फारूख अब्दुल्ला के बयान ने एक बार फिर बुर्के पर बैन को लेकर बवाल खड़ा कर दिया। फारूख अब्दुल्ला ने कहा बुर्का धर्म को सीमित कर देता है,शर्म आखों में होनी चाहिए। वहीं मशहूर गीतकार जावेद अख्तर ने भी माना बुर्के से मुसलमान महिलाएं पिछड़ जाती हैं। जबकि धर्म के लड़ाकों का कहना है कि बुर्का पहनने को कुरान में खुदा ने कहा है और इसे कोई कानून बदल नहीं सकता। पिछले दिनों भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने मतदाता परिचय पत्र के लिए बुर्का उतार कर फोटो खिंचवाने को कहा था, जिसे दारूल ऊलूम ने मान तो लिया लेकिन बुर्के पर बैन को लेकर अब भी विवाद जारी है।
आखिर क्यों बुर्के को बंधन कहने और उसका विरोध करने पर बवाल मच जाता है। ये पहली बार नहीं है जब बुर्के के सवाल पर विवाद हुआ है। भारत ही नहीं फ्रांस में भी बुर्के को लेकर काफी विवाद रहा है, खुद फ्रांस के राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी ने बुर्के का विरोध किया है। फ्रांस में बुर्के का जमकर विरोध हुआ है।
बुर्का क्या है - बुर्का इस्लाम में महिलाओं का पारंपरिक पहनावा है जिससे उनका पूरा शरीर ढंका रहता है। मुस्लिम महिलाएं इसे हर रोज पहनती हैं और खासकर घर से बाहर निकलते समय। सिर से लेकर पैर तक ढंकने वाले इस लिबास में जिलबाब (शरीर पर ओढ़ा जानेवाला) और नकाब या पर्दा (सिर ढंकनेवाला) होता है।
क्यूं बना था बुर्का - इस लिबास की खोज रेगिस्तान से हुई जहां से इस्लाम का उद्भव हुआ है। इसके दो महत्व है, पहला हवा चलते वक्त रेत से बचाने के लिए जिसे पुरूष और महिलाएं दोनों पहनते थे। दूसरा इसलिए ताकी महिलाएं पूरी तरह ढंकी रहें।
कई मुसलमानों का मानना है कि कुरान के मुताबिक मोहम्मद साहब ने महिलाओं और पुरूषों को शालीन कपड़े पहनने को कहा है। जबकि किसी विशिष्ट बुर्के या लिबास का जिक्र कुरान में कहीं नहीं है। मुस्लमानों के बीच महिलाओं को पुरूषों के न देख पाने को नामुस कहते हैं। जिसका आशय ये है कि बुजुर्गों को सम्मान देने और शालीन बने रहने के लिए महिलाएं पुरूषों के सामने न दिखें।
बुर्के के प्रकार - अफगानी चादरी, शटलकॉक बुर्का और न जाने कितने ही स्टाईल के बुर्के विश्व में पाए जाते हैं। अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बाकी इस्लामिक देशों में विभिन्न तरह के बुर्के पाए जाते हैं। वहीं भारत में बोहरा जाती के लोग अलग अलग रंगो के बुर्के पहनते हैं जिन्हें रिदा कहा जाता है।
तालिबान के अंतर्गत महिलाओं को अफगानी चादरी पहनना अनिवार्य है। वर्तमान में महिलाएं खुद की सुरक्षा के लिए भी सावर्जनिक स्थानों पर बुर्का, चादरी पहनना पसंद करती हैं। पाकिस्तान के कई क्षेत्रों में बुर्के का प्रचलन घटा है। जबकि तालिबान ग्रस्त इलाकों में ये अभी भी अनिवार्य है।
पश्चिमी यूरोप में बुर्का विवादास्पद राजनीतिक मुद्दा बन गया है कई बुद्धीजीवी और राजनीतिज्ञ बुर्के का विरोध करते रहे हैं।
जब बुर्का हुआ बेशर्म
बुर्के को लेकर विवाद के चलते और उसे हटाने के बवाल के बीच कई बार उसका मजाक भी उड़ाया गया। कुछ ऐसी तस्वीरें जिसमें बुर्के की बेशर्मी दिखाई गई है।
