सोमवार, अप्रैल 25, 2011

आर्गेनिक खेती में उन्हें दिख रहा भविष्य

एक सेहतमंद विकल्प के तौर पर उभरकर सामने आई आर्गेनिक खेती

५५०० हैक्टेयर पर लगभग ढाई हजार किसान आर्गेनिक खेती कर रहे हैं।

खेमकरण/जालंधर से चंदन स्वप्निल
सीमांत गांवों के किसान भी अब पारंपरिक खेती को छोडक़र आर्गेनिक खेती को तरजीह दे रहे हैं। बिचौलिए और खरीद एजेंसियां किसानों को आर्गेनिक खेती उपजाने के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं। इसके जरिए उन्हें मेट्रो सिटी में बाजार उपलब्ध करवाया जा रहा है। बेशक बार्डर के किसान अभी उतने जागरूक नहीं है। समस्त पंजाब में अभी ५५०० हैक्टेयर पर लगभग ढाई हजार किसान ही आर्गेनिक खेती कर रहे हैं। राज्य में कुछ चुनिंदा आउटलेट्स पर यह प्रोडक्ट उपलब्ध हैं। इसके अलावा पंजाब में कुछ बड़ी कंपनियां ऑर्गेनिक थे्रड का भी निर्माण कर रही हैं। बच्चों के इनर वियर्स भी आर्गेनिक कपड़े में बन रहे हैं, इसके अलावा नॉन बीटी का भी इसमें इस्तेमाल होता है। किसानों को बाजार उपलब्ध कराने में आर्गेनिक फार्मिंग कौंसिल आफ पंजाब कुछ हद तक काम कर रही है।
पिछले लंबे अरसे से आर्गेनिक खेती से जुड़े सलाहकार डा. राजिंदर सिंह कहते हैं कि पंजाब में .५ फीसदी की दर से बाजार पनप रहा है, वहीं देश में यह १० फीसदी की रफ्तार से बढ़ रहा है। फिलहाल पंजाब में कुल बाजार २५ करोड़ का है, जिसके अगले साल तक ५० करोड़ तक पहुंचने की संभावना है। इसमें सफलता की गुंजाइश रसायनिक खेती की तुलना में अधिक है, इसमें रातों-रात किसी चमत्कार की उम्मीद नहीं की जा सकती। इसके लिए खेती में विविधता जरूरी है। पहले साल इसमें उत्पादन जरूर कुुछ कम मिलता है, लेकिन तीन साल में यह बराबरी पर आ जाता है। हां, थोड़ा ध्यान जरूर रखना पड़ता है, क्योंकि आर्गेनिक फसल को पेस्टीसाइड भी काफी तंग करते हैं, जिससे कोई भी बीमारी लगने की संभावना बनी रहती है। 
देश में उच्च मध्य वर्ग और उच्च वर्ग ही इसका खरीदार है। आर्गेनिक मार्केट जर्बदस्त उछाल पर है। हालांकि आम किसान को अपने लिए बाजार खोजने में दिक्कत पेश आ रही है। यह कहना है पर्यावरणविद उमेंद्र दत्त का। उमेंद्र आर्गेनिक फूड का पंजाब से एक्सपोर्ट का विरोध करते हुए कहते हैं कि हम यहां जहर खा रहे हैं और आर्गेनिक फूड सारा बाहर भेजा जा रहा है। सरकार को इसके लिए घरेलू बाजार तैयार करना चाहिए। लोग इसे पैसा कमाने की कोशिश कह सकते हैं। बॉयोटैक एक्सपर्ट डा. मुख्तियार सिंह कहते हैं कि नियम यही कहता है कि अगर किसान ने कैमिकल युक्त खेती बीजी है, तो इसके असर से मुक्ति पाने के लिए अगले तीन साल तक खेत खाली रखने चाहिए। पंजाब में केवल ७० फीसदी लोगों के पास ही पांच एकड़ जमीन है। यहां कृषि कभी भी राज्य प्रायोजित नहीं रही है, राज्य में अब भी अतिरिक्त जमीन की बेहद कमी के साथ-साथ तयशुदा बाजार भी उपलब्ध नहीं है। पंजाब पूरे देश का अन्नदाता है, इसे तो केंद्र ने गेहूं जोन घोषित कर रखा है। राज्य सरकार का यह ढकोसला है कि पंजाब में किसान फसली विधिधकरण को अपनाएं, जबकि असल में सरकार की यह मंशा कतई नहीं है।
