गुरदासपुर उज्ज दरिया से
उज्ज दरिया के उस पार २० हजार की आबादी वाले करीब १५ गांव पड़ते हैं। यहां के लोगों की मांग थी कि दरिया पर एक पुल का निर्माण किया जाए, क्योंकि बारिश के दिनों में इस इलाके के सभी गांव करीब चार महीने के लिए हर तरह के संपर्क से कट जाते हैं। इसे देखते हुए अब यहां पर पुल निर्माण का काम शुरू हुआ है। इस इलाके में गरीबी रेखा से नीचे बसर करने वाले लोगों की संख्या अधिक है। रोजगार की समस्या तो उनके सामने है। वहीं मूलभूत समस्या भी कम नहीं है। उज्ज दरिया के वासियों को सेहत समस्या से लेकर आम परेशानियों से दो-चार होना पड़ता है। यहां पर अधिकतर घरों में अब भी लकड़ी वाला चूल्हा ही जलता है। लोगों को यहांरसोई गैस सिलेंडर ६०० से ७०० रुपए ब्लैक में मिलता है। पुल बनने के बाद अमृतसर से जम्मू जाने वालों के लिए दूरी कम हो जाएगी। यही नहीं अमरनाथ यात्रा के दौरान ट्रैफिक कंजेशन हो जाने पर उसे इस ओर से निकाला जा सकेगा।
ढिंडा गांव के सरपंच कुलदीप सिंह अपना दर्द कुछ इस तरह जाहिर करते हैं कि उज्ज दरिया पर पुल बनना तो शुरू हो चुका है, अब देखना यह है कि यह कब तक बनकर तैयार होता है। फिलहाल अस्थायी पुल से ही काम चलाना पड़ रहा है, लेकिन बारिश के दिनों में यह पुल भी हटा लिया जाता है। बारिश आएगी और रावी नदी अपना कहर फिर बरपाएगी। हर बार की तरह इस दफा भी उन्हें करीब चार महीने का राशन पहले ही भंडार करके रखना पड़ेगा। यहां जिंदगी की गुजर- बसर बेहद मुश्किल है। इन गांवों में कोई डाक्टर भी मौजूद नहीं है। जिले से संपंर्क टूटने पर इलाज के लिए भी कोई विकल्प नहीं रह जाता। इस समय दौरान वे किसी कामकाज से भी नहीं जा सकते हैं।
वह कहते हैं कि बमियाल के उज्ज दरिया के इस पार १५ गांव पड़ते हैं। सरकारी मदद नाममात्र ही मिलती है। किसानों के पास रोजगार मिल जाए तो ठीक हैं, नहीं तो मजदूरी के लिए भी बमियाल के पार जाना पड़ता है। इधर गांववासी छोटे-मोटे काम जैसे लोहार, बढ़ईगिरी का काम करके गुजर बसर करते हैं। इस इलाके में एकमात्र कठुआ वाली ही लोकल बस आती है या फिर कोई ऑटोरिक्शा वाला भूल भटके इधर आ जाता है, तो उन्हें आने-जाने में आसानी हो जाती है। हां, यह पुल बन जाने का उन्हें बड़ा फायदा मिलेगा। कम से कम वे रोजगार के लिए बाहर जा सकेंगे साथ ही राशन जमा करने से निजात मिल जाएगी।
गांव धनवाल की श्रेष्ठा देवी ने बताया कि अगर कोई दरिया के तेज बहाव को किश्ती से पार करने की कोशिश करता है, तो उसे सांप के डंसने की आशंका बनी रहती है। उनके इलाके में कई मौतें हो चुकी हैं। कुछ महीने पहले ही एक महिला इस तेज बहाव में बह गई थी और उसकी लाश पाकिस्तान पहुंच गई थी। उज्ज दरिया पर पिछले साल से करीब दस करोड़ रुपए की लागत से स्थायी पुल बनना शुरू हो चुका है। यह पुल इस साल में पूरा होने की उम्मीद है। इस पुल के बनने से सालों से रावी का कहर झेल रहे लोगों को काफी राहत मिलेगी।
ये हैं गांव
धनवाल, दोस्तपुर, सरोश, मलोहत्र, कोट भट्टियां, खोजकी चक्क, खोजकी चक्क छोटा, ढिंडा, सिंबल, सकोल, कोटली जवाहर, पलाह छोटा, पलाह बड़ा, कलोत्र आदि मुख्य गांव हैं।
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