गुरुवार, अप्रैल 25, 2019

जेल में हाथ- पैर बांधकर पीटते थे पाकिस्तानी फौजी, दो दिन भूखा तड़पाने के बाद मिलती थी डेढ़ रोटी



जो बाेलता उसकी आंखें बांध कर बंदूक की बट से करते थे बर्बरता

1965 की लड़ाई में सीज फायर के बाद पाक सैनिकों ने बंदी बना लिया था दीपालपुर का रामस्वरूप, तीन महीने बाद हुई थी वतन वापसी

बंदूक के बट से छाती की टूटी हड्‌डी दिखाते आंतिल
परिवार ने मान लिया था कि लड़ाई में शहीद हो गया, सरकार बता रही थी लापता, तीन महीने बाद घर आया तो  पिता ने पूरे गांव में बांटे थे लड्‌डू



दीपालपुर गांव के 78 वर्षीय रामस्वरूप आंतिल के कंधो में भले ही आज युवाओं जैसा बल नहीं रहा हो, लेकिन आज भी जब बॉर्डर पर गोलियां चलने की खबर टीवी पर चलती है तो पूरी रात सो नहीं पाता। दिल में हलचल पैदा हो जाती है कि सरकार इजाजत दे तो बॉर्डर पर फिर से देश के लिए 1965 वाली हिम्मत व बहादुरी से लड़ाई लड़े। जब विंग कमांडर अभिनंदन को पाकिस्तानी सेना ने बंदी बनाया तो रामस्वरूप के दिमाग में पाकिस्तान की जेल में  तीन महीने तक मिली दर्दनाक यातनाएं ताजा हो गई। रामस्वरूप आंतिल भी 1965 की लड़ाई में पाकिस्तानी सेना ने बंदी बना लिया था। वे 1978 में रिटायर हुए। रामस्वरूप आंतिल ने पाकिस्तान की जेल में मिले तीन महीने का दर्द सांझा किया।

भारतीय सेना की थर्ड बटालियन के सिपाही रामस्वरूप आंतिल ने बताया कि वह 1963 में सेना में भर्ती हुआ था। राष्ट्रपति भवन से उन्हें लड़ाई के लिए भेजा गया था। उन्होंने दुश्मन को हरा दिया था। भारत- पाकिस्तान की 1965 की लड़ाई समाप्त हो गई थी। सीज फायर घोषित हो गया था। हम युद्ध जीत चुके थे। दो सौ सैनिक राजस्थान के जैसलमेर बॉर्डर पर सादेवाला पोस्ट से घर आने की तैयारी कर रहे थे। अचानक से पाकिस्तान ने सीज फायर का उल्लघंन कर हमला कर दिया। हम सभी 200 सैनिक भी 40 किलोमीटर तक पाकिस्तान की सीमा में घुस गए। हमारी टुकड़ी पाकिस्तान की सीमा के अंदर थी, इस कारण दुश्मन ने चारों तरफ से घेर लिया। हमारे बहुत से सैनिक मार दिए गए। मैं अपने शहीद जवानों के शवों के बीच में लेट गया। पाकिस्तानी सैनिक जब शवों की जांच कर रहे थे तो इस दौरान उसे जिंदा पकड़ लिया गया। तीन दिन तक रहीमान खान पोस्ट पर रखा गया और उसके बाद रावलपिंडी जेल में भेज दिया गया। जेल में उनके साथ पशुओं जैसा बर्ताव किया।

हाथ- पैर बांधकर िदन में तीन बार पीटते थे पाक सैनिक, आंखों पर पट्‌टी बांधकर छाती में मारते थे बंदूक के बट

पाकिस्तानी जेल में मिली प्रताड़ना सुनाते हुए रामस्वरूप आंतिल भावुक हो गए। आंखों से आंसू टकपने लगे। पाकिस्तानी जेल में बंद अपने साथियों के साथ हुई बर्बरता की याद एक फिर ताजा हो गई। रामस्वरूप ने बताया कि हमारे सैनिकों को हाथ- पैर बांधकर दिन में तीन बार पीटा जाता था। भूखा- प्यासा रखा जाता था। दो दिन में डेढ़ रोटी खाने को दी जाती थी। पाक सैनिक कहते थे कि तुम्हारे लिए हमारे पास केवल नौ अंश आट्‌टा ही आता है। जब कोई और रोटी मांगता तो उसकी आंखों पर पट्‌टी बांधकर  छाती में बंदूक की बट मारी जाती।

पाक सैनिकों ने जी भरकर पीटा, लेकिन सेना की एक भी जानकारी नहीं दी

रमस्वरूप बताते हैं कि उन्हें पाक के सैनिकों ने जी भरकर पीटा, लेकिन उन्होंने अपनी सेना व सेना के मिशन की कोई जानकारी उन्हें नहीं दी। जब भी पाक सैनिक कुछ पूछते तो उन्हें गुमराह करने के लिए झूठ बोलता कि मैं तो अभी भर्ती हुआ था और ट्रेनिंग से ही सीधे लड़ाई में भेज दिया। भर्ती हुए भी तीन महीने नहीं हुए हैं। पाक सैनिक जब थक जाते थे तो उन्हें अधमरी हालत में छोड़कर चले जाते थे। वे रात भर तड़पते रहते थे।

