बुधवार, मई 09, 2012

उडऩे वाला टाइटेनिक है एयर इंडिया का ये





अभिजित मिश्र. केपटाउन
आप इसे आसमान में उडऩे वाला टाइटेनिक कह सकते हैं। नजदीक जाएं तो किसी विशालकाय इमारत के नीचे खड़े होने का अहसास होता है। एयर इंडिया का बोइंग 747-400  यकीनन अपने भीतर ढेर सारी खूबियां समेटे है, जो इसे देश के प्रथम नागरिक का वाहन (एयर इंडिया-1) होने का गौरव प्रदान करती हैं। डेढ़ दशक से भी ज्यादा समय से भारत के पास मौजूद यह विमान आज भी अंदर व बाहर से ऐसे चमचमाता है, मानो इसे आज-कल में बनाया गया हो। विश्व की कोई भी प्राइवेट एयरलाइंस इस श्रेणी के विमान का इस्तेमाल 400 या उससे भी ज्यादा यात्रियों को मुकाम तक पहुंचाने में करती है, लेकिन राष्ट्रपति व उनके साथ चलने वाले अति विशिष्ट व्यक्तियों के आराम व जरूरतों को ध्यान में रखते हुए एआई-1 को ऐसे डिजाइन किया गया है कि फिलहाल इसमें 155 यात्री ही सफर कर सकते हैं।
यात्रा को अत्यधिक सुरक्षित बनाने के लिए विमान में चार शक्तिशाली इंजन हैं, जो अपनी पूरी शक्ति के साथ इसे आकाश का सीना चीरते हुए 35 हजार फुट की ऊंचाई तक ले जाने में सक्षम हैं। इसकी अधिकतम गति 900 किलोमीटर प्रति घंटा है। इस स्पीड पर भी विमान के भीतर मौजूद यात्रियों को किसी किस्म की असुविधा नहीं होती। तीन मंजिले इस विमान में यात्रियों के लिए कुल 12 दरवाजे हैं, जिसमें 2 पहली मंजिल पर और 10 बीच वाले मुख्य हिस्से में बनाए गए हैं। विमान का सबसे निचला हिस्सा अन्य विमानों की तरह सामान रखने में ही काम आता है। कॉकपिट सबसे ऊपर वाली मंजिल पर है, जिसमें हर समय शानदार फ्लाइंग रिकॉर्ड रखने वाले चार पायलट हर वक्त मौजूद रहते हैं। इसके ठीक पीछे टॉयलेट, एक किचन स्टोर, हैंड बैग्स रखने का स्थान और फिर एग्जीक्यूटिव क्लास 28 सीटें मौजूद हैं। इन सीटों पर अमूमन राष्ट्रपति के साथ चलने वाले डेलीगेट्स व विदेश मंत्रालय के उच्चाधिकारी सफर करते हैं। मूल स्वरूप में जंबो विमान में कुल 12 टॉयलेट होते हैं, पर प्रेसिडेंशियल सुईट बनाने के लिए किए गए बदलाव से एआई-1 में इनकी संख्या घटकर नौ रह गई है।
विमान का बीच वाले हिस्से में सबसे आगे फस्र्ट क्लास है, जिसकी 12 सीटें राष्ट्रपति के साथ चल रहे केंद्रीय मंत्रियों, सांसदों अथवा शीर्ष रक्षा अधिकारियों के लिए आरक्षित रहती हैं। इसके बाद आता है राष्ट्रपति का कंट्रोल रूम। यह रूम संचार तथा सूचना प्रौद्योगिकी से संबंधित सभी आवश्यक अत्याधुनिक उपकरणों से लैस है। राष्ट्रपति यहां बैठकर सेटेलाइट के माध्यम से कोई भी जानकारी हासिल कर सकते हैं। इसके ठीक पीछे है शानदार प्रेसिडेंशियल सुईट, जिसमें एक आरामदायक बेड, ड्रेसिंग टेबल, आदमकद आईना व एक बिग स्क्रीन टेलीविजन लगा है। प्रेसिडेंट का व्यक्तिगत सामान रखने के लिए भी इसमें जगह है। यह बात अलग है कि फ्लाइट टेक ऑफ व लैंड करते समय राष्ट्रपति को भी बेड के बजाय सुरक्षा पेटी बांधकर कुर्सी पर बैठना पड़ता है। सुईट के साथ ही फस्र्ट क्लास श्रेणी की आठ सीटें हैं। अमूमन इनका इस्तेमाल परिजनों या खास मेहमानों द्वारा किया जाता है।
प्रेसिडेंशियल सुईट के ठीक बाद मीडिया के लिए बनाया गया डी-जोन है, जिसमें फस्र्ट क्लास श्रेणी की तीन कतारों में कुल 38 सीटें हैं। इनमें दो सीटों का रुख बाकी सीटों की तरफ है। इनमें से एक सीट का इस्तेमाल प्रेसिडेंट ऑन बोर्ड प्रेसवार्ता के लिए करते हैं। इसके पीछे ई-जोन है, जिसमें तीन कतारों में इकोनॉमी क्लास की 63 सीटें हैं। इन सीटों का इस्तेमाल राष्ट्रपति भवन, सचिवालय व विदेश मंत्रालय के कर्मचारियों व सुरक्षाकर्मियों द्वारा किया जाता है। विमान की सभी सीटें एलसीडी व हेडफोन सुविधा से लैस हैं। इन सीटों के पीछे विमान के आखिरी हिस्से का इस्तेमाल अखबार, मैगजीन, क्रू मेंबर्स की ड्रेसेज तथा विभिन्न यात्राओं के दौरान राष्ट्रपति को भेंट किए गए उपहारों को रखने में किया जाता है।

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