रेल टिकट की भाषा
रेल यात्रा के दौरान हमारी नजर अगर किसी चीज पर कम जाती है तो वह है हमारा रेल टिकट, लेकिन टिकट पर लिखी हर बात का मतलब आपको पता होना बहुत जरूरी है। रेल टिकट पर लिखी कोड भाषा का अर्थ आपको समझाते हैं ।
कितनी तरह के रिजर्वेशन
यह जानना दिलचस्प है कि भारतीय रेल में रिजर्वेशन कितनी तरह का होता है। इस समय भारतीय रेल में आप तीन तरह से रिजर्वेशन पा सकते हैं :
टिकट विंडो पर जाकर पारंपरिक तरीके से रिजर्वेशन
– ऑनलाइन ई-रिजर्वेशन
– ऑनलाइन आई-रिजर्वेशन
E और I टिकट
आजकल ई-टिकट यानी इलेक्ट्रॉनिक टिकट का जमाना है। हर कोई टिकट रिजर्वेशन के लिए कंप्यूटर का इस्तेमाल कर रहा है। यहां रिजर्वेशन के दो ऑप्शन हैं। ई-रिजवेर्शन और आई-रिजर्वेशन। भले ही दोनों रिजर्वेशन घर बैठे कंप्यूटर से कराए जाते हैं लेकिन इनमें कुछ अंतर भी हैं।
– अगर आप फिजिकल टिकट चाहते हैं और टिकट विंडो पर जाने से भी बचना चाहते हैं तो आपको आई-टिकट लेना चाहिए। इस टिकट के साथ यात्रा करने पर आपको कोई आईडी प्रूफ दिखाने की जरूरत नहीं है। ई-टिकट के साथ अगर यात्रा कर रहे हैं तो यात्रा के दौरान आपके पास आईडी प्रूफ होना चाहिए।
– आई-टिकट दिए गए पते पर पोस्ट से पहुंचता है। आई-टिकट के लिए यात्रा से तीन दिन पहले बुकिंग करवानी पड़ेगी जबकि ई-टिकट यात्रा के कुछ घंटों पहले भी लिया जा सकता है।
– आई-टिकट के लिए आपको डाक खर्च भी भरना पड़ेगा जबकि ई-टिकट में आपका काम प्रिंटआउट या एसएमएस से भी चल सकता है।
– ई-टिकट के कई प्रिंट निकाले जा सकते हैं। आई-टिकट दोबारा लेने के लिए आपको फिर से चार्ज देना होगा। दोबारा आई-टिकट पाने के लिए आपको अपना पीएनआर नंबर भी याद होना चाहिए।
पैसेंजर की पहचान PNR
टिकट खिड़की से लिए गए पारंपरिक रिजर्वेशन टिकट के लेफ्ट साइड में ऊपर की ओर यह नंबर होता है। यह नंबर यूनीक होता है और इसे पैसेंजर नेम रेकॉर्ड नंबर कहा जाता है। यह टिकट आपका ही है और इस पर आप ही सफर कर रहे हैं इसका पता इस नंबर से ही चलता है। रेल का टिकट चूंकि नॉन ट्रांस्फरेबल होता है इसलिए आपके टिकट पर कोई और सफर करने का अधिकारी नहीं है। इस लिहाज से यह नंबर रेलवे और आपके दोनों के लिए ही बहुत महत्वपूर्ण है। इंटरनेट या फोन, किसी भी माध्यम से अपने टिकट पर यात्रा की जानकारी आपके पीएनआर नंबर के जरिए ही मिलेगी। अच्छा होगा कि सफर की शुरुआत से पहले अपने पीएनआर नंबर को कहीं लिख लें या मोबाइल में सेव कर लें क्योंकि टिकट खो जाने की हालत में यही आपकी मदद करेगा। पीएनआर नंबर की मदद से आप ट्रेन नंबर, ट्रेन का नाम, डेस्टिनेशन की जानकारी, सफर का क्लास, टिकट का स्टेटस, पैसेंजर कोच और सीट नंबर का पता कर सकते हैं।
‘ट्रेन नंबर’