तीन महीने तक विधवा बनकर रही पत्नी हरनंदी, दोनों नवजात बच्चों की भी हो गई मौत

रामस्वरूप आंतिल पाक की जेल में बंद था। परिवार ने उसे शहीद मान लिया। सरकार के पास भी काेई पुख्ता सूचना नहीं थी। इसलिए सरकार लापता ही मान रही थी। पिता श्रीलाल आंतिल ने भी बेटे को मृत समझकर सभी रस्म करा दी। पत्नी हरनंदी ने भी विधवा का जीवन जीना शुरू कर दिया। जब रामस्वरूप पाकिस्तानी सेना ने बंधक बनाया था तो वह दो बच्चों का पिता था। तीन महीने बाद जब घर आया तो बच्चों की भी बीमारी की वजह से मौत हो चुकी थी। परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट चुका था। हरनंदी को मायके वाले अपने साथ ले जा रहे थे, लेकिन उसने जाने से इंकार कर दिया और पूरा जीवन अपने पति की याद में ही बीताने का कठोर संकल्प लिया। तीन महीने बाद अब रामस्वरूप घर आया तो परिवार व गांव में खुशी छा गई। पिता श्रीलाल ने ताे पूरे गांव में लड्‌डू बांटे।

मारुति अगले साल से बंद कर देगी डीजल कारें

नयी दिल्ली। मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड का मुनाफा वित्त वर्ष 2018-19 में समग्र आधार पर 2.92 प्रतिशत घटकर 7,650.6 करोड़ रुपये रह गया। वित्त वर्ष 2017-18 में यह 7,880.7 करोड़ रुपये रहा था। कंपनी के निदेशक मंडल की गुरुवार को यहाँ हुई बैठक में तिमाही तथा वार्षिक नतीजों को मंजूरी दी गयी। उसकी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है, “प्रतिकूल विनिमय दर और कच्चे माल की कीमतों में तेजी के कारण बीता वर्ष काफी चुनौतीपूर्ण रहा। इस दौरान हमने गुजरात के दूसरे संयंत्र में भी उत्पादन शुरू किया जिससे मूल्यह्रास में ज्यादा नुकसान हुआ है। वर्ष के दौरान कुल मिलाकर बाजार सुस्त रहा जिससे बिक्री बढ़ाने के लिए प्रोमोशन पर ज्यादा खर्च करना पड़ा। निदेशक मंडल ने पूरे वित्त वर्ष के लिए पाँच रुपये अंकित मूल्य के प्रत्येक शेयर पर 80 रुपये के लाभांश को भी मंजूरी दी। पिछले वर्ष भी उसने इतना ही लाभांश दिया था। 
 नए प्रदूषण मानकों का असर छोटी कारों पर ज्यादा होगा। यूरोप में भी यूरो-6 मानक लागू होने के बाद डीजल कारों की ग्रोथ कम हुई है।
अभी मारुति की विटारा ब्रेजा और एस-क्रॉस सिर्फ डीजल वर्जन में आती हैं। स्विफ्ट, बलेनो, डिजायर, सियाज और अर्टिगा के पेट्रोल और डीजल दोनों वर्जन हैं। कंपनी हल्के कॉमर्शियल वाहन सुपर कैरी का डीजल वर्जन भी बनाना बंद करेगी। यह सिर्फ पेट्रोल या सीएनजी वर्जन में मिलेगी। पेट्रोल-डीजल कारों में अंतर बढ़ेगा: मारुति के सीनियर ईडी सीवी रमन ने पिछले दिनों बताया था कि अभी पेट्रोल और डीजल कारों के दाम में अंतर एक लाख रुपए है। बीएस-6 लागू होने के बाद यह अंतर 2.5 लाख रुपए हो जाएगा। छोटी कार खरीदने वालों के लिए यह रकम काफी ज्यादा है। अप्रैल 2020 से ही बीएस-6 प्रदूषण मानक लागू होंगे। इस मानक के हिसाब से इंजन में बदलाव करने के कारण कार और यूटिलिटी वाहनों के दाम 10-25% तक बढ़ जाएंगे। शुरुआती अनुमान के मुताबिक पेट्रोल कारों के दाम 25,000-60,000 रुपए बढ़ेंगे। डीजल कारों के दाम एक से 2.5 लाख रुपए तक बढ़ सकते हैं। भार्गव ने कहा कि नए प्रदूषण मानकों का असर छोटी कारों पर ज्यादा होगा। यूरोप में भी यूरो-6 मानक लागू होने के बाद डीजल कारों की ग्रोथ कम हुई है।
अभी मारुति की विटारा ब्रेजा और एस-क्रॉस सिर्फ डीजल वर्जन में आती हैं। स्विफ्ट, बलेनो, डिजायर, सियाज और अर्टिगा के पेट्रोल और डीजल दोनों वर्जन हैं। कंपनी हल्के कॉमर्शियल वाहन सुपर कैरी का डीजल वर्जन भी बनाना बंद करेगी।कुल कार बिक्री में डीजल का हिस्सा सिर्फ 35%: बिक्री का ट्रेंड भी बदल रहा है। लोग डीजल के बजाय पेट्रोल गाड़ियां ज्यादा पसंद कर रहे हैं। 2016 में कुल कार बिक्री में 40% डीजल वाली थीं। 2018 में यह 35% रह गई।छोटी डीजल कारें ज्यादा प्रभावित होंगी
बीएस-6 के लिए पेट्रोल गाड़ियों में मामूली बदलाव करना होगा। लेकिन डीजल गाड़ियों में नई टेक्नोलॉजी की जरूरत होगी। छोटी डीजल कारें ज्यादा प्रभावित होंगी, क्योंकि 6 लाख की कार के दाम 50,000 से 1.5 लाख रुपए तक बढ़ जाएंगे। हर साल करीब 18 लाख छोटी कारें बिकती हैं।

