शनिवार, मई 04, 2019

तूफानों का नाम कैसे रखा जाता

इन तूफानों का नाम कैसे रखा जाता है. बीबीसी के मुताबिक 1953 से अमेरिका के मायामी स्थित नेशनल हरीकेन सेंटर और वर्ल्ड मेटीरियोलॉजिकल ऑर्गनाइज़ेशन की अगुवाई वाला एक पैनल तूफ़ानों और उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के नाम रखता रहा है. डब्लूएमओ संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी है. हालांकि पहले उत्तरी हिंद महासागर में उठने वाले चक्रवातों का कोई नाम नहीं रखा जाता था. जानकारों के मुताबिक इसकी वजह यह थी कि सांस्कृतिक विविधता वाले इस क्षेत्र में ऐसा करते हुए बेहद सावधानी की जरूरत थी ताकि लोगों की भावनाएं आहत होने से कोई विवाद खड़ा न हो.
2004 में डब्लूएमओ की अगुवाई वाला अंतरराष्ट्रीय पैनल भंग कर दिया गया. इसके बाद संबंधित देशों से अपने-अपने क्षेत्र में आने वाले चक्रवात का नाम ख़ुद रखने को कहा गया. इसी साल हिंद महासागर क्षेत्र के आठ देशों ने भारत की पहल पर चक्रवातीय तूफानों को नाम देने की व्यवस्था शुरू की. भारत के अलावा इनमें बांग्लादेश, पाकिस्तान, म्यांमार, मालदीव, श्रीलंका, ओमान और थाईलैंड शामिल हैं. इन देशों ने 64 नामों की सूची बनाई. हर देश की तरफ से आठ नाम थे. अब चक्रवात विशेषज्ञों का पैनल हर साल मिलता है और जरूरत पड़ने पर यह सूची फिर से भरी जाती है. सदस्य देशों के लोग भी नाम सुझा सकते हैं. जैसे भारत सरकार इस शर्त पर लोगों की सलाह मांगती है कि नाम छोटे, समझ में आने लायक, सांस्कृतिक रूप से संवेदनशील और भड़काऊ न हों. ‘फानी’ का नामकरण बांग्लादेश ने किया है. वैसे बांग्ला में इसका उच्चारण फोनी होता है और इसका मतलब है सांप.
इतनी सावधानी के बावजूद विवाद भी हो ही जाते हैं. जैसे साल 2013 में ‘महासेन’ तूफान को लेकर आपत्ति जताई गई थी. श्रीलंका द्वारा रखे गए इस नाम पर इसी देश के कुछ वर्गों और अधिकारियों को ऐतराज था. उनके मुताबिक राजा महासेन श्रीलंका में शांति और समृद्धि लाए थे, इसलिए आपदा का नाम उनके नाम पर रखना गलत है. इसके बाद इस तूफान का नाम बदलकर ‘वियारु’ कर दिया गया.

शुक्रवार, मई 03, 2019

अमरिन्दर बेअदबी मामले पर लोगों को मूर्ख नहीं बना सकते: सिरसा

"कोई जांच कमेटी झूठ को सच और सच को झूठ नहीं बना सकती"