रिजर्वेशन टिकट पर जो दूसरा महत्वपूर्ण नंबर नजर आता है, वह है ट्रेन नंबर। ऐसा नहीं है कि यह नंबर बस ऐसे ही लिख दिया गया है। इस नंबर में ही आपकी ट्रेन के रूट के राज छुपे हैं। ट्रेन नंबर 5 डिजिट का होता है और इसका हर नंबर कुछ न कुछ कहता है। पहला नंबर यह बताता है कि जिस ट्रेन में आप सफर कर रहे हैं, वह किस तरह की पैसेंजर ट्रेन है। आपको थोड़ा आइडिया देते हैं- अगर आपके रिजर्वेशन टिकट पर लिखे ट्रेन नंबर की पहली डिजिट 0 है तो आप समर स्पेशल, हॉलिडे स्पेशल या अन्य स्पेशल ट्रेन में सफर करने वाले हैं। अगर पहली डिजिट 1 या 2 है तो लंबी दूरी की ट्रेन है जिसमें राजधानी और शताब्दी जैसी ट्रेनें भी शामिल हैं। 3 नंबर से शुरू होने वाले ट्रेन नंबर कोलकाता की लोकल ट्रेनों का होता है। 4 नंबर से शुरू होने वाला ट्रेन नंबर दिल्ली, चेन्नै, सिकंदराबाद जैसे मेट्रो शहरों की रेल सेवाओं का होता है। 5 नंबर परंपरागत तरीके की ट्रेनों का होता है। 6 नंबर से शुरू होने वाली ट्रेनें मेमू होती हैं और 7 नंबर से शुरू होने वाली डेमू। हाल ही में रिजर्व की गई ट्रेन का नंबर 8 होता है और 9 नंबर से शुरू होने वाली ट्रेन मुंबई लोकल की होती हैं। इसी तरह आगे के चार और डिजिट भी अलग-अलग तरीके से ट्रेन के बारे में पूरी जानकारी देते हैं। भारतीय रेलवे के एक्सपर्ट ट्रेन नंबर देख कर ही ट्रेन के रूट की पूरी जानकारी दे सकते हैं।
इसके अलावा, रिजर्वेशन टिकट पर आसानी से समझ में आने वाली जानकारी, जैसे यात्रा की दूरी, तारीख और एडल्ट और बच्चों की जानकारी आपको आसानी से समझ में आ जाएगी। इसके अलावा टिकट का एक नंबर होता है जिससे जरूरत पड़ने पर यह पता लगाया जा सकता है कि यह कहां से लिया गया है। ई-रिजर्व टिकट पर आपको टिकट नंबर की जगह ट्रांजैक्शन नंबर मिलेगा। इसके नीचे आपको आपकी जर्नी के क्लास और आने-जाने की जगह का नाम मिलेगा। ई-टिकट पर तो आपको अपना फोन नंबर और पता लिखने का ऑप्शन भी मिलता है जो प्रिंटआउट में साफ दिखता है। अगर आपका टिकट कंफर्म है तब तो चिंता नहीं है लेकिन अगर कहीं वेटिंग का चक्कर है तो आपको रेलवे की अंग्रेजी की पाठशाला फिर से जॉइन करनी पड़ेगी।
WL का चक्कर
अपने टिकट कंफर्म न होने की टेंशन आपको होगी ही, साथ ही शॉर्ट फॉर्म में लिखे अंग्रेजी के कुछ अक्षर आपकी धड़कनें और बढ़ाएंगे। आइए नजर डालते हैं वेटिंग लिस्ट के कुछ ऐसे ही शॉर्ट फॉर्म्स पर और उनके मतलब पर…
RLWL: इसका मतलब है रिमोट लोकेशन वेटिंग लिस्ट। अगर दो बड़े स्टेशनों के बीच का कोई ऐसा स्टेशन है जहां से ज्यादा ट्रेनें मौजूद नहीं हैं तो वहां के यात्री को किसी कैंसलेशन की स्थिति में पहले सीट दी जाएगी। अगर इस तरह की वेटिंग लिस्ट ज्यादा भी है फिर भी सीट मिलने के चांस ज्यादा होते हैं।PQWL: कई छोटे स्टेशनों को जरूरत के हिसाब से कोटे में कुछ सीटें दी जाती हैं। अगर इन स्टेशनों से आप अपनी यात्रा शुरू कर रहे हैं और आपका टिकट वेटिंग में है तो आप पूल्ड कोटा वेटिंग लिस्ट में आते हैं। इसका मतलब है कि पूल्ड कोटे के सारे टिकट रिजर्व हो चुके हैं और आप उस कोटे में वेटिंग लिस्ट में हैं।
CKWL : जब आप तत्काल कोटे में टिकट लेते हैं और आपकी टिकट वेटिंग में होती है तो इसे करंट कोटा वेटिंग लिस्ट में रखा जाता है। आमतौर पर इस तरह की वेटिंग लिस्ट 10 तक होने पर कंफर्म हो जाती है।
RQWL : इसे रिक्वेस्ट वेटिंग लिस्ट कहते हैं। अगर रूट में कोई पूल्ड कोटा नहीं है तो इस तरह की वेटिंग लिस्ट को बनाया जाता है।
कोटे तेरे कितने नाम
हर ट्रेन में कई तरह के रिजर्वेशन कोटे भी होते हैं जिनका शॉर्ट फॉर्म जनाना भी आपके काम आ सकता है।