गुरुवार, अप्रैल 04, 2019

‘यारा वे’ भारत पाक संबंधों को कुछ अलग अंदाज़ में दिखाने को तैयार


फिल्म में युवराज हंस, गगन कोकरी, मॉनिका गिल और रघवीर बोली मुख्य भूमिकाओं में आएंगे नज़र
हाल के कुछ सालों में फिल्मों में भारत पाक संबंधों को काफी नकारात्मक तौर पर पेश किया गया है।  हालाँकि एक फिल्म है जोकि दोनों देशों के बीच दोस्ती और प्रेम को उजागर करेगी।  ੧੯੪੦ के दशक में आधारित इस पीरियड ड्रामा यारा वे में युवराज हंस, गगन कोकरी, रघवीर बोली और मोनिका गिल मुख्य किरदारों में नज़र आएंगे।
लीड अदाकारों के अलावा इस फिल्म के अन्य स्टार कास्ट में योगराज सिंह, सरदार सोही, निर्मल ऋषि, हॉबी धालीवाल, मलकीत रॉनी, सीमा कौशल, बीएन शर्मा, गुरप्रीत कौर भंगू और राणा जंग बहादुर जैसे प्रतिभाशाली कलाकार भी मौजूद हैं। इसकी कहानी लिखी है रुपिंदर इंदरजीत ने।
गगन कोकरी, फिल्म के एक्टर ने कहा, "यारा वे एक बहुत अनोखा कांसेप्ट है और मुझे ख़ुशी है कि मैं इस फिल्म का हिस्सा हूँ।  यह एक पीरियड फिल्म है जो ऐसे समय में आधारित है जब लोग और रिश्ते बेहद पवित्र, साफ-दिल, अज़ीज़ और शर्तरहित होते थे।  हमें उम्मीद है कि हम उस समय के साथ न्याय कर पाएंगे जब भारत और पाकिस्तान के बीच प्रेम और दोस्ती थी।  लोग इस फिल्म में दर्शाये गए जज़्बातों से जुड़ाव ज़रूर महसूस करेंगे।
मॉनिका गिल, खूबसूरत अदाकारा ने भी अपने विचार साँझा करते हुए कहा, "यारा वे एक एक्टर के तौर पर शायद मेरे लिए सबसे सफल काम रहा है।  फिल्म की झलक और जज़्बात बेशक बहुत साधारण हैं पर उस समय को दिखाना बेहद मुश्किल था जिसके बारे में हमने सिर्फ अपने दादा-दादी से सुना है।  मुझे उम्मीद है कि लोग नसीबो के किरदार से जुड़ पाएंगे और ज़रूर पसंद करेंगे।
फिल्म के बारे में निर्देशक राकेश मेहता ने कहा, इस फिल्म में जज़्बात, ड्रामा, रोमांस और कॉमेडी का बेहतरीन मिश्रण है और यह भारत-पाक विभाजन के मुश्किल वक़्त में स्थापित है। भारत और पाकिस्तान के बीच हमेशा इतनी कड़वाहट नहीं थी और हमने उस समय को याद करने की कोशिश की है जब दोनों देशों के बीच भाईचारा था।  हमने उस समय को दिखाने की कोशिश की है और उम्मीद करते हैं कि यारा वे दर्शकों की अपेक्षाओं पर खरी उतरेगी।
यारा वे हमारा पहला प्रोजेक्ट है और हमने उसे सच्चाई के करीब रखने की भरपूर कोशिश की है।  मुझे राकेश मेहता जी के दृष्टिकोण और रिसर्च पर पूरा भरोसा है और सभी अदाकारों ने इस फिल्म के सेट पर शाट प्रतिशत मेहनत की है। मुझे यकीन है कि इस फिल्म को दर्शकों का प्यार ज़रूर मिलेगा और हम वादा करते हैं कि ऐसे ही कुछ अनोखे कांसेप्ट की फिल्में आगे भी रुपहले परदे पर लेकर आएंगे, बल्ली सिंह काकर, फिल्म के निर्माता ने कहा।
इस फिल्म का विश्व वितरण मुनीश साहनी के ओमजी ग्रुप ने किया है। यारा वे ੫ अप्रैल को सिनेमाघरों में रिलीज़ होगी।