नई दिल्ली, ३ मई। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष स. मनजिन्दरसिंह सिरसा ने कहा है कि पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह श्री गुरू ग्रंथसाहिब की बेअदबी एवं बहिबल कांड मामले पर लोगों को मुर्ख नहीं बना सकते। सिरसा ने कहा कि कैप्टन अमरिन्दर सिंह चुनाव रैलियों में सियासी लाभ के लिएबेअदबी एवं बहिबल कांड का मुद्दा उठा रहे हैं तथा कह रहे है कि चुनाव के बाद सिट कीजिम्मेंदारी कुवंर विजे प्रताप को देंगे।  दिल्ली कमेटी अध्यक्ष ने कहा कि अमरिन्दरसिंह भले ही कैसी भी जांच करवा ले, झूठ को सच एवं सच को झूठ साबित नहीं करसकते।
उन्होंने आगे कहा कि जांच कमेटी द्वारा जो पहली चार्जशीट पेश की गई है उससे हीस्पष्ट हो गया है कि कैप्टन अमरिन्दर सिंह द्वारा अकाली दल को बदनाम करने की मंशाफेल हो चुकी है। दिल्ली कमेटी अध्यक्ष एवं शिरोमणी अकाली दल के प्रवक्ता स. सिरसाने यह भी कहा कि यह तो कैप्टन अमरिन्दर सिंह भी जानते हैं कि बहिबल कांड याबेअदबी मामलों में शिरोमणी अकाली दल पर कोई आरोप साबित नहीं होता, न हीशिरोमणी अकाली दल जो सिक्खों की प्रतिनिधित्व करने वाली पार्टी है , ऐसी घिनौनीसाजिश में शामिल हो सकती है, परन्तु वह तो चुनाव के दौरान ही बादल परिवार परकीचड़ फेंक कर केवल और केवल वोट बटोरने के लिए सिख संगत को गुमराह करने मेंलगे हुए है, जिसमें वे सफल नहीं होंगे क्योंकि लोग अब असलीयत को जान चुके हैं।
मनजिन्दर सिंह सिरसा ने पंजाब के मुख्यमंत्री को चेतावनी देते हुए कहा कि वेसाहिब श्री गुरू ग्रंथ साहिब की बेअदबी के गंभीर मामले को सियासत के लिए इस्तेमालन करें क्योंकि इससे सिख संगत की भावनाऐं आहत होती है। दिल्ली कमेटी के अध्यक्ष ने सिख संगतों को विनती करते हुए कहा है कि वे सिखों कीकातिल कांग्रेस पार्टी के सियासी चालें चलने वाले इन नेताओं के झांसे में न आये। उन्होंने आगे कहा कि बार-बार जांच करवाने के बावजूद कहीं यह साबित नहीं होता कि बहिबल कला में गोली चलाने के लिए किसी मंत्री या अकाली नेता को पुलिस अधिकारियों ने विश्वास में लिया, बल्कि अभी जांच कमेटी ने जो ताजा तथ्य पेश किये हैं, उसमें जिक्र किया है कि उस समय डयूटी मजिस्ट्रेट नायब  तहसीलदार प्रितपाल सिंह से भी गोली चलाने की आज्ञा नहीं ली गई। उन्होंने कहा कि कैप्टन अमरिन्दर सिंह लोगों की धार्मिक भावनाओं को भड़का कर वोटें लेना चाहते है परन्तु लोगों को उनकी नीयत समझ आ चुकी है।


ASSISTANCE AND INITIATIVES BY RELIANCE INDUSTRIES FOR THE PEOPLE IMPACTED BY FANI

Connectivity is imperative to safety and security of the people in affected regions during the course of Cyclone Fani. Cyclone Fani is said to be India's strongest tropical cyclone to make landfall in 20 years. Whether it is to check on the loved ones, ascertain the climatic situation or reach out for help, connectivity is of utmost importance for people facing this catastrophe. Gauging the situation and being proactive, Jio and Reliance Foundation have taken special measures to keep seamless connectivity for all in the affected areas.

FANI Cyclone

Network Availability and Uptime: Jio is working to mitigate potential downtime due to power outages of its network infrastructure. Through its multiway redundancy methodology planned for catastrophes such as Fani, impacted towers or network nodes have been optimized to remain online making seamless communication possible. All captive power sources have been adequately stocked with diesel or fuel for any unforeseen eventuality.    
Reliance Foundation has been involved with the state disaster management authorities since 27 April 2019 for carrying out preventive communications and support for the at-risk communities in the coastal areas and Jio has provided its digital services to disseminate critical information far and wide.

Cyclone Alerts: Jio has been communicating regular cyclone alerts and updates to nearly 2.5 Lakh fisherfolk/ farmers in the cyclone path districts of Tamilnadu, Andhra Pradesh, Kerala, West Bengal and Odisha since April 27, 2019. The broadcast dissemination modes include Mobile based audio advisories (outbound calls), WhatsApp, JioChat Channel, local cable TV scroll and print media.

