शुक्रवार, फ़रवरी 12, 2010

गांव में तस्करों के डर से कोई टीचर नहीं आता


पुलिस भी डरती थी


शोले फिल्म का एक डायलॉग था कि सो जा बेटा, नहीं तो गब्बर आ जाएगा। महज कुछ साल पहले इस गांव में गब्बर की तरह ही उस वक्त के कुख्यात ६क् तस्करों की तूती बोलती थी। पुलिस जब भी इस गांव में दबिश देती थी, उसे मुंह की खानी पड़ती थी।
गांव वां तारा सिंह.(चंदन स्वप्निल) जिला तरनतारन के भिखीविंड से महज 15 किमी. दूर गांव वां तारा सिंह 1965-71 और कारगिल की भारत-पाक जंग में उजड़ा और फिर बसा। पांच हजार की रिहाइश वाला यह गांव आज भी दंबंगों का गांव कहलाता है।


फिलहाल इस गांव के तस्कर शांत बैठे हैं, लेकिन इनका खौफ इतना है कि गांव के स्कूल में कोई टीचर नहीं आना चाहता। गांव में एक एलीमैंट्री और एक सरकारी हाई स्कूल होने के बावजूद बच्चों को 10 किलोमीटर दूर गांव खालड़ा जाना पड़ता है।


गांव से 10 किलोमीटर पहले ही टूटी सड़क और पुलिया सूरतेहाल बयां करते हैं। गांव में कच्चे मकान और ढेरों छप्पड़ नजर आते हैं। गांव की सीमा के उस पार लाहौर के गांव जामन और चटिठयां वाला हैं। जहां तक रोजगार का सवाल है खेतीबाड़ी और मजदूरी आय का मुख्य जरिया है। अभी तक केवल 12 लोग ही यहां से फौज में गए हंै। गांव की 30 फीसदी आबादी शराब, टीके, कैप्सूल, स्मैक जैसे नशे की चपेट में है।


गांव के सरपंच मुख्तियार सिंह का कहना है कि गांव के दोनों स्कूलों में कुल 160 बच्चे हैं। टीचर नहीं आने से बच्चों का भविष्य अंधेरे में है। पंजाब सरकार ने शिक्षा के मामले में इसके साथ मजाक ही किया है। गांव के हाई स्कूल में विधायक प्रो. विरसा सिंह वल्टोहा ने आदर्श स्कूल का नींव पत्थर रखा था। बाद में गांव में तस्करों की दहशत को देखते हुए उसे खेमकरण शिफ्ट कर दिया गया। हाई स्कूल की हालत ऐसी है कि उसकी चारदीवारी टूटी पड़ी है। स्कूल के बाहर दूर-दूर तक छप्पड़ और गंदगी का ढेर लगा हुआ है। इसे से पक्का टीचर नहीं मिला है। पिछले साल तक गांव की ही एक लड़की डेलीवेज पर पढ़ाती थी।


दास्तान-ए-वां तारा सिंह यह गांव शहीद तारा सिंह के नाम पर है। उनके नाम पर एक गुरुद्वारा भी है। तारा सिंह मुगलों के जुल्मों से मुक्ति संघर्ष में शहीद हुए थे। यहां के बहुत कम लोगों को ही इस बात की जानकारी है। पुलिस रिकार्ड के मुताबिक राज्य में 200 से अधिक तस्कर हंै। जिसमें से अकेले इस गांव से 50 से अधिक तस्कर हंै। तस्करों का खौफ इतना है कि कोई भी खुलकर बात नहीं करता, लेकिन लगे हाथ सलाह देता है कि आप जल्दी से यहां से चलते बनें, कहीं उनको खबर ना लग जाए। इस गांव के अधिकतर तस्कर पुलिस की हिट लिस्ट में रहे हैं। लोगों के मुताबिक इनमें से कई तस्कर पंजाब के बड़े जिलों में अपनी कोठियां बनाकर शिफ्ट हो गए और वे वहीं से अपने धंधे को अंजाम दे रहे हैं।




सीमावर्ती गांव वां तारा सिंह में मौजूदा समय में कोई भी तस्कर नहीं है। बेशक पुलिस रिकार्ड में अधिकतर तस्कर इसी गांव से हुए हैं, लेकिन इन तस्करों में अब अधिकतर मर चुके हैं और कुछ सीधे रास्ते पर आ चुके हैं।


- सुखदेव सिंह बराड़, एसएसपी तरनतारन

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

thanx 4 yr view. keep reading chandanswapnil.blogspot.com

यहां खाकी बदनाम :- नशा तस्करों से मोटी रकम वसूलने वाले सहायक थानेदार और सिपाही नामजद, दोनों फरार

यहां खाकी बदनाम :- नशा तस्करों से मोटी रकम वसूलने वाले सहायक थानेदार और सिपाही नामजद, दोनों फरार एसटीएफ की कार्रवाई में आरोपियों से...