शराब बना रहे हैं। इस पर रोक लगाने में पुलिस नाकाम साबित हुई है।
कोई नहीं मानता ट्रैफिक नियम
राज्य में ट्रैफिक नियमों का पालन नहीं के बराबर होता है। हालांकि हर शहर में ट्रैफिक पुलिस के कर्मचारी तैनात रहते हैं। लगभग हर चौक पर ट्रैफिक लाइट की व्यवस्था है और ट्रैफिक नियमों का पालन नहीं करने वालों का चालान काटने का भी प्रावधान है। लेकिन राज्य में यही देखने में आया है कि अधिकतर लोग ट्रैफिक नियमों का पालन ही नहीं करते। ट्रैफिक पुलिस भी राज्य में यातायात नियमों का सख्ती से पालन कराने में नाकाम साबित हो रही है। इसका सबसे बड़ा कारण पुलिस के प्रयासों में कमी को ही माना जा सकता है। ट्रैफिक नियम तोडऩे वाले लोगों पर पुलिस पूरी तरह से शिकंजा नहीं कस पा रही है। कर्मचारी चालान काटने के बजाय रिश्वत लेकर काननू तोडऩे वालों को छोड़ देते हैं।
बढ़ रही हैं आपराधिक वारदातें
राज्य में आपराधिक वारदातें भी दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही हैं। राज्य में ज्यादातर हत्याएं और मारपीट की वारदातें जमीन के झगड़ों के चलते होती हैं। इसके अलावा चोरी और लूटपाट के इरादे से भी हत्याओं के काफी केस सामने आ रहे हैं। चोरी और लूटपाट के मामलों में कई गैंग भी पुलिस की पकड़ में आ चुके हैं। बड़े शहरों लुधियाना, जालंधर, अमृतसर और पटियाला आदि में छीनाझपटी की वारदातें में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। पुलिस की ढीली चाल के कारण आपराधिक तत्वों में पुलिस का खौफ ही नहीं रहा है।
शराब तस्करी और गांवों में बनती देसी शराब
पंजाब में हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और चंडीगढ़ से शराब महंगी है। यही कारण है कि इन राज्यों से आए दिन भारी मात्रा में शराब की तस्करी हो रही है। राज्य के ज्यादातर गांवों में लोग घरों में देसी शराब तैयार करते हैं। तरनतारन के एरिया में सडक़ों के किनारे सरेआम शराब निकाले का सामान बेचा जाता है। मालवा में ज्यादातर लोग भुक्की का नशा करते हैं। यहां पर राजस्थान से भारी मात्रा में भुक्की की तस्करी हो रही है। एक और किसान कर्ज से दुखी होकर आत्महत्या कर रहे हैं तो दूसरी ओर नशा नहीं मिलने पर दुखी होकर भी किसान आत्महत्या कर रहे हैं। सरकार चाहे कांग्रेस की रही हो या अकाली दल की, लेकिन नशे की तस्करी पर रोक नहीं लग पाई। उपमुख्यमंत्री सुखबीर बादल युवाओं को नशे से दूर करने के लिए खेलों को बढ़ावा देने की बात तो करते हैं, लेकिन नशे की तस्करी रोकने के बारे में उनके पास कोई अभी ठोस नीति नहीं है।
लगातार बढ़ता चोरी-हत्या का ग्राफ
यही नहीं पंजाब में चोरी, छीनाझपटी और हत्याओं का ग्राफ भी लगातार बढ़ता जा रहा है। पुलिस की कार्यप्रणाली का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि लुधियाना में डीएसपी मर्डर मामले में उसके हाथ आज तक सुराग नहीं लग पाया है। डीएसपी की एक फरवरी २०१२ को लुधियाना के पास एक फार्महाउस में एक महिला के साथ हत्या कर दी गई थी। हर रोज शहरों में दुकानों के ताले टूटने, पेट्रोल पंप लूटने और महिलाओं से चेन और पर्स छीनने की घटनाएं आम हो चुकी हैं।
पुलिस कर्मचारियों का रवैया ठीक नहीं