Reliance Foundation Helpline: More than 2,000 queries addressed through RF Toll Free Help Line 1800 419 8800
On-the-ground RF Work: Along with District Administration, RF is engaged in evacuating people from low lying areas to temporary camps
On May 2, in Andhra Pradesh, RF along with Marine Police assisted 350 families (657 individuals) living in marine villages namely, Chinagangalapeta, Pedagangalapeta and Narasimhapeta of Srikakulam district to move to temporary camps.
On May 2, in Puri, Odisha, along with Department of Fisheries – an awareness drive was carried about evacuation (move from low lying areas to temporary camps) for 20,000 marine fishing families in 31 hamlets (Penthakata, Puri District).
On May 2, RF staff participated in Disaster Preparedness and Coordination Meeting organized by District Collector, Baleshwar, Odisha and discussed on how RF digital platforms will help Post Disaster Rehabilitation


गुरुवार, अप्रैल 25, 2019

जेल में हाथ- पैर बांधकर पीटते थे पाकिस्तानी फौजी, दो दिन भूखा तड़पाने के बाद मिलती थी डेढ़ रोटी



जो बाेलता उसकी आंखें बांध कर बंदूक की बट से करते थे बर्बरता

1965 की लड़ाई में सीज फायर के बाद पाक सैनिकों ने बंदी बना लिया था दीपालपुर का रामस्वरूप, तीन महीने बाद हुई थी वतन वापसी

बंदूक के बट से छाती की टूटी हड्‌डी दिखाते आंतिल
परिवार ने मान लिया था कि लड़ाई में शहीद हो गया, सरकार बता रही थी लापता, तीन महीने बाद घर आया तो  पिता ने पूरे गांव में बांटे थे लड्‌डू



दीपालपुर गांव के 78 वर्षीय रामस्वरूप आंतिल के कंधो में भले ही आज युवाओं जैसा बल नहीं रहा हो, लेकिन आज भी जब बॉर्डर पर गोलियां चलने की खबर टीवी पर चलती है तो पूरी रात सो नहीं पाता। दिल में हलचल पैदा हो जाती है कि सरकार इजाजत दे तो बॉर्डर पर फिर से देश के लिए 1965 वाली हिम्मत व बहादुरी से लड़ाई लड़े। जब विंग कमांडर अभिनंदन को पाकिस्तानी सेना ने बंदी बनाया तो रामस्वरूप के दिमाग में पाकिस्तान की जेल में  तीन महीने तक मिली दर्दनाक यातनाएं ताजा हो गई। रामस्वरूप आंतिल भी 1965 की लड़ाई में पाकिस्तानी सेना ने बंदी बना लिया था। वे 1978 में रिटायर हुए। रामस्वरूप आंतिल ने पाकिस्तान की जेल में मिले तीन महीने का दर्द सांझा किया।

भारतीय सेना की थर्ड बटालियन के सिपाही रामस्वरूप आंतिल ने बताया कि वह 1963 में सेना में भर्ती हुआ था। राष्ट्रपति भवन से उन्हें लड़ाई के लिए भेजा गया था। उन्होंने दुश्मन को हरा दिया था। भारत- पाकिस्तान की 1965 की लड़ाई समाप्त हो गई थी। सीज फायर घोषित हो गया था। हम युद्ध जीत चुके थे। दो सौ सैनिक राजस्थान के जैसलमेर बॉर्डर पर सादेवाला पोस्ट से घर आने की तैयारी कर रहे थे। अचानक से पाकिस्तान ने सीज फायर का उल्लघंन कर हमला कर दिया। हम सभी 200 सैनिक भी 40 किलोमीटर तक पाकिस्तान की सीमा में घुस गए। हमारी टुकड़ी पाकिस्तान की सीमा के अंदर थी, इस कारण दुश्मन ने चारों तरफ से घेर लिया। हमारे बहुत से सैनिक मार दिए गए। मैं अपने शहीद जवानों के शवों के बीच में लेट गया। पाकिस्तानी सैनिक जब शवों की जांच कर रहे थे तो इस दौरान उसे जिंदा पकड़ लिया गया। तीन दिन तक रहीमान खान पोस्ट पर रखा गया और उसके बाद रावलपिंडी जेल में भेज दिया गया। जेल में उनके साथ पशुओं जैसा बर्ताव किया।