LD : लेडीज कोटा
HQ: हाई ऑफिशल या हेडक्वॉर्टर कोटा
DF: डिफेंस कोटा
OS: आउट स्टेशन कोटा
RS: रोड साइड कोटा, बड़े स्टेशनों के बीच के ऐसे स्टेशन जो कंप्यूटराइज्ड नेटवर्क से न जुडे़ हों तब उन्हें रोड साइड कोटे में रख कर टिकट रिजर्व किए जाते हैं। इनमें वेटिंग लिस्ट भी होती है।
PH: पार्लियामेंट हाउस कोटा
FT: फॉरेन टूरिस्ट कोटा
DP: ड्यूटी पास कोटा
HP: हैंडिकैप कोटा
SS: सीनियर सिटीजन कोटा
UP-DOWN को भी समझें
जिस स्टेशन से ट्रेन शुरू होती है और अपने डेस्टिनेशन की तरफ जाती है तो वह अप ट्रेन कहलाती है। वापस आने की यात्रा को डाउन जर्नी कहते हैं। अगर कोई ट्रेन दिल्ली से अहमदाबाद के लिए शुरू हो रही है तो इसे अहमदाबाद की ओर अप ट्रेन कहेंगे जब यह वापस आएगी तो इसे अहमदाबाद से डाउन कहेंगे। डाउन ट्रेन का नंबर अप से एक ज्यादा रहता है। जैसे अगर अप ट्रेन का नंबर 20145 है तो डाउन का नंबर 20146 होगा।
सीट भी जान लें
अगर टिकट कंफर्म है तो सीट नंबर के अलावा टिकट देखकर आप उसकी पोजिशन भी जान सकते हैं। अगर आपकी बर्थ नंबर के सामने LB लिखा है तो इसका मतलब है लोअर यानी नीचे वाली बर्थ, अगर लिखा है MB तो इसका मतलब मिडल बर्थ, UB का स्वाभाविक मतलब है अपर बर्थ। इसके अलावा, अगर SU और SL लिखा है तो इसका मतलब साइड अपर और साइड लोअर बर्थ है। रेलवे सीनियर सिटिजन के लिए लोवर सीट ही देने की कोशिश करता है, बशर्ते ऐसी सीट उपलब्ध हो। ऑनलाइन रिजर्वेशन करवाने पर उपलब्धता के हिसाब से आप खुद ही सीट चुन सकते हैं।
रेलवे हेल्पलाइन की मदद लें
दिल्ली डिविजन के डिविजनल रेलवे मैनेजर (डीआरएम) ए. के. सचान ने रेल यात्रियों के रिजर्वेशन से जुड़े सवालों के जवाब दिए…
क्या कोई ऐसा नंबर है जहां जाकर टिकट संबंधी परेशानी को लेकर बात की जा सके?
लोगों को अगर स्टेशन पर कोई परेशानी हो तो स्टेशन मास्टर से संपर्क किया जा सकता है। कंफ्यूजन की स्थिति में यात्री रेलवे की वेबसाइट http://www.indianrail.gov.in/ और http://www.nr.indianrailways.gov.in पर जा सकते हैं। टिकटिंग को लेकर कोई अलग हेल्पलाइन तो नहीं है लेकिन कई तरह की और रेलवे हेल्पलाइन्स मदद कर सकती हैं। हमारी 9717630982 हेल्पलाइन भी मददगार हो सकती है। किसी परेशानी की शिकायत से ही हमें स्थिति सुधारने में मदद मिलेगी।
क्या ऑनलाइन रिजर्वेशन से टिकट खिड़कियों पर दबाव कुछ कम हुआ है जिससे जरूरत पड़ने पर लोग वहां भी जाकर रिजर्वेशन करवा सकें?
जी हां। ऐसा हुआ है और हम लगातार कोशिश कर रहे हैं कि जिनके पास सुविधा है, वे घर बैठे ही रिजर्वेशन करवा सकें। अगर पास ही रेलवे रिजर्वेशन विंडो है तो जरूरत पड़ने पर इसका फायदा भी उठाया जा सकता है।
आने वाले दिनों में रेलवे रिजर्वेशन सिस्टम में किस तरह के सुधार लाने की कोशिश कर रहा है?
हमारी पहली कोशिश यही है कि हम आईआरसीटीसी के साथ मिलकर सिस्टम को अधिक से अधिक लोगों के लिए रिजर्वेशन करवाने लायक बना सकें। रेलवे को लगातार सर्वर की शिकायतें मिलती हैं। जल्द ही इसमें सुधार के आसार हैं।
प्रवीण
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