क्या बुर्का सचमुच जरूरी है या फिर दासता का एक स्वरूप, आधुनिकता, प्रगति, विकास, धर्म और कानून की कसौटी पर बुर्के को आप कहां देखते हैं , हमें अपने विचारों से जरूर अवगत कराएं। नीचे दी गई लिंक में बुर्के पर अपने विचार हमें लिख भेजें। sabhar bhaskar
आखिर क्यों बुर्के को बंधन कहने और उसका विरोध करने पर बवाल मच जाता है। ये पहली बार नहीं है जब बुर्के के सवाल पर विवाद हुआ है। भारत ही नहीं फ्रांस में भी बुर्के को लेकर काफी विवाद रहा है, खुद फ्रांस के राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी ने बुर्के का विरोध किया है। फ्रांस में बुर्के का जमकर विरोध हुआ है।
बुर्का क्या है - बुर्का इस्लाम में महिलाओं का पारंपरिक पहनावा है जिससे उनका पूरा शरीर ढंका रहता है। मुस्लिम महिलाएं इसे हर रोज पहनती हैं और खासकर घर से बाहर निकलते समय। सिर से लेकर पैर तक ढंकने वाले इस लिबास में जिलबाब (शरीर पर ओढ़ा जानेवाला) और नकाब या पर्दा (सिर ढंकनेवाला) होता है।
क्यूं बना था बुर्का - इस लिबास की खोज रेगिस्तान से हुई जहां से इस्लाम का उद्भव हुआ है। इसके दो महत्व है, पहला हवा चलते वक्त रेत से बचाने के लिए जिसे पुरूष और महिलाएं दोनों पहनते थे। दूसरा इसलिए ताकी महिलाएं पूरी तरह ढंकी रहें।
कई मुसलमानों का मानना है कि कुरान के मुताबिक मोहम्मद साहब ने महिलाओं और पुरूषों को शालीन कपड़े पहनने को कहा है। जबकि किसी विशिष्ट बुर्के या लिबास का जिक्र कुरान में कहीं नहीं है। मुस्लमानों के बीच महिलाओं को पुरूषों के न देख पाने को नामुस कहते हैं। जिसका आशय ये है कि बुजुर्गों को सम्मान देने और शालीन बने रहने के लिए महिलाएं पुरूषों के सामने न दिखें।
बुर्के के प्रकार - अफगानी चादरी, शटलकॉक बुर्का और न जाने कितने ही स्टाईल के बुर्के विश्व में पाए जाते हैं। अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बाकी इस्लामिक देशों में विभिन्न तरह के बुर्के पाए जाते हैं। वहीं भारत में बोहरा जाती के लोग अलग अलग रंगो के बुर्के पहनते हैं जिन्हें रिदा कहा जाता है।
तालिबान के अंतर्गत महिलाओं को अफगानी चादरी पहनना अनिवार्य है। वर्तमान में महिलाएं खुद की सुरक्षा के लिए भी सावर्जनिक स्थानों पर बुर्का, चादरी पहनना पसंद करती हैं। पाकिस्तान के कई क्षेत्रों में बुर्के का प्रचलन घटा है। जबकि तालिबान ग्रस्त इलाकों में ये अभी भी अनिवार्य है।
पश्चिमी यूरोप में बुर्का विवादास्पद राजनीतिक मुद्दा बन गया है कई बुद्धीजीवी और राजनीतिज्ञ बुर्के का विरोध करते रहे हैं।
जब बुर्का हुआ बेशर्म
बुर्के को लेकर विवाद के चलते और उसे हटाने के बवाल के बीच कई बार उसका मजाक भी उड़ाया गया। कुछ ऐसी तस्वीरें जिसमें बुर्के की बेशर्मी दिखाई गई है।
क्या बुर्का सचमुच जरूरी है या फिर दासता का एक स्वरूप, आधुनिकता, प्रगति, विकास, धर्म और कानून की कसौटी पर बुर्के को आप कहां देखते हैं , हमें अपने विचारों से जरूर अवगत कराएं। नीचे दी गई लिंक में बुर्के पर अपने विचार हमें लिख भेजें। sabhar bhaskar
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