हाथ- पैर बांधकर िदन में तीन बार पीटते थे पाक सैनिक, आंखों पर पट्‌टी बांधकर छाती में मारते थे बंदूक के बट

पाकिस्तानी जेल में मिली प्रताड़ना सुनाते हुए रामस्वरूप आंतिल भावुक हो गए। आंखों से आंसू टकपने लगे। पाकिस्तानी जेल में बंद अपने साथियों के साथ हुई बर्बरता की याद एक फिर ताजा हो गई। रामस्वरूप ने बताया कि हमारे सैनिकों को हाथ- पैर बांधकर दिन में तीन बार पीटा जाता था। भूखा- प्यासा रखा जाता था। दो दिन में डेढ़ रोटी खाने को दी जाती थी। पाक सैनिक कहते थे कि तुम्हारे लिए हमारे पास केवल नौ अंश आट्‌टा ही आता है। जब कोई और रोटी मांगता तो उसकी आंखों पर पट्‌टी बांधकर  छाती में बंदूक की बट मारी जाती।

पाक सैनिकों ने जी भरकर पीटा, लेकिन सेना की एक भी जानकारी नहीं दी

रमस्वरूप बताते हैं कि उन्हें पाक के सैनिकों ने जी भरकर पीटा, लेकिन उन्होंने अपनी सेना व सेना के मिशन की कोई जानकारी उन्हें नहीं दी। जब भी पाक सैनिक कुछ पूछते तो उन्हें गुमराह करने के लिए झूठ बोलता कि मैं तो अभी भर्ती हुआ था और ट्रेनिंग से ही सीधे लड़ाई में भेज दिया। भर्ती हुए भी तीन महीने नहीं हुए हैं। पाक सैनिक जब थक जाते थे तो उन्हें अधमरी हालत में छोड़कर चले जाते थे। वे रात भर तड़पते रहते थे।

तीन महीने तक विधवा बनकर रही पत्नी हरनंदी, दोनों नवजात बच्चों की भी हो गई मौत

रामस्वरूप आंतिल पाक की जेल में बंद था। परिवार ने उसे शहीद मान लिया। सरकार के पास भी काेई पुख्ता सूचना नहीं थी। इसलिए सरकार लापता ही मान रही थी। पिता श्रीलाल आंतिल ने भी बेटे को मृत समझकर सभी रस्म करा दी। पत्नी हरनंदी ने भी विधवा का जीवन जीना शुरू कर दिया। जब रामस्वरूप पाकिस्तानी सेना ने बंधक बनाया था तो वह दो बच्चों का पिता था। तीन महीने बाद जब घर आया तो बच्चों की भी बीमारी की वजह से मौत हो चुकी थी। परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट चुका था। हरनंदी को मायके वाले अपने साथ ले जा रहे थे, लेकिन उसने जाने से इंकार कर दिया और पूरा जीवन अपने पति की याद में ही बीताने का कठोर संकल्प लिया। तीन महीने बाद अब रामस्वरूप घर आया तो परिवार व गांव में खुशी छा गई। पिता श्रीलाल ने ताे पूरे गांव में लड्‌डू बांटे।

