सोमवार, अप्रैल 25, 2011

ऐसे तो न चल पाएंगे हैल्थ सेंटर


कहीं हैल्थ सेंटर बंद, तो कहीं डाक्टर हीं नहीं आया
चंदन स्वप्निल
खेमकरण/पट्टी/वल्टोहा
डाक्टर ने कहा मैं कल आऊंगा
खेमकरन शाम 7.01 बजे
फोटो खेमकरण
सब-तहसील के एकमात्र कम्यूनिटी हैल्थ सेंटर (सीएचसी) में लाइट गई हुई थी। मेन गेट से प्रवेश करते ही अंदर दरवाजे के ठीक सामने एक नर्स और एक सफाई कर्मचारी बैठे आग सेक रहे थे। मैं उनके पास गया और कहा कि सीने में बड़ी जोर से दर्द हो रहा है, डाक्टर को दिखाना है। ड्यूटी पर उपस्थित नर्स ने बताया कि डाक्टर साहिब अस्पताल के राउंड पर गए हुए हैं। लेकिन जब मैंने वहां घूमकर देखा, तो सिर्फ चारो ओर अंधेरा था, लेकिन डाक्टर कहीं नजर नहीं आया। मेरे बार-बार पूछने पर नर्स ने साफ कह दिया कि डाक्टर तो अभी नही मिलेंगे, वह अपनी कोठी (क्र्वाटर) में चले गए है। इस बीच वहां मौजूद क्लास फोर स्टाफ ने रजिस्टर में ड्यूटी पर मौजूद डाक्टर एसएस दर्दी से मोबाइल फोन पर मेरी बात करवाई। उधर से डाक्टर ने जवाब दिया कि वह अभी नही आ सकते, आप कल सुबह आकर मिलें।
हमने अपनी पड़ताल में पाया कि इस प्राइमरी हैल्थ सेंटर कम सीएचसी में कुल 30 बैड मंजूर किए गए हैं, लेकिन अभी केवल 15 ही बैड मौजूद हैं। जिस पर एक भी मरीज नहीं आया दिखा। बिजली गुल थी, लेकिन जनरेटर होते हुए भी उसे चालू नहीं किया गया था। यहां पर कुल छह स्टाफ नर्स है। जिनमें से चार सुबह, एक शाम और एक रात कीपाली में ड्यूटी देती हंै। जहां तक डाक्टरों की बात है तो दो आर्थो, एक सर्जन, एक हार्ट स्पैशलिस्ट, दो एमबीबीएस और एसएमओ नियुक्त किए गए हैं। हैरत की बात यह है कि यदि यहां कोई छोटी-मोटी इमरजैैंसी भी आ जाए तो अटैंड करने के लिए डाक्टर अस्पताल में नही अपने घर पर मौजूद होते है। गांव वालों ने बताया कि कुछ दिनों पहले किसी को कुत्ते ने काट लिया था उसे फस्र्ट ऐड से लेकर उपचार तक देने के लिए कोई डाक्टर नहीं आया, नतीजतन उसे शहर लेकर जाना पड़ा। अकसर यहां देखने में आया है कि रात की पाली का डाक्टर अपनी कोठी में अराम फरमाता है। गांव वालों का कहना है कि यदि कोई उनके साथ बड़ी घटना हो जाए तो उन्हें खड़े पैर इलाज करवाने के लिए अमृतसर की और भागना पड़ता है, जो कि यहां से 90 किलोमीटर दूर है।
नौकरी पाने की खातिर कोई भी नर्स बार्डर पर आ जाएगी
अनौपचारिक बातचीत में नर्स ने बताया कि उसे अभी दो महीने ही हुए हैं, यहां पर ज्वाइन किए हुए। यह पूछने पर कि क्या वह यहां गांव में ही ड्यूटी करते रहना पसंद करेगी, तो उसने कहा कि बेशक वह इसी गांव की रहनेवाली है, लेकिन वह पीजीआई में जाकर काम करना चाहती है। मैंने कहा कि यदि आपके जैसे युवा भी गांव छोडक़र शहर चले जाएंगे, तो फिर गांवों में कौन काम करेगा, इस पर वह हंसते हुए बोली कि मैं चली जाऊंगी तो कोई और आकर ज्वाइन कर लेगी। मैंने कहा कि गांवों में तो कोई ड्यूटी करना ही नहीं चाहता है, खासकर बार्डर बेल्ट में तो स्थिति काफी गंभीर है। वह बोली कि इतनी नर्से पढ़ाई करके बेरोजगार हैं, कोई भी नौकरी पाने की खातिर यहां आ जाएगी।