मंगलवार, मार्च 05, 2019

ये नया भारत जो आत्मरक्षा में दे रहा है जवाब

वैश्विक राजनीति में भारत की बदलती भूमिका
ये वो नया भारत है जो पुराने मिथक तोड़ रहा है,
ये वो भारत है जो नई परिभाषाएं गढ़ रहा है,
ये वो भारत है जो आत्मरक्षा में जवाब दे रहा है
ये वो भारत है जिसके जवाब पर विश्व सवाल नहीं उठा रहा है ।
 पुलवामा हमले के जवाब में पाक स्थित आतंकी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक करने के बाद अब भारतीय सेना का कहना है आतंकवाद के खिलाफ अभी ऑपरेशन पूरा नहीं हुआ है। ये नया भारत है जिसने  एक कायराना हमले में अपने वीर जवानों को खो देने के बाद केवल उसकी कड़ी निंदा करने के बजाए उस  की प्रतिक्रिया की और आज इस नए भारत की ताकत को विश्व महसूस कर रहा है ।
 आज विश्व इस न्यू इंडिया को केवल महसूस ही नहीं कर रहा बल्कि स्वीकार भी कर रहा है। ये वो न्यू इंडिया है जिसने विश्व को आतंकवाद की परिभाषा बदलने के लिए मजबूर कर दिया । जो भारत अब से कुछ समय पहले तक आतंकवाद के मुद्दे पर विश्व में अलग थलग था आज पूरी दुनिया उसके साथ है। क्योंकि 2008 के मुंबई हमले के दौरान विश्व के जो देश इस साजिश में पाक का नाम लेने बच रहे थे आज पुलवामा के लिए सीधे सीधे पाक को दोषी ठहरा रहे है।अमेरिका से लेकर ब्रिटेन तक हर देश आतंकवाद को लेकर पकिस्तान के रुख की भर्त्सना कर रहा है  इतना ही नहीं जो अमेरिका और इरान अपनी अपनी विदेश नीति को लेकर अक्सर एक दूसरे के आमने सामने होते हैं आज उनकी पाक को लेकर एक ही नीति है  फ्रांस ने तो यहाँ तक कह दिया है कि पाक को अपनी सीमा में होने वाली आतंकवादी गतिविधियों पर लगाम लगनी चाहिए  जर्मनी और रूस के बयान भी इससे जुदा नहीं थे  और तो और जब पाकिस्तान ने भारत पाक तनाव का असर अफगान शांति प्रक्रिया पर पड़ने की बात कही तो अफगान सरकार ने पाक के झूठ को बेनकाब  करके खुलकर भारत का समर्थन किया दरअसल ये भारत की बहुत बढ़ी कूटनीतिक उपलब्धि है कि कल तक अन्तराष्ट्रीय मंच पर  जिस पाक प्रायोजित आतंकवाद को "एक देश का आतंकवादी दूसरे देश का स्वतंत्रता सेनानी है" कहा जाता था आज "आतंकवाद को किसी भी सूरत में सही नहीं ठहराया जा सकता" कहा जा रहा है । 
और ये इस न्यू इंडिया की बहुत बड़ी जीत है कि आज एक तरफ विश्व के ये देश उसके साथ हैं तो दूसरी तरफ ओआईसी यानी आर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक रिपब्लिक के 57 मुस्लिम देश भी आतंकवाद के मुद्दे पर पाक के नहीं बल्कि भारत के साथ हैं। हाल ही में ओआईसी के सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों के कॉन्क्लेव में भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का गेस्ट ऑफ ऑनर बनना और पाक का बॉयकॉट करना अपने आप में बहुत कुछ कहता है। ऐसे माहौल में चीन भी भारत में आतंकवाद को कश्मीर की आज़ादी की लड़ाई साबित करने के पकिस्तान के षड्यंत्र में पाक का साथ छोड़ने के लिए विवश हो रहा है। यह न्यू इंडिया की ही ताकत है कि सुयुंक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पुलवामा हमले के निंदा प्रस्ताव पर चीन को भी अपनी सहमति देनी पड़ी । क्योंकि हाल के समय में तेज़ी से बदलते हुए वैश्विक परिदृश्य में इस न्यू इंडिया ने विश्व में अपनी एक विशिष्ट पहचान और जगह दोनों बनाई है। जो भारत आज से कुछ सालों पहले तक दुनिया की नज़र में सांप सपेरों का देश था आज विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र और एक तेज़ी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है। जो भारत 1965 1971 और 1999 में कूटनीतिक रूप से कमजोर था आज वो इस मामले में अपना लोहा मनवा चुका है। जिस राजनैतिक तीव्रता से सम्पूर्ण विश्व ने सिर्फ पुलवामा हमले की निंदा ही नहीं की बल्कि पकिस्तान को दोषी ठहराया और भारत के आत्मरक्षा के अधिकार को अपना समर्थन दिया वो वैश्विक राजनीति में भारत की बदली हुई भूमिका बताने के लिए काफ़ी है।
ये बताने के लिए काफी है कि आज का भारत गांधी का अहिंसा वादी भारत नहीं बल्कि यह न्यू इंडिया है। ये वो भारत है जो अपने गुनहगारों का पीछा करते हुए खुद को सीमाओं में नहीं बंधता। वो सीमाओं के पार जाकर साज़िश के असली गुनहगारों को उनके अंजाम तक पहुंचाता है। लेकिन खास बात यह है कि एक देश की सीमा रेखा को पार कर के अपना बदल लेकर भी ये न्यू इंडिया यह स्पष्ठ संदेश देने में कामयाब होता है कि यह "हमला" नहीं है। ये वो न्यू इंडिया है जो दुनिया को यह समझाने में कामयाब हुआ है कि हम शांति चाहते हैं औरशांति के लिए हम युद्ध करने के लिए तैयार हैं। 
शायद इसीलिए वो भारत जो 1971 में जेनेवा समझौते के बावजूद 90000 पाक युद्ध बंदियों और जीते हुए पाक के हिस्से के बदले अपने 54 सैनिक वापस नहीं ले पाता आज पाक को 36 घंटे के भीतर अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते भारी घरेलू विरोध के बावजूद भारतीय पायलट बिना शर्त सकुशल लौटाने के लिए बाध्य कर देता है। ये नया भारत अपनी कूटनीति से पाक और उसके हर झूठ को दुनिया के सामने बेनकाब कर देता है। उस अमेरिका के साथ उसके रिश्ते की नींव ही हिला देता है जिसकी आर्थिक सहायता से उसकी अर्थव्यवस्था चलती है। ये वो न्यू इंडिया है जो बिना लड़े ही युद्ध जीत जाता है। और वो न्यू इंडिया जिसका पायलट मिग 21से f 16 को गिराने का हौसला और जज्बा रखता है एक बार फिर विश्व गुरु बनने के लिए तैयार है।
-डॉ. नीलम महेंद्र