मारुति अगले साल से बंद कर देगी डीजल कारें

नयी दिल्ली। मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड का मुनाफा वित्त वर्ष 2018-19 में समग्र आधार पर 2.92 प्रतिशत घटकर 7,650.6 करोड़ रुपये रह गया। वित्त वर्ष 2017-18 में यह 7,880.7 करोड़ रुपये रहा था। कंपनी के निदेशक मंडल की गुरुवार को यहाँ हुई बैठक में तिमाही तथा वार्षिक नतीजों को मंजूरी दी गयी। उसकी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है, “प्रतिकूल विनिमय दर और कच्चे माल की कीमतों में तेजी के कारण बीता वर्ष काफी चुनौतीपूर्ण रहा। इस दौरान हमने गुजरात के दूसरे संयंत्र में भी उत्पादन शुरू किया जिससे मूल्यह्रास में ज्यादा नुकसान हुआ है। वर्ष के दौरान कुल मिलाकर बाजार सुस्त रहा जिससे बिक्री बढ़ाने के लिए प्रोमोशन पर ज्यादा खर्च करना पड़ा। निदेशक मंडल ने पूरे वित्त वर्ष के लिए पाँच रुपये अंकित मूल्य के प्रत्येक शेयर पर 80 रुपये के लाभांश को भी मंजूरी दी। पिछले वर्ष भी उसने इतना ही लाभांश दिया था। 
 नए प्रदूषण मानकों का असर छोटी कारों पर ज्यादा होगा। यूरोप में भी यूरो-6 मानक लागू होने के बाद डीजल कारों की ग्रोथ कम हुई है।
अभी मारुति की विटारा ब्रेजा और एस-क्रॉस सिर्फ डीजल वर्जन में आती हैं। स्विफ्ट, बलेनो, डिजायर, सियाज और अर्टिगा के पेट्रोल और डीजल दोनों वर्जन हैं। कंपनी हल्के कॉमर्शियल वाहन सुपर कैरी का डीजल वर्जन भी बनाना बंद करेगी। यह सिर्फ पेट्रोल या सीएनजी वर्जन में मिलेगी। पेट्रोल-डीजल कारों में अंतर बढ़ेगा: मारुति के सीनियर ईडी सीवी रमन ने पिछले दिनों बताया था कि अभी पेट्रोल और डीजल कारों के दाम में अंतर एक लाख रुपए है। बीएस-6 लागू होने के बाद यह अंतर 2.5 लाख रुपए हो जाएगा। छोटी कार खरीदने वालों के लिए यह रकम काफी ज्यादा है। अप्रैल 2020 से ही बीएस-6 प्रदूषण मानक लागू होंगे। इस मानक के हिसाब से इंजन में बदलाव करने के कारण कार और यूटिलिटी वाहनों के दाम 10-25% तक बढ़ जाएंगे। शुरुआती अनुमान के मुताबिक पेट्रोल कारों के दाम 25,000-60,000 रुपए बढ़ेंगे। डीजल कारों के दाम एक से 2.5 लाख रुपए तक बढ़ सकते हैं। भार्गव ने कहा कि नए प्रदूषण मानकों का असर छोटी कारों पर ज्यादा होगा। यूरोप में भी यूरो-6 मानक लागू होने के बाद डीजल कारों की ग्रोथ कम हुई है।
अभी मारुति की विटारा ब्रेजा और एस-क्रॉस सिर्फ डीजल वर्जन में आती हैं। स्विफ्ट, बलेनो, डिजायर, सियाज और अर्टिगा के पेट्रोल और डीजल दोनों वर्जन हैं। कंपनी हल्के कॉमर्शियल वाहन सुपर कैरी का डीजल वर्जन भी बनाना बंद करेगी।कुल कार बिक्री में डीजल का हिस्सा सिर्फ 35%: बिक्री का ट्रेंड भी बदल रहा है। लोग डीजल के बजाय पेट्रोल गाड़ियां ज्यादा पसंद कर रहे हैं। 2016 में कुल कार बिक्री में 40% डीजल वाली थीं। 2018 में यह 35% रह गई।छोटी डीजल कारें ज्यादा प्रभावित होंगी
बीएस-6 के लिए पेट्रोल गाड़ियों में मामूली बदलाव करना होगा। लेकिन डीजल गाड़ियों में नई टेक्नोलॉजी की जरूरत होगी। छोटी डीजल कारें ज्यादा प्रभावित होंगी, क्योंकि 6 लाख की कार के दाम 50,000 से 1.5 लाख रुपए तक बढ़ जाएंगे। हर साल करीब 18 लाख छोटी कारें बिकती हैं।