सबसे बड़ी कमी यही है कि पुलिस कर्मचारियों का लोगों के साथ व्यवहार ही ठीक नहीं है। आम आदमी पुलिस के नाम से खौफ खाता है। शिकायत दर्ज कराने पुलिस स्टेशन जाने वाले लोगों को डराने धमकाने के मामले अकसर सामने आ रहे हैं। पुलिस से तंग आकर पुलिस स्टेशनों में आत्महत्याओं के मामले बढ़ रहे हैं। पुलिस हिरासत में मौतों का सिलसिला जारी है।
तस्करों से पुलिस-नेताओं की साठगांठ
ऐसे कितने ही मामले सामने आ चुके हैं कि पुलिस और नेताओं की तस्करों से मिलीभगत से ही तस्करी का धंधा चला रहा है। बॉर्डर एरिया में सबसे ज्यादा नशे का काराबोर है। यहां नेताओं के डर से पुलिस अधिकारी तस्करों का साथ देना ही सही मानते हैं। पुलिस की ढीली कार्यशैली के कारण ही तस्कर भी बरी हो जाते हैं।
अपना ही एक्ट लागू नहीं कर पाई सरकार
पुलिस प्रशासन में सुधार के लिए पंजाब सरकार ने पुलिस एक्ट २००८ तैयार किया था। इससे व्यवस्था सेसुधार की एक उम्मीद जगी थी। हैरानी की बात है कि सरकार अपने ही एक्ट को अब तक लागू नहीं कर पाई। एक्ट लागू क्यों नहीं हो पाया? सरकार की क्या मजबूरी है? ये तो सरकार की बता सकती है, लेकिन बेलगाम काननू व्यवस्था का खमियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है।


क्या करना चाहिए सरकार को : एक्सपर्ट
पुलिस पर राजनीतिक दबाव खत्म कर दिया जाए। पुलिस के काम में राजनीतिक हस्तक्षेप बंद हो जाए तो राज्य के हालात और बेहतर हो सकते हैं। पुलिस को हर क्षेत्र में राजनीति से दूर रखना होगा। कई मामलों में पुलिस अधिकारियों को राजनीतिज्ञों से सीधे हुक्म मिलने लगते हैं। इस तरह पुलिस की कमांड तोडऩा मौजूदा समय के साथ-साथ भविष्य के लिए भी खतरनाक है। पुलिस राजनीति से दूर रहकर काम करे, तो अच्छा रहेगा, नहीं तो राजनीतिज्ञों को और बढ़ावा मिलेगा।
पंजाब पुलिस की छवि में सुधार लाने के लिए एक तो थानों का माहौल खुशनुमा बनाना होगा, ताकि वहां जाने में किसी को डर न लगे। पिछले करीब 30 साल में थानों के माहौल में कुछ सुधार तो हुआ है, लेकिन अभी सिर्फ समाज के मजबूत वर्ग के लोग ही थानों में बिना डर के जा रहे हैं। कमजोर वर्ग के लोग अब भी थानों में जाने से डरते हैं। इसलिए थानों के माहौल में अभी और सुधार लाने की जरूरत है। पुलिसकर्मियों और अधिकारियों की गैरहाजिरी पर भी रोक लगानी होगी। शराब पीना गुनाह नहीं है, लेकिन ड्यूटी के दौरान शराब पीना गुनाह है। इस पर भी शिकंजा कसा जाना चाहिए।
मौजूदा समय में पंजाब पुलिस के सामने नशीले पदार्थों की तस्करी, एनआरआईज की प्रॉपर्टी की हिफाजत, साइबर क्राइम, राजनीतिक झगड़े, आतंकवाद को दोबारा सिर उठाने से रोकना और माइगं्रेट लेबर पर ध्यान रखना सबसे बड़ी चुनौतियां हैं। नशीले पदार्थों का रुझान ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा है, जो नौजवानों को अपनी जकड़ में ले रहा है। एनआरआईज की प्रॉपर्टी पर उनके रिश्तेदार ही कब्जे जमाने में लगे हैं। साइबर क्राइम अभी पंजाब में कम है, लेकिन भविष्य में यह बढ़ सकता है। बैंकों और अन्य जगहों पर डाटा सिक्योरिटी को लेकर पुलिस को सजग रहना होगा। राज्य में राजनीतिक रंजिश को लेकर होने वाले