डा. अमिताभ मोहन जयरथ कहते हैं कि अभी बहुत कम लोग ही ऑर्गेनिक फूड के बारे में जानकारी रखते हैं। इसके लिए कंपनियां विभिन्न कार्यक्रमों के जरिए लोगों को जागरूक करके बता रही हैं कि ये सेहतमंद और सुरक्षित हैं। अगर मरीजों को ऑर्गेनिक फूड दिया जाए, तो यह बीमारी रोकने में कारगर सिद्ध होगा।
पंजाब सरकार ने निर्यात की दृष्टि से आर्गेनिक फारमर कौंसिल का गठन किया था। मकसद इसके जरिए खेती में विविध फसलीकरण को अपनाना था। इसके साथ ही बाजार उपलब्ध कराते हुए निर्यात की सुविधा दिलाना है। इस कौंसिल के साथ ११०० किसान जुड़े हुए हैं। इसके अलावा चंडीगढ़ और नई दिल्ली में एक रिटेल आउटलेट खोला गया है। डा. राजिंदर सिंह कहते हैं कि वे काफी सालों तक इसके साथ जुड़े रहे, लेकिन इस कौंसिल का काम महज कागजों तक ही सीमित रह गया है।
फायदा : आर्गेनिक फूड की डिमांड बढऩे की एक अहम वजह इसका कैंसर, डायबिटीज जैसी खतरनाक बीमारियों से लडऩे में भी सक्षम माना जा रहा है। ग्लोवल वार्मिंग के नजरिए इसमें किसी रसायनिक खाद का इस्तेमाल नहीं होने से फायदेमंद है। गर्भस्थ शिशु के लिए यह फायदेमंद है। इससे हारमोन असंतुलन का खतरा भी नहीं है। आर्गेनिक फूड सेहतमंद, स्वादिष्ट और ताजा होता है। यह क्लोस्ट्रोल को कंट्रोल कर दिल की बीमारी के रिस्क को घटाता  है। इसमें किसी तरह का कृत्रिम रंग नहीं होता है। सर्वे में जब आर्गेनिक और गैर आर्गेनिक की तुलना की गई, तो आर्गेनिक फूड में विटामिन, आयरन, फासफोरस जैसे आवश्यक तत्वों की मात्रा काफी पाई गई।
यह है आर्गेनिक फूड
उपजाए जाने वाले ऐसे पदार्थ जिन्हें पैदा करने में किसी भी कीटनाशक या रासायनिक पदार्थ का उपयोग न हो। इसके साथ ही ऑर्गेनिक फूड जिनकी प्रक्रिया, उत्पादन से लेकर पैकेजिंग में कहीं भी रसायनिक खाद का इस्तेमाल ना हो, उसे ऑर्गेनिक फूड कहते हैं।
आम खेती यानी जहर वाली खेती : वहीं पारंपरिक खेती में किसान सामान्य उत्पादन में करीब लगभग 300 किस्म के कीटनाशक और रसायनिक खाद का इस्तेमाल करते हैं। इससे यहां मिट्टी के पानी सोखने की क्षमता कम हो जाती है। वहीं सूक्ष्म जीव और जैव विविधता भी खत्म हो जाती है। इसलिए लोग अब ऑर्गेनिक को अपना रहे हैं।
ऑर्गेनिक फूड
सभी सब्जियां, अमरूद, किन्नू, चावल, गेहूं, मूंग दाल, माह दाल, काला चना, गन्ना, टमाटर प्यूरी
ऑयल सीड्स: सरसों और कॉटन, सूरजमूखी
फाइबर : दलिया, रस, वेजीटेबल आचार

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

thanx 4 yr view. keep reading chandanswapnil.blogspot.com

यहां खाकी बदनाम :- नशा तस्करों से मोटी रकम वसूलने वाले सहायक थानेदार और सिपाही नामजद, दोनों फरार

यहां खाकी बदनाम :- नशा तस्करों से मोटी रकम वसूलने वाले सहायक थानेदार और सिपाही नामजद, दोनों फरार एसटीएफ की कार्रवाई में आरोपियों से...