गुरुवार, अप्रैल 04, 2019

‘यारा वे’ भारत पाक संबंधों को कुछ अलग अंदाज़ में दिखाने को तैयार


फिल्म में युवराज हंस, गगन कोकरी, मॉनिका गिल और रघवीर बोली मुख्य भूमिकाओं में आएंगे नज़र
हाल के कुछ सालों में फिल्मों में भारत पाक संबंधों को काफी नकारात्मक तौर पर पेश किया गया है।  हालाँकि एक फिल्म है जोकि दोनों देशों के बीच दोस्ती और प्रेम को उजागर करेगी।  ੧੯੪੦ के दशक में आधारित इस पीरियड ड्रामा यारा वे में युवराज हंस, गगन कोकरी, रघवीर बोली और मोनिका गिल मुख्य किरदारों में नज़र आएंगे।
लीड अदाकारों के अलावा इस फिल्म के अन्य स्टार कास्ट में योगराज सिंह, सरदार सोही, निर्मल ऋषि, हॉबी धालीवाल, मलकीत रॉनी, सीमा कौशल, बीएन शर्मा, गुरप्रीत कौर भंगू और राणा जंग बहादुर जैसे प्रतिभाशाली कलाकार भी मौजूद हैं। इसकी कहानी लिखी है रुपिंदर इंदरजीत ने।
गगन कोकरी, फिल्म के एक्टर ने कहा, "यारा वे एक बहुत अनोखा कांसेप्ट है और मुझे ख़ुशी है कि मैं इस फिल्म का हिस्सा हूँ।  यह एक पीरियड फिल्म है जो ऐसे समय में आधारित है जब लोग और रिश्ते बेहद पवित्र, साफ-दिल, अज़ीज़ और शर्तरहित होते थे।  हमें उम्मीद है कि हम उस समय के साथ न्याय कर पाएंगे जब भारत और पाकिस्तान के बीच प्रेम और दोस्ती थी।  लोग इस फिल्म में दर्शाये गए जज़्बातों से जुड़ाव ज़रूर महसूस करेंगे।
मॉनिका गिल, खूबसूरत अदाकारा ने भी अपने विचार साँझा करते हुए कहा, "यारा वे एक एक्टर के तौर पर शायद मेरे लिए सबसे सफल काम रहा है।  फिल्म की झलक और जज़्बात बेशक बहुत साधारण हैं पर उस समय को दिखाना बेहद मुश्किल था जिसके बारे में हमने सिर्फ अपने दादा-दादी से सुना है।  मुझे उम्मीद है कि लोग नसीबो के किरदार से जुड़ पाएंगे और ज़रूर पसंद करेंगे।
फिल्म के बारे में निर्देशक राकेश मेहता ने कहा, इस फिल्म में जज़्बात, ड्रामा, रोमांस और कॉमेडी का बेहतरीन मिश्रण है और यह भारत-पाक विभाजन के मुश्किल वक़्त में स्थापित है। भारत और पाकिस्तान के बीच हमेशा इतनी कड़वाहट नहीं थी और हमने उस समय को याद करने की कोशिश की है जब दोनों देशों के बीच भाईचारा था।  हमने उस समय को दिखाने की कोशिश की है और उम्मीद करते हैं कि यारा वे दर्शकों की अपेक्षाओं पर खरी उतरेगी।
यारा वे हमारा पहला प्रोजेक्ट है और हमने उसे सच्चाई के करीब रखने की भरपूर कोशिश की है।  मुझे राकेश मेहता जी के दृष्टिकोण और रिसर्च पर पूरा भरोसा है और सभी अदाकारों ने इस फिल्म के सेट पर शाट प्रतिशत मेहनत की है। मुझे यकीन है कि इस फिल्म को दर्शकों का प्यार ज़रूर मिलेगा और हम वादा करते हैं कि ऐसे ही कुछ अनोखे कांसेप्ट की फिल्में आगे भी रुपहले परदे पर लेकर आएंगे, बल्ली सिंह काकर, फिल्म के निर्माता ने कहा।
इस फिल्म का विश्व वितरण मुनीश साहनी के ओमजी ग्रुप ने किया है। यारा वे ੫ अप्रैल को सिनेमाघरों में रिलीज़ होगी।

