1999में पारंपरिक खेती को छोड़ फूलों की खेती करने वाले गांव खेड़ी मल्लाह (समाना उपमंडल) के हरबंस सिंह की आंखों में सफलता की चमक आसानी से देखी जा सकती है। 10 एकड़ में फूलों की खेती करने वाले हरबंस सिंह कहते हैं कि ग्रैजुएशन के बाद वह दूसरों की तरह सरकारी नौकरी के पीछे नहीं भागे। उन्होंने पारिवारिक पेशे को चुना और आज सालाना चार लाख रुपए की कमाई कर रहे हैं। पिता हाकम सिंह भी बेटे की सफलता से गदगद हैं। कहते हैं शुरू में दो-तीन साल तो काफी मुश्किलें हुईं, लेकिन अब सबकुछ ठीक है। पांच एकड़ जमीन उनकी अपनी है तथा पांच एकड़ उन्होंने ठेके पर ले रखी है। फूलों की अलग-अलग किस्में जैसे मैरी गोल्ड, जाफरी, गुलदाउदी की खेती करते हैं। गेहूं और धान की खेती में एक लाख रुपए का लाभ होता था लेकिन इस फसल से उसको अच्छी आमदनी हो रही है।
खेतीबाड़ी विभाग से प्रगतिशील खेती के लिए सम्मानित हो चुके हाकम सिंह ने कहा कि उनके अलावा भरपूर सिंह, बलबीर सिंह, महिंदर सिंह, परगट सिंह तथा जसवीर सिंह किसान फूलों की खेती करके अच्छी कमाई कर रहे हैं।उन्होंने कैप्टन सरकार से पटियाला में फूलों की मंडी स्थापित करने की अपील की, ताकि किसानों को फूल बेचने के लिए लुधियाना या दिल्ली जाना पड़े।
हरबंस ने कहा कि दो साल से फूलों की खेती करने वाले किसानों को जो सब्सिडी सरकार देती थी अब वह बंद हो गई है। यदि सरकार आर्थिक मदद देना फिर शुरू करें तो दूसरे किसान भी फूलों की खेती से जुड़ जाएंगे तथा फूलों की काश्त करने से पंजाब के पानी की बचत के साथ साथ बिजली की बचत भी होगी। इस खेती पर मौसम का प्रभाव भी कम रहता है।
हरबंस सिंह ने बताया की पेशेवर खेती से कमाई अच्छी नहीं हो रही थी। समय के साथ-साथ नई तकनीकों का ईजाद हो रहा है। उन्होंने सोचा आय में वृद्धि के लिए नई तकनीक से खेती भी करना होगा। इसलिए उन्होंने फूलों की खेती को अपनाया। कहा, खेती में खर्चे बढ़ गए हैं इसलिए आमदनी को बढ़ाना भी जरूरी था। यह तभी संभव है जब पारंपरिक खेती को छोड़कर नई तकनीक अपनाई जाएगी।
खेतीबाड़ी विभाग से प्रगतिशील खेती के लिए सम्मानित हो चुके हाकम सिंह ने कहा कि उनके अलावा भरपूर सिंह, बलबीर सिंह, महिंदर सिंह, परगट सिंह तथा जसवीर सिंह किसान फूलों की खेती करके अच्छी कमाई कर रहे हैं।उन्होंने कैप्टन सरकार से पटियाला में फूलों की मंडी स्थापित करने की अपील की, ताकि किसानों को फूल बेचने के लिए लुधियाना या दिल्ली जाना पड़े।
हरबंस ने कहा कि दो साल से फूलों की खेती करने वाले किसानों को जो सब्सिडी सरकार देती थी अब वह बंद हो गई है। यदि सरकार आर्थिक मदद देना फिर शुरू करें तो दूसरे किसान भी फूलों की खेती से जुड़ जाएंगे तथा फूलों की काश्त करने से पंजाब के पानी की बचत के साथ साथ बिजली की बचत भी होगी। इस खेती पर मौसम का प्रभाव भी कम रहता है।
हरबंस सिंह ने बताया की पेशेवर खेती से कमाई अच्छी नहीं हो रही थी। समय के साथ-साथ नई तकनीकों का ईजाद हो रहा है। उन्होंने सोचा आय में वृद्धि के लिए नई तकनीक से खेती भी करना होगा। इसलिए उन्होंने फूलों की खेती को अपनाया। कहा, खेती में खर्चे बढ़ गए हैं इसलिए आमदनी को बढ़ाना भी जरूरी था। यह तभी संभव है जब पारंपरिक खेती को छोड़कर नई तकनीक अपनाई जाएगी।
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