बुधवार, फ़रवरी 27, 2019

समय है देश विरोधियो के चहरे से नकाब उतारने का

पुलवामा की आतंकवादी घटना के बाद से जिस प्रकार के कदम हमारी सरकार राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठा रही है उससे ना सिर्फ देश में एक सकारात्मक माहौल उत्पन्न हुआ है बल्कि इन ठोस कदमों ने  हमारे सुरक्षा बलों के मनोबल को भी ऊंचा किया है। लेकिन यह खेद का विषय है कि सरकार के जिन प्रयासों का स्वागत पूरा देश कर रहा है उनका विरोध देश की सबसे पुरानी राजनैतिक पार्टी कांग्रेस समेत जम्मू कश्मीर के स्थानीय विपक्षी दल कर रहे हैं। काश कि ये समझ पाते  कि इनका गैर जिम्मेदाराना और सरकार विरोधी आचरण देश विरोध की सीमा तक जा पहुंचा है । क्योंकि अपने राजनैतिक हितों के चलते इन लोगों ने कश्मीर समस्या को और उलझाने का ही  काम किया है।
 पाक परस्ती के चलते जो लोग यह कहते हैं कि युद्ध किसी समस्या का विकल्प नहीं होता उन्हें यह समझ लेना चाहिए कि युद्ध किसी समस्या का पहला विकल्प नहीं होता लेकिन अंतिम उपाय और एकमात्र समाधान अवश्य होता है। श्री कृष्ण ने भी कुरुक्षेत्र की भूमि पर गीता का ज्ञान देकर महाभारत के युद्ध को धर्म सम्मत बताया था। और जो लोग यह कहते हैं कि  1947 से लेकर आजतक कश्मीर के कारण भारत और पाकिस्तान में कई युद्ध हो चुके हैं तो क्या हुआ? तो उनके लिए यह जानना आवश्यक है कि हर युद्ध में हमारी सैन्य विजय हुई लेकिन राजनैतिक हार। हर युद्ध में हम अपनी सैन्य क्षमता के बल पर  किसी न किसी नतीजे पर पहुंचने के करीब होते थे लेकिन हमारे राजनैतिक नेतृत्व हमें किसी नतीजे पर पहुंचा नहीं पाए। यह वाकई में शर्म की बात है कि हर बार हमारी सेनाओं द्वारा पाकिस्तान को कड़ी शिकस्त  देने के बावजूद  हमारी सरकारें कश्मीर समस्या का हल नहीं निकाल पाईं। हर बार दुश्मन से सैन्य मोर्चे पर विजय प्राप्त कर लेने के बाद भी हम राजनैतिक और कूटनीतिक मोर्चे पर विफल रहे,  1948 में जब  हमारी सेनाएँ पाक फौज को लगातार पीछे खदेड़ने में कामयाब होती जा रही थीं तो कश्मीर मामले को संयुक्तराष्ट्र क्यों ले जाया गया? क्यों 1965 में हमें भारतीय सेना द्वारा पाक का जीता हुआ भू भाग वापस करना पड़ा। 1971 में जब पाक ने अपनी पराजय स्वीकार करी थी और भारतीय सेना के समक्ष 90000 हज़ार पाक सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया था तब संपूर्ण कश्मीर लेकर उसका स्थाई समाधान ना करके  शिमला समझौता क्यों किया गया?
इसे राजनैतिक इच्छा शक्ति का अभाव कहा जाए या मजबूरी?
कारण जो भी रहा हो लेकिन कहना गलत नहीं होगा कि हमारे द्वारा इतिहास में की गईं कुछ गलतियों की सज़ा पूरा देश आजतक भुगत रहा है खासतौर पर हमारी सेनाएँ और उनके परिवार। पहले जो पाकिस्तान आमने सामने से युद्ध करता था, अब आतंकवादियों के सहारे छिप कर वार करता है।
लेकिन इस बार भारत का नेतृत्व इस मुद्दे पर आरपार की निर्णायक लड़ाई के लिए अपनी इच्छा शक्ति जता चुका है जिसका स्वागत पूरे देश ने किया। लेकिन इसे क्या कहा जाए कि आज जब देश की हर जुबाँ पर पाकिस्तान को उसी की भाषा में जवाब देने की बात है तो महबूबा पाकिस्तान से बातचीत की वकालत करती हैं। जब घाटी में अलगाववाद को बढ़ावा देने वाले अलगाववादी नेताओं को गिरफ्तार किया जाता है तो वो विरोध करती हैं। 35A और 370 की बात आती है तो विरोध करती हैं। दरसअल इस प्रकार के नेता और उनके राजनैतिक स्वार्थ ही कश्मीर की समस्या के मूल में हैं। जब हमारे सैनिक इनकी रक्षा में शहीद होते हैं तब ये लोग आतंकवादियों से हथियार छोड़ कर बात करने के लिए क्यों नहीं कहते  इसके विपरीत जब हमारी सेना कार्यवाही करने लगती है तो ये बातचीत से मुद्दे का हल निकालने की बात करते हैं। जब हमारी सेनाओं पर पत्थरबाजी होती है तो इन्हें पत्थरबाज भटके हुए बच्चे लगते हैं लेकिन जब अपने बचाव में  इन पत्थरबाज़ों पर सेना कोई भी कार्यवाही करती है तो वो इन्हें सेना का अत्याचार दिखाई देता है। आखिर क्यों हमारे निहत्ते सैनिकों पर हमला करने वाले अब्दुल डार में इन्हें एक आतंकवादी नहीं एक भटका हुआ कश्मीरी दिखाई देता है। भले ही घाटी से  पंडितों को खदेड़ दिया गया हो और विरोध में इन्होंने एक शब्द ना बोला हो क्योंकि कश्मीर पर सिर्फ कुछ विशेष कौमों का अधिकार है लेकिन इनका पूरे देश पर अधिकार है। इनका अधिकार है कि भारत सरकार इनकी सुरक्षा करे लेकिन ये भारत की सुरक्षा में कोई योगदान नहीं देंगे। इनका अधिकार है कि जब कोई प्राकृतिक आपदा आए तो भारत सरकार इनकी मदद करे लेकिन जब भारत पर आपदा आए तो इनका कोई दायित्व नहीं। यह इनका अधिकार है कि भारत सरकार जम्मू कश्मीर के पृथक संविधान और ध्वज का सम्मान करें  लेकिन भारत के संविधान और ध्वज का अपमान कश्मीर में हो सकता है। यह इनका अधिकार है कि भारत सरकार कश्मीर की संप्रभुता की रक्षा करे लेकिन भारत की संप्रभुता से इन्हें कोई लेना देना नहीं। यह इनका अधिकार है कि एक कश्मीरी भारत में कही भी रह सकता है भारत सरकार उसकी सुरक्षा करे लेकिन पूरे देश की सुरक्षा करने वाले सैनिक खुद भी कश्मीर में सुरक्षित नहीं हैं। क्योंकि इनका मानना है कि इनकी सुरक्षा में  सुरक्षा बलों का शहीद हो जाना उनका फ़र्ज़ है और भारत सरकार से अपने लिए सहायता और सुरक्षा लेना इनका अधिकार है। लेकिन जिस सरकार से ये अपने लिए अधिकार मांगते हैं क्या उसके प्रति इनका कोई दायित्व नहीं है? जिस सेना से ये बलिदान मांगते हैं क्या उनके प्रति इनके कोई फ़र्ज़ नहीं है?   
इसलिए जरूरत है समय की नजाकत को समझा जाए। देशविरोधियों के चेहरों पर से नकाब हटाए जाएं।
अगर 370 और 35A संविधान से हटाना नामुमकिन है तो संविधान में  संशोधन करके एक और धारा जोड़ना तो मुमकिन हैतो एक नई धारा जोड़ी जाए कि हर भारतीय की तरह कश्मीर के लिए भी भारत के  संविधान ध्वज सेना और संप्रभुता का सम्मान और रक्षा सर्वोपरि होगी और भारत की अखंडता के खिलाफ किसी प्रकार की गतिविधि दंडनीय अपराध होगी। चूंकि कश्मीर भारत का ही अंग है इसलिए कश्मीर का ध्वज अकेले नहीं हमेशा भारत के ध्वज के साथ ही फहराया जाएगा। 
डॉ नीलम महेंद्र