मंगलवार, मार्च 05, 2019

ये नया भारत जो आत्मरक्षा में दे रहा है जवाब

वैश्विक राजनीति में भारत की बदलती भूमिका
ये वो नया भारत है जो पुराने मिथक तोड़ रहा है,
ये वो भारत है जो नई परिभाषाएं गढ़ रहा है,
ये वो भारत है जो आत्मरक्षा में जवाब दे रहा है
ये वो भारत है जिसके जवाब पर विश्व सवाल नहीं उठा रहा है ।
 पुलवामा हमले के जवाब में पाक स्थित आतंकी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक करने के बाद अब भारतीय सेना का कहना है आतंकवाद के खिलाफ अभी ऑपरेशन पूरा नहीं हुआ है। ये नया भारत है जिसने  एक कायराना हमले में अपने वीर जवानों को खो देने के बाद केवल उसकी कड़ी निंदा करने के बजाए उस  की प्रतिक्रिया की और आज इस नए भारत की ताकत को विश्व महसूस कर रहा है ।
 आज विश्व इस न्यू इंडिया को केवल महसूस ही नहीं कर रहा बल्कि स्वीकार भी कर रहा है। ये वो न्यू इंडिया है जिसने विश्व को आतंकवाद की परिभाषा बदलने के लिए मजबूर कर दिया । जो भारत अब से कुछ समय पहले तक आतंकवाद के मुद्दे पर विश्व में अलग थलग था आज पूरी दुनिया उसके साथ है। क्योंकि 2008 के मुंबई हमले के दौरान विश्व के जो देश इस साजिश में पाक का नाम लेने बच रहे थे आज पुलवामा के लिए सीधे सीधे पाक को दोषी ठहरा रहे है।अमेरिका से लेकर ब्रिटेन तक हर देश आतंकवाद को लेकर पकिस्तान के रुख की भर्त्सना कर रहा है  इतना ही नहीं जो अमेरिका और इरान अपनी अपनी विदेश नीति को लेकर अक्सर एक दूसरे के आमने सामने होते हैं आज उनकी पाक को लेकर एक ही नीति है  फ्रांस ने तो यहाँ तक कह दिया है कि पाक को अपनी सीमा में होने वाली आतंकवादी गतिविधियों पर लगाम लगनी चाहिए  जर्मनी और रूस के बयान भी इससे जुदा नहीं थे  और तो और जब पाकिस्तान ने भारत पाक तनाव का असर अफगान शांति प्रक्रिया पर पड़ने की बात कही तो अफगान सरकार ने पाक के झूठ को बेनकाब  करके खुलकर भारत का समर्थन किया दरअसल ये भारत की बहुत बढ़ी कूटनीतिक उपलब्धि है कि कल तक अन्तराष्ट्रीय मंच पर  जिस पाक प्रायोजित आतंकवाद को "एक देश का आतंकवादी दूसरे देश का स्वतंत्रता सेनानी है" कहा जाता था आज "आतंकवाद को किसी भी सूरत में सही नहीं ठहराया जा सकता" कहा जा रहा है । 
और ये इस न्यू इंडिया की बहुत बड़ी जीत है कि आज एक तरफ विश्व के ये देश उसके साथ हैं तो दूसरी तरफ ओआईसी यानी आर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक रिपब्लिक के 57 मुस्लिम देश भी आतंकवाद के मुद्दे पर पाक के नहीं बल्कि भारत के साथ हैं। हाल ही में ओआईसी के सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों के कॉन्क्लेव में भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का गेस्ट ऑफ ऑनर बनना और पाक का बॉयकॉट करना अपने आप में बहुत कुछ कहता है। ऐसे माहौल में चीन भी भारत में आतंकवाद को कश्मीर की आज़ादी