झगड़ों पर भी नकेल कसनी होगी। राजनेता अपने फायदे के लिए गांव और शहरवासियों में झगड़े करवा देते हैं। इस तरफ ध्यान रखना होगा। आतंकवाद का खतरा फिलहाल नहीं है, लेकिन पुलिस को ध्यान रखना होगा कि यह दोबारा सिर न उठाए। माइग्रेंट लेबर का भी पुलिस को ध्यान रखना होगा। पंजाब में वैसे भी लेबर कम होने के कारण महंगी हो रही है। किसानों और माइग्रेंट लेबर में लेनदेन को लेकर विवाद होते रहते हैं। पंजाब में अभी नक्सलवाद का खतरा तो नहीं है, लेकिन इसके लिए पंजाब पुलिस को सावधान रहना होगा, क्योंकि नक्सलवाद का एरिया बढ़ रहा है। दिन प्रतिदिन विभिन्न राज्यों के कई जिले इसकी चपेट में आ रहे हैं। उत्तर प्रदेश, ओडि़शा, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश और कई अन्य राज्य इसकी चपेट में आ चुके हैं। पंजाब में बेरोगजार युवक नक्सलवाद की ओर आकर्षित हो सकते हैं। पुलिस को इसका ध्यान रखना होगा।
लोग ट्रैफिक नियम तोडऩा हेकड़ी समझते हैं। पकड़े जाने पर वे या तो किसी बड़े राजनीतिज्ञ से सिफारिश करवा लेते हैं या बड़े घरों से होने के कारण पुलिस उनसे नरम तरीके से पेश आती है। राज्य में ट्रैफिक नियमों का पालन कराने के लिए पुलिस को सख्ती से काम करना होगा। हालांकि जब पंजाब के यही लोग चंडीगढ़ में जाते हैं, तो वहां वे ट्रैफिक नियमों का पूरा पालन करते हैं, क्योंकि वहां ट्रैफिक नियमों के पालन को लेकर सख्ती है। लेकिन यही लोग पंजाब में आकर ट्रैफिक नियमों को तोडऩे में कोई कसर नहीं छोड़ते। इसलिए पंजाब पुलिस को भी ट्रैफिक नियमों का पालन कराने के लिए सख्त कदम उठाने होंगे। वैसे भी अगर कोई व्यक्ति ट्रैफिक नियमों का पूरी तरह पालन करता है तो इससे उसके जीवन में भी काफी सुधार आ सकता है। इससे जीवन में अनुशासन में काम करने की आदत पड़ती है। हादसे कम होने से सुरक्षा की भावना बढ़ेगी और शराब पीने की आदत में कमी आएगी।
करप्शन खत्म करने के लिए पुलिस से पहले राजनैतिक इच्छाशक्ति मजबूत होनी चाहिए। पंजाब पुलिस और विजिलेंस करप्शन रोकने में पूरी तरह सक्षम है, बशर्ते इसके लिए पॉलिटिकल विल हो। पहले राजनीतिज्ञों को खुद ईमानदार होना होगा, तब समाज से करप्शन दूर किया जा सकता है। भ्रष्टाचार रोकने का एक ही तरीका है, इसके प्रति जीरो टॉलरेंस हो। पंजाब विजिलेंस के पास भ्रष्टाचार की जो भी शिकायत आए, उस पर बिना किसी सियासी दबाव के तुरंत कार्रवाई की जाए।
-एपी पांडे, रिटायर्ड डीपीजी, पंजाब पुलिस

वर्ष 2011 में पंजाब में हुए अपराध
अपराध रजिस्टर्ड केस ट्रेस आउट कन्विक्टिड
मर्डर 882 743 405
डकैती 28 25 16
सेंंधमारी 2488 1123 618
दंगा 0 0 0
304 आईपीसी 112 108 42
इरादा-ए-कत्ल 997 959 303
हर्टिंग 4757 4695 1309
पॉइजनिंग 36 31 4
किडनैपिंग 355 313 112
भगाना 326 284 23
बलात्कार 479 276 229
चोरी 3582 1787 917
382 आईपीसी 1202 768 264
लूट 236 170 47
411 आईपीसी 1345 1358 740
धोखाधड़ी 3571 3525 696
406-409 आईपीसी 281 276 96
कनाल कट 14 19 14
छिटपुट अपराध 13687 12021 4586
एनडीपीएस एक्ट 5464 5473 3855
आम्र्स एक्ट 831 811 490
करप्शन एक्ट 31 17

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