रविवार, फ़रवरी 24, 2019

हरियाणा सरकार का प्रजा सुखे बजट

- कैप्टन अभिमन्यु ने हरियाणा सरकार का आखिरी बजट पेश किया। अभिमन्यु बोले- मुझे बड़े गौरव का अनुभव हो रहा है। कौटिल्य के अर्थशास्त्र के उद्धरण से प्रारम्भ करना चाहता हूँ -
प्रजा सुखे सुखं राजः प्रजानां च हिते हितम्।
नात्मप्रियं प्रियं राजः प्रजानां तु प्रियं प्रियम् ॥
प्रजा के सुख में सरकार का सुख है, प्रजा के हित में सरकार का हित है, प्रजा को जो प्रिय है, वही सरकार को प्रिय है।

शिक्षा
2019-20 में मौलिक और माध्यमिक शिक्षा के लिए कुल 12,307.46 करोड़ रुपये के परिव्यय का प्रस्ताव करता हूं, जो संशोधित बजट 2018-19 के 11,256 करोड़ रुपये पर 9.3 प्रतिषत की वृद्धि दर्षाता है। उच्च शिक्षा के लिए, मैं वर्ष 2019-20 के लिए 2,076.68 करोड़ रुपये के परिव्यय का प्रस्ताव करता हूँ, जो बजट अनुमान 2018-19 पर 17.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।

तकनीकी शिक्षा
2019-20 में तकनीकी षिक्षा विभाग के लिए 512.72 करोड़ रुपये के परिव्यय का प्रस्ताव, जोकि संशोधित अनुमान 2018-19 के 465.70 करोड़ रुपये पर 10.1 प्रतिषत की वृद्धि दर्शाता है।
सहकारिता
सरकार का वर्ष 2020-21 तक 750 करोड़ रुपये की कुल लागत से शाहबाद चीनी मिल में 60 केएलपीडी का एथनोल प्लांट लगाने और सहकारी चीनी मिल पानीपत और करनाल का आधुनिकीकरण करने का प्रस्ताव है। 2019-20 के लिए 1396.21 करोड़ रुपये के परिव्यय का प्रस्ताव जो बजट अनुमान 2018-19 के 802.07 करोड़ रुपये के परिव्यय से 74.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।
खेल एवं युवा मामले
अनुमान 2019-20 में खेल एवं युवा मामले विभाग के लिए 401.17 करोड़ रुपये की राशि आवंटित करने का प्रस्ताव, जोकि संशोधित अनुमान 2018-19 पर 13.9 प्रतिषत की वृद्धि दर्शाता है।
कृषि और संबद्ध क्षेत्र
- वर्ष 2018-19 में प्रथम चरण में 15,000 पंप और वर्ष 2019-20 में दूसरे चरण में 35000 पंप लगाने की योजना है। इन प्रयासों से हमारे किसान उपभोक्ता की बजाय बिजली उत्पादक और बिजली आपूर्तिकर्ता बनेंगे। राज्य सरकार ने इस वर्ष गन्ने के लिए 340 रुपये प्रति क्विंटल के मूल्य की घोषणा की है,जो एक बार फिर देश में अधिकतम है। पहली बार, किसानों को गन्ने की बकाया राशि के भुगतान के लिए 16 रुपये प्रति क्विंटल की सब्सिडी दी गई।