की लड़ाई साबित करने के पकिस्तान के षड्यंत्र में पाक का साथ छोड़ने के लिए विवश हो रहा है। यह न्यू इंडिया की ही ताकत है कि सुयुंक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पुलवामा हमले के निंदा प्रस्ताव पर चीन को भी अपनी सहमति देनी पड़ी । क्योंकि हाल के समय में तेज़ी से बदलते हुए वैश्विक परिदृश्य में इस न्यू इंडिया ने विश्व में अपनी एक विशिष्ट पहचान और जगह दोनों बनाई है। जो भारत आज से कुछ सालों पहले तक दुनिया की नज़र में सांप सपेरों का देश था आज विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र और एक तेज़ी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है। जो भारत 1965 1971 और 1999 में कूटनीतिक रूप से कमजोर था आज वो इस मामले में अपना लोहा मनवा चुका है। जिस राजनैतिक तीव्रता से सम्पूर्ण विश्व ने सिर्फ पुलवामा हमले की निंदा ही नहीं की बल्कि पकिस्तान को दोषी ठहराया और भारत के आत्मरक्षा के अधिकार को अपना समर्थन दिया वो वैश्विक राजनीति में भारत की बदली हुई भूमिका बताने के लिए काफ़ी है।
ये बताने के लिए काफी है कि आज का भारत गांधी का अहिंसा वादी भारत नहीं बल्कि यह न्यू इंडिया है। ये वो भारत है जो अपने गुनहगारों का पीछा करते हुए खुद को सीमाओं में नहीं बंधता। वो सीमाओं के पार जाकर साज़िश के असली गुनहगारों को उनके अंजाम तक पहुंचाता है। लेकिन खास बात यह है कि एक देश की सीमा रेखा को पार कर के अपना बदल लेकर भी ये न्यू इंडिया यह स्पष्ठ संदेश देने में कामयाब होता है कि यह "हमला" नहीं है। ये वो न्यू इंडिया है जो दुनिया को यह समझाने में कामयाब हुआ है कि हम शांति चाहते हैं औरशांति के लिए हम युद्ध करने के लिए तैयार हैं। 
शायद इसीलिए वो भारत जो 1971 में जेनेवा समझौते के बावजूद 90000 पाक युद्ध बंदियों और जीते हुए पाक के हिस्से के बदले अपने 54 सैनिक वापस नहीं ले पाता आज पाक को 36 घंटे के भीतर अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते भारी घरेलू विरोध के बावजूद भारतीय पायलट बिना शर्त सकुशल लौटाने के लिए बाध्य कर देता है। ये नया भारत अपनी कूटनीति से पाक और उसके हर झूठ को दुनिया के सामने बेनकाब कर देता है। उस अमेरिका के साथ उसके रिश्ते की नींव ही हिला देता है जिसकी आर्थिक सहायता से उसकी अर्थव्यवस्था चलती है। ये वो न्यू इंडिया है जो बिना लड़े ही युद्ध जीत जाता है। और वो न्यू इंडिया जिसका पायलट मिग 21से f 16 को गिराने का हौसला और जज्बा रखता है एक बार फिर विश्व गुरु बनने के लिए तैयार है।
-डॉ. नीलम महेंद्र

यहां खाकी बदनाम :- नशा तस्करों से मोटी रकम वसूलने वाले सहायक थानेदार और सिपाही नामजद, दोनों फरार

यहां खाकी बदनाम :- नशा तस्करों से मोटी रकम वसूलने वाले सहायक थानेदार और सिपाही नामजद, दोनों फरार एसटीएफ की कार्रवाई में आरोपियों से...