सोमवार, अप्रैल 25, 2011

रसोई गैस चाहिए, पर अब भी दिल्ली दूर है

सिलेंडर के लिए ५० किलोमीटर का फासला
पहाड़ी और सीमावर्ती इलाकों में गैस दूर की बात

गुरदासपुर सीमा से
आजादी के छह दशक कहने को विकास के लिए एक लंबा पड़ाव। लेकिन गुरदासपुर के सीमावर्ती गांवों में बेशक विकास के कुछ छींटे यहां पर पड़े हैं, लेकिन मूलभूत समस्याएं जस की तस कायम हैं। एजेंसी से रसोई गैस का सिलेंडर मिलना, जैसे इनके लिए अब भी सपना है। पूरे गुरदासपुर जिले में २५ गैस एजेंसिया हैं, जिसमें ३,२१,९७५ कनेक्शन धारक हैं।
जयंतीपुर से डलहौजी की सीमा तक 150 किलोमीटर के दायरे में फैले गुरदासपुर जिले के एक तिहाई हिस्से में अब भी गैस एजेंसियां नहीं खुली हैं। यहां के लोगों को ब्लैक में ६०० से ७०० रुपये में सिलेंडर खरीदना पड़ता है। खासकर सीमा से सटे इलाके उज्ज दरिया पार, ढींडा, खोजकीचक्क, बमियाल, नरोटजैमल सिंह, सरोक, सलांच आदि गांववासियों को करीब ५० किलोमीटर दूर जाकर एजेंसी से सिलेंडर लाना पड़ता है। कुलविंदर सैनी के मुताबिक इसकी वजह इन इलाकों में गैस एजेंसी का नहीं होना है। यही नहीं इन्हें चूल्हा जलाने के लिए कोयला और लकड़ी के लिए भी खासी मशक्कत करनी पड़ती है। अकसर चुनावों के दौरान नेता वोट पाने की खातिर उनलोगों से गैस एजेंसी खुलवाने का वादा कर जाते हैं।
सीमा पर स्थित डेरा बाबा नानक धार्मिक नजरिए से काफी महत्वपूर्ण कसबा है। हैरत की बात यह है कि यहां पर भी कोई गैस एजेंसी नहीं है। लोगों को कलानौर या गुरदासपुर जाना पड़ता है। सीमांत इलाका घरोटा में भी कोई गैस एजेंसी नहीं है। यहां के लोग दीनानगर(दूरी 22 किलोमीटर) या गुरदासपुर गैस लेने जाते हैं। कसबा दुनेरा पठानकोट से 40 किलोमीटर दूर है। पहाड़ी इलाका होने के चलते लोगों को पठानकोट तक यह दूरी तय करने में करीब दो घंट लग जाते हैं। इस इलाके में होम डिलीवरी भी एजेंसियों के लिए काफी टेढ़ी खीर है।
नियमानुसार ५० किलोमीटर के दायरे में दूसरी गैस एजेंसी खोलने के लिए इलाकाई
सांसद को लोकसभा में यह मामला उठाना होता है। इसके बाद केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्रालय संबंधित कंपनी को एजेंसी खोलने की प्रक्रिया शुरू करती है। हैरत की बात यह है कि पूर्व सांसद विनोद खन्ना और मौजूदा सांसद प्रताप सिंह बाजवा ने भी कभी यह सवाल लोकसभा में नहीं उठाया। यहां के निवासियों का कहना है कि सांसद ने कभी उनकी इस समस्या को समझने का प्रयास ही नहीं किया। जाहिर है कि रसोई गैस के लिए अभी दिल्ली दूर ही है।

1 टिप्पणी:

  1. यह लोकतंत्र है वोटों का राज! वोट मिल जाने पर सब भूल जाते हैं| धन्यवाद|

    जवाब देंहटाएं

thanx 4 yr view. keep reading chandanswapnil.blogspot.com

यहां खाकी बदनाम :- नशा तस्करों से मोटी रकम वसूलने वाले सहायक थानेदार और सिपाही नामजद, दोनों फरार

यहां खाकी बदनाम :- नशा तस्करों से मोटी रकम वसूलने वाले सहायक थानेदार और सिपाही नामजद, दोनों फरार एसटीएफ की कार्रवाई में आरोपियों से...