लाइव अस्पताल-2
तंग मत करो, सोने दो
वल्टोहा शाम 7.30 बजे
फोटो वलटोहा
प्राइमरी हैल्थ सेंटर के एकछोटे से दरवाजे से होते हुए हम जैसे ही अंदर मेन गेट के पास पहुंचे, गेट देखकर बड़ी हैरानी हुई। सेंटर के प्रवेश दरवाजे को बाहर से चिटकनी लगी हुई थी। खिडक़ी से झांकर अंदर देखा, तो अंदर चारपाई पर कोई लेटा हुआ था। जब हमने काफी देर तक दरवाजा खटखटाया, इधर-उधर आवाजें लगाई तो अंदर से आवाज आई तंग मत करो, सोने दो।
आखिरकार दरवाजे की कुंडी खोलकर हम अंदर पहुंचे। चारपाई पर रजाई ओढ़े एक बुजुर्ग सोया हुआ था। हमने जब उसे जगाया तो उसने फिर वही कहा कि सोने दो, कोई नहीं है यहां। वह चौकीदार था और शराब के नशे में सो रहा था। बार-बार पूछने पर उससे पता चला कि यहां इस वक्त कोई डाक्टर नहीं है। हम जैसे ही वहां से वापस जाने लगे, तो उस चौकीदार ने हाथ जोड़ते हुए कहा कि ठंड बहुत है, दरवाजा बाहर से बंद कर देना। जिस तरह से दरवाजा पहले बाहर से बंद था, हमने उसे वैसे ही बंद कर दिया। दुकानदार सरवन सिंह ने बताया कि वैसे तो यह हैल्थ सेंटर सुबह नौ बजे खुलता है और 5 बजे से पहले ही बंद हो जाता है। बेहतर होगा आप दिन में यहां आइए। वही कुछ और लोगों का कहना था कि बेशक यह सेंटर नया बना है, लेकिन यह खुलता ही नही है। हम अगले दिन दोपहर दो बजे फिर उसी अस्पताल में पहुंचे, तो देखा कि दरवाजा पहले दिन की तरह ही बंद था। जाहिर है कि फिर यहां पर डाक्टर के तो मिलने का सवाल ही पैदा नहीं होता।
सरकारी तो दूर अच्छा निजी अस्पताल भी नहीं है
जो सबसे अहम सवाल उठता है कि यह विधान सभा क्षेत्र है और यहां से सबसे तेजतरार माने जाने वाले विधायक प्रो. विरसा सिंह वल्टोहा चुनाव जीते हंै। वल्टोहा की कुल आबादी 7 हजार है। मौजूदा विधायक भी यहीं के निवासी हैं। बेशक कहने को यहां एक सरकारी हैल्थ सेंटर है और वह भी बंद रहता है। इसके अलावा यहां पर कोई बहुत अच्छा प्राइवेट अस्पताल भी नही है। अगर किसी को इमरजैंसी मेें डाक्टर की जरूरत पड़े, तो उसे बेहतर इलाज की तलाश में अमृतसर पहुंचने में करीब डेढ़ घंटा लग जाएगा। जाहिर है तब तक मरीज दम भी तोड़ सकता है।
कोट्स
वल्टोहा का सरकारी हैल्थ सेंटर का बंद रहना और खेमकरन में डाक्टर का घर में आराम फरमाने पर मैं कड़ा नोटिस लूंगा। जल्द ही मामले की जांच कर उक्त डाक्टरों के खिलाफ उपर्युक्त कारवाई की जाएगी।
-प्रो.विरसा सिंह वल्टोहा, विधायक वल्टोहा क्षेत्र

लाइव अस्पताल-3
आई स्पेशलिस्ट के जिम्मे इमरजैंसी
पट्टी रात 8.19 बजे
फोटो पटटी
हम काफी तंग गलियों से होते हुए सिविल अस्पताल पहुंचे। इमारत को देखकर यह यकीन कर पाना मुश्किल हो रहा था कि यहां पर कोई सिविल अस्पताल भी होगा। इमारत काफी गंदी और टूटी-फूटी थी। लोगों से पूछकर हम अस्पताल में दाखिल हुए तो देखा कि ड्यूटी पर उपस्थित डाक्टर का कैबिन बंद है। किसी ने बताया कि डाक्टर ऊपर वार्ड में राउंड पर गए हैं। हम जब वार्ड में पहुंचे तो यह देखकर थोड़ी राहत मिली कि चलों, यहां कोई डाक्टर तो देखभाल के लिए मौजूद है। आई स्पेशलिस्ट डा. आशीष गुप्ता इमरजैंसी का जिम्मा संभाल रहे थे। वार्ड में कई मरीज काफी गंभीर हालत में भर्ती नजर आए। डा. गुप्ता ने बताया कि पट्टी की अबादी लगभग 40 हजार है और यहां आने वाले अधिकतर मरीज ग्रामीण या आसपास के इलाकों से पहुंचते है। अभी यहां पर 50 बैड हैं और जल्द ही 30 बैड और जुड़ेंगें। इमारत भी नई बन रही है। चूंकि अभी सर्दियों का मौसम है, ऐसे में बिजली कट बहुत लग रहे हंै। इस सूरतेहाल में लगातार एक ही जनरेटर को चला पाना संभव नही हो पाता। इस वजह से इलाज करने में थोड़ी दिक्कत जरूर पेश आती है। यहां पर मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। अगर रात के वक्त कोई इमरजैंसी केस आए जाए, तो हैरान होने की जरूरत नहीं है यदि उसे आई स्पेशलिस्ट या कोई डाक्टर अटैंड कर रहा हो।
फैक्ट
प्राइवेट अस्पताल ६०
ग्रामीण डिसपेंसरी ६२
लिंगानुपात ८८८/१०००
आबादी ११,९१,४०३
पीएचसी ३
सीएचसी ९
ग्रामीण अस्पताल २
सिविल अस्पताल २
अल्ट्रासाउंड सेंटर १९

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