भारतीय रेलवे के सफर की आधिकारिक शुरुआत 16 अप्रैल 1853 को हुई थी जब बॉम्बे के बोरीबंदर से ठाणो के बीच पहली यात्री गाड़ी को हरी झंडी दिखाई गई। इसके बाद भारत में रेल नेटवर्क का तेजी से विस्तार हुआ जिसका प्रारंभिक श्रेय तत्कालीन गवर्नर जनरल लार्ड डलहौजी को दिया जाता है।
भारतीय रेलवे के इतिहास का एक महत्वपूर्ण पड़ाव 3 फरवरी 1925 को माना जा सकता है जिस दिन बाम्बे वीटी व कुर्ला के बीच पहली इलेक्ट्रिक ट्रेन चलाई गई। 1937 में वातानुकूलित बोगियों की शुरुआत हुई। स्वतंत्र भारत के लिए पहला रेल बजट 1947 में जॉन मथाई ने पेश किया था।
राष्ट्रीय राजधानी से राज्यों की राजधानियों को जोड़ने के लिए राजधानी एक्सप्रेस चलाई गईं। ऐसी पहली रेलगाड़ी वर्ष 1969 में शुरू हुई। 1990 के दशक को तीन घटनाओं के लिए याद किया जा सकता है। 1984 में कोलकाता में देश की पहली मेट्रो, 1986 में रेलवे आरक्षण में कंप्यूटरीकरण और 1988 में पहली शताब्दी ट्रेन की शुरुआत हुई। यह देश की सबसे तेज ट्रेन है। ट्रेनों की जानकारी के लिए 2007 में ‘139 सेवा’ आरंभ हुई।
भारतीय रेलवे दुनिया की सबसे बड़ी नियोक्ता है जिसके तहत करीब 14 लाख कर्मचारी काम करते हैं। यह विश्व का पांचवां सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है। इसकी 1,08,706 किमी लंबी पटरियों पर ग्यारह हजार रेलगाड़ियां दौड़ती हैं जिनमें रोजाना 14 मिलियन यात्री सफर करते हैं। इसके अलावा हर दिन 4000 मालगाड़ियां चलती हैं,जो लगभग 850 मिलियन टन माल की ढुलाई करती हैं।
ये यात्री देशभर में स्थित करीब 7 हजार रेलवे स्टेशनों पर चढ़ते-उतरते हैं। एक ही व्यवस्था के तहत संचालित होने वाली रेलवे में यह नंबर एक पर है। इतना विशालकाय संस्थान होने की वजह से ही हर साल रेल मंत्री इसके लिए संसद में अलग से बजट पेश करते हैं।
आर्थिक आंकड़ों के हिसाब से रेलमंत्रालय-
रेलवे मंत्रालय के द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार मौजूदा विक्त वर्ष के पहले 10 महीनों में कुल 70,501.65 करोड़ रुपए की कमाई हुई है, जो पिछले साल के सामान अवधि की कमाई 64943.32 करोड़ रुपए की तुलना में 8.6 प्रतिशत अधिक है। विस्तृत तौर पर, माल भाड़े से हुई कमाई में 8.47 फीसदी और यात्री किराये में 7.40 फीसदी के बढ़त दर्ज की गई। आंकड़े यहीं बयान करते हैं कि आर्थिक मंदी के दौर में विभाग ने अच्छा प्रदर्शन किया। लेकिन दीदी के लिए परेशानी बनी हुई है।
भारतीय रेलवे के इतिहास का एक महत्वपूर्ण पड़ाव 3 फरवरी 1925 को माना जा सकता है जिस दिन बाम्बे वीटी व कुर्ला के बीच पहली इलेक्ट्रिक ट्रेन चलाई गई। 1937 में वातानुकूलित बोगियों की शुरुआत हुई। स्वतंत्र भारत के लिए पहला रेल बजट 1947 में जॉन मथाई ने पेश किया था।
राष्ट्रीय राजधानी से राज्यों की राजधानियों को जोड़ने के लिए राजधानी एक्सप्रेस चलाई गईं। ऐसी पहली रेलगाड़ी वर्ष 1969 में शुरू हुई। 1990 के दशक को तीन घटनाओं के लिए याद किया जा सकता है। 1984 में कोलकाता में देश की पहली मेट्रो, 1986 में रेलवे आरक्षण में कंप्यूटरीकरण और 1988 में पहली शताब्दी ट्रेन की शुरुआत हुई। यह देश की सबसे तेज ट्रेन है। ट्रेनों की जानकारी के लिए 2007 में ‘139 सेवा’ आरंभ हुई।
भारतीय रेलवे दुनिया की सबसे बड़ी नियोक्ता है जिसके तहत करीब 14 लाख कर्मचारी काम करते हैं। यह विश्व का पांचवां सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है। इसकी 1,08,706 किमी लंबी पटरियों पर ग्यारह हजार रेलगाड़ियां दौड़ती हैं जिनमें रोजाना 14 मिलियन यात्री सफर करते हैं। इसके अलावा हर दिन 4000 मालगाड़ियां चलती हैं,जो लगभग 850 मिलियन टन माल की ढुलाई करती हैं।
ये यात्री देशभर में स्थित करीब 7 हजार रेलवे स्टेशनों पर चढ़ते-उतरते हैं। एक ही व्यवस्था के तहत संचालित होने वाली रेलवे में यह नंबर एक पर है। इतना विशालकाय संस्थान होने की वजह से ही हर साल रेल मंत्री इसके लिए संसद में अलग से बजट पेश करते हैं।
आर्थिक आंकड़ों के हिसाब से रेलमंत्रालय-
रेलवे मंत्रालय के द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार मौजूदा विक्त वर्ष के पहले 10 महीनों में कुल 70,501.65 करोड़ रुपए की कमाई हुई है, जो पिछले साल के सामान अवधि की कमाई 64943.32 करोड़ रुपए की तुलना में 8.6 प्रतिशत अधिक है। विस्तृत तौर पर, माल भाड़े से हुई कमाई में 8.47 फीसदी और यात्री किराये में 7.40 फीसदी के बढ़त दर्ज की गई। आंकड़े यहीं बयान करते हैं कि आर्थिक मंदी के दौर में विभाग ने अच्छा प्रदर्शन किया। लेकिन दीदी के लिए परेशानी बनी हुई है।
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