- किसानों के जोखिम को कम करने के लिए, सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को सफलतापूर्वक लागू किया है, जिसके तहत किसानों से लिए गए 406.27 करोड़ रुपये के प्रीमियम के विरूद्ध मुआवजे के रूप में पिछले तीन वर्षों में 1140.98 करोड़ रुपये की राशि वितरित की गई, जो बीमा कंपनियों को दिए गए 818.20 करोड़ रुपये के प्रीमियम से अधिक है। इसके अलावा, उदार नीति अपनाते हुए, सरकार ने प्राकृतिक आपदा से हुई फसल क्षति के लिए भी प्रति एकड़ 12000 रुपये का मुआवजा दिया है।

- कृषि एवं सम्बद्ध गतिविधियों के लिए बजट अनुमान 2019-20 में 3834.33 करोड़ रुपये के परिव्यय का प्रस्ताव करता हूँ, जोकि बजट अनुमान 2018-19 के 3670.29 करोड़ रुपये की तुलना में 4.5 प्रतिशत की वृद्धि है। इसमें कृषि क्षेत्र के लिए 2210.51 करोड़ रुपये, पशुपालन के लिए 1026.68 करोड़ रुपये, बागवानी के लिए 523.88  करोड़ रुपये, और मत्स्य पालन के लिए 73.26 करोड़ रुपये का परिव्यय शामिल है।
- वर्ष 2017-18 में, कंपनी अधिनियम, 1956 के तहत पंजीकृत 22 सार्वजनिक उपक्रमों में से 18 उपक्रमों ने षुद्ध लाभ अर्जित किया, जबकि वर्श 2013-14 में 13 सार्वजनिक उपक्रम लाभ की स्थिति में थे। वर्ष 2017-18 में इन 18 उपक्रमों द्वारा अर्जित लाभ 1116.16 करोड़ रुपये था। घाटे में रहने वाले सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की संख्या वर्ष 2013-14 के 9 से कम होकर वर्ष 2017-18 में 4 रह गई।  राज्य के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का सकल घाटा वर्ष 2017-18 में कम होकर 19.89 करोड़ रुपये रह गया।

- इसी प्रकार, सहकारी समितियां अधिनियम, 1984 के तहत पंजीकृत 19 सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों ने भी सुधार के लक्षण दर्षाए हैं। लाभ कमाने वाले सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की संख्या 2013-14 में पांच से बढ़कर 2017-18 में सात हो गई और इसी अवधि के दौरान उनका लाभ 72.91 करोड़ रुपये से बढ़कर 132.20 करोड़ रुपये हो गया।

कैप्टन अभिमन्यु ने कहा कि पांच एकड़ तक की भूमि के काश्तकार किसान परिवारों और असंगठित क्षेत्र में लगे श्रमिकों के परिवारों, जिनकी मासिक आय 15,000 रुपये से कम है, को वित्तीय एवं सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए नई स्कीमें घोषित करते हुए मुझे बड़ा गर्व हो रहा है। किसानों के मामले में यह भारत सरकार द्वारा घोशित प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) स्कीम के अलावा होगी। माननीय अध्यक्ष महोदय इस बजट में इन स्कीमों के लिए 1500 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है।

हरियाणा सरकार ने, पहली बार कॉरपोरेट सैलरी पैकेज के तहत सरकारी कर्मचारियों को कई लाभ प्रदान करने के उद्देष्य से बैंकों के साथ बातचीत करके एक अनूठी पहल की है। इस योजना के तहत, कर्मचारियों की प्राकृतिक मृत्यु होने पर 2 लाख रुपये देना, 50,000 रुपये की चिकित्सा सुविधा और 30 लाख रुपये तक का दुर्घटना बीमा जैसे कई लाभ प्रदान करने के लिए चार बैंकों-एसबीआई, एचडीएफसी, पीएनबी और हरको बैंक को चुना गया है।

राजस्व एवं आपदा प्रबंधन
सरकार ने नम्बरदारों का मानदेय भी 1500 रुपये प्रतिमाह से बढ़ाकर 3000 रुपये प्रतिमाह करने तथा उन्हें एक मोबाइल फोन देने का भी निर्णय लिया है। कैथल, जींद और सोनीपत में आधुनिक रिकॉर्ड रूम स्थापित किए गए हैं। अब हम सभी जिलों और राज्य मुख्यालय तक इस पहल का विस्तार कर रहे हैं। 2019-20 में 1512.42 करोड़ रुपये आवंटित करने का प्रस्ताव जो बजट अनुमान 2018-19 के 1053.95 करोड़ रुपये की तुलना में 43.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।

