patarkar mann jab bhi kahin ghumkaree par nikal padta hai to kuch kamaal ho jata hai
रविवार, सितंबर 27, 2009
यह मेरा सड़ा आचार
अरे यार यह सड़ा आचार क्या है चलिये मैं बत्ताता हूँ चूँकि पत्रकार हूँ तो बात करता हूँ संपादक की । हर आदमी संपादक होता है और चोट्टे पतरकारों की नज़र में वोः सड़ा आचार होता है । मजे की बात यह है की संपादक की नज़र में यह तुचे पत्रकार सड़ा आचार होता है। इसके ठीक विपरीत ये लेखक संपादक की नजरों में सड़े अचार होते हैं जो सड़े अचार की माफ़िक घोर अपठनीय-अप्रकाशनीय रचनाओं पर रचनाएँ लिख मारते हैं.
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