रविवार को चंडीगढ़ की सभी सडक़ों पर अचानक की दिल्ली जैसे जाम का नजारा था। दो-तीन किलोमीटर तक लंबी वाहनों की कतारें लगी हुई थीं। एक सिगनल क्रास करने में हमें अपनी कार से कम से कम सात से आठ बार ग्रीन सिगनल का इंतजार करना पड़ा। वजह थी पंजाब सरकार के एफसीआई इंस्पेक्टर की परीक्षा। इस बार बादल सरकार ने इस परीक्षा का जिम्मा पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ को दिया था। जिसमें कोई दो लाख प्रत्याशी परीक्षा देने पंजाब से यहां पहुंचे थे। लेकिन बदइंतजामी यह रही कि कोई 50 हजार प्रत्याशी परीक्षा केंद्र पर पहुंच ही नहीं सके।
चंडीगढ़ से लुधियाना लौटते वक्त बस में कई ऐसे उम्मीदवार मिले। उन्होंने अपनी आपबीती सुनाई। बता रहे थे कि बदइंतजामी इतनी थी कि पीयू ने आसपास के गांवों के कॉलेजों में सेंटर बना रखे थे और वहां पहुंचने का कोई साधन भी उपलब्ध नहीं कराया गया। दो शिफ्ट में परीक्षा थी। जिनकी बसें मिस हो गईं, वे तीन-तीन घंटे तक पहले तो बस के लिए इंतजार करते रहे कि किसी तरह चंडीगढ़ के मेन बस अड्डे पर पहुंचे। इसके लिए उन्हें जीटी रोड पर कई किलोमीटर पैदल चलकर सफर तय करना पड़ा। इनमें लड़कियों को तो बस अड्डे तक पहुंचते पहुंचते रात हो गई और उनके गंतव्य की आखिरी बसें जा चुकी थीं।
इस बीच खबर यह आई कि पेपर लीक हो चुका है। अब यह पेपर दोबारा लिया जाएगा। एक तो वैसे ही पंजाब में बेरोजगारी इस कदर बढ़ चुकी है कि ये दोनों बाप-बेटा मिलकर पंजाब का बेड़ा गर्क कर रहे हैं। ऊपर से बेरोजगारों को नौकरियों के गफ्फे देने में बादल सरकार पीछे नहीं है। ऐसे में इन बेरोजगारों के साथ यह सरासर मजाक ही कहा जाएगा। क्योंकि उन्हें चंडीगढ़ तक का सफर करना ही आसान नहीं था। ऊपर से उनके लिए न कहीं पेयजल की व्यवस्था और न शौचालय आदि का प्रबंध, उनकी मुश्किलों को बढ़ाने के लिए नाकाफी थी।
क्या सरकार को नहीं चाहिए था कि वह पंजाब के सभी जिलों में ही परीक्षा केंद्र बनाकर इस समस्या का हल निकाल सकती थी। इससे प्रत्याशियों को अपने जिले में ही आसानी से परीक्षा देने की सुविधा होती।
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