स्वास्थ्य
हरियाणा सरकार 63 अस्पतालों, 125 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों, 509 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और 2,636 उप-स्वास्थ्य केंद्रों, 7 ट्रॉमा सेंटर, 3 बर्न केयर यूनिट्स और 57 शहरी औषधालयों/पॉलीक्लिनिक्स के विषाल नेटवर्क के माध्यम से सभी नागरिकों को गुणवत्तापरक स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया करवाने के लिए प्रतिबद्ध है।

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण
वर्ष 2019-20 में 5,040.65 करोड़ रुपये आवंटित करने का प्रस्ताव करता हूँ, जोकि वर्ष 2018-19 के 4,486.91 करोड़ रुपये के संशोधित अनुमान परिव्यय पर 12.3 प्रतिशत की वृद्धि है। प्रस्तावित परिव्यय में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के लिए 3,126.54 करोड़ रुपये, चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान के लिए 1,358.75 करोड़ रुपये, आयुष के लिए 337.2 करोड़ रुपये, कर्मचारी राज्य बीमा स्वास्थ्य देखभाल के लिए 172.49 करोड़ रुपये और खाद्य एवं औषध प्रशासन के लिए 45.67 करोड़ रुपये शामिल हैं।

शुक्रवार, फ़रवरी 15, 2019

पाक के खिलाफ भारत के जंगी जवाब का देशवासियों को इंतजार

 पुलवामा आतंकी हमले में 44 जवानों की शहादत के बाद सीआरपीएफ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान को जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी है।  सरकार ने पाकिस्तान का मोस्ट फेवर्ड नेशन (एमएफएन) का दर्जा खत्म कर दिया।  जैश ए मोहम्मद ने पुलवामा हमले की जिम्मेदारी ली है। भारत सरकार आतंकी मौलाना मसूद अजहर के खिलाफ कार्रवाई के लिए पाकिस्तान पर दबाव बना रही है। लेकिन चीन यहां पर पाकिस्तान के साथ खड़ा हो गया। मोदी ने कहां कि जल्द ही जवाब देंगे और सोशल मीडिया पर जनता भी उस जवाब का कर रही है इंतजार।
नमन तुम्हें, पुलवामा के शहीदों 

1- रोहिताश लांबा
शहीद रोहिताश लांबा राजस्‍थान के अमरसर थाना इलाके के गोविंदपुरा के निवासी थे। वह सिर्फ दो साल पहले ही सेना में भर्ती हुए थे। शहीद रोहिताश की साल भर पहले ही शादी हुई थी। वह शनिवार को छुट्टी बिताकर वापस जम्मू-कश्मीर ड्यूटी पर लौटे थे। रोहिताश अपने पीछे पत्नी और दो महीने की बच्ची छोड़ गए हैं। जानकारी के अनुसार, शहीद के भाई को सीआरपीएफ के अधिकारियों ने शहादत की सूचना दी।

2- नारायण गुर्जर
पुलवामा हमले में राजसमन्द का भी एक लाल नारायण गुर्जर शहीद हुआ है। जिले के कुंवारिया थाना इलाके के बिनोल गांव के नारायण गुर्जर इस हमले में शहीद हो गए हैं। शहीद की पत्नी और उनके दो मासूम बच्चों को अभी इसकी जानकारी नहीं दी गई है। नारायण गुर्जर बचपन में ही अपने माता-पिता को खो चुके थे। शहरभर में लोग शहीद को श्रद्धाजंलि दे रहे हैं।

3- जीतराम गुर्जर
कश्‍मीर में हुए इस आतंकी हमले में राजस्‍थान के भरतपुर का एक सपूत भी शहीद हुआ है। जिले के नगर इलाके के सुंदरावली गांव का लाडला जीतराम गुर्जर हमले में शहीद हो गया। लाडले की शहादत की सूचना से सुंदरावली गांव पूरी तरह से गमगीन है।

4- अजीत कुमार आजाद
उत्‍तर प्रदेश उन्नाव के लोकनगर मोहल्ला निवासी प्यारेलाल का 35 वर्षीय बेटा अजीत कुमार आजाद 115वीं बटालियन में सीआई के पद पर तैनात था। देर रात जब शहादत की खबर आई तो मां राजवती, पत्नी मीना व बेटियों ईशा और श्रेया की मानो दुनिया उजड़ गई। सभी का रो-रोकर बुरा हाल है।

5- प्रदीप सिंह यादव
उत्‍तर प्रदेश के कन्नौज के तिर्वा के सुखचैनपुर निवासी जवान प्रदीप सिंह यादव भी 115वीं बटालियन में तैनात था। प्रदीप की पत्नी नीरज का रो-रोक बुरा हाल है। उनकी दो बेटी सुप्रिया यादव और सोना यादव को अपने पिता की शहादत पर गर्व है।

6- कौशल कुमार रावत
आगरा के ताजगंज इलाके के कहरई गांव के जवान कौशल कुमार रावत पुलवामा हमले में शहीद हुए हैं। मां धन्नो देवी, भाई कमल किशोर और पूरा परिवार बेहाल हो गया। कौशल कुमार रावत का बेटा गुनगांव से पढ़ाई कर रहा है। चार दिन पूर्व ही ड्यूटी जॉइन करने कश्मीर गए थे।

7- महेश कुमार
प्रयागराज के तुड़ीहर बदल गांव निवासी महेश कुमार 118 बटालियन में तैनात थे। इस हमले में महेश भी शहीद हुए हैं। महेश के दो बच्चे साहिल पांच साल व समर छह साल का है। पिता राजकुमार यादव ऑटो चालक हैं। पांच दिन पहले ही वह यहां आए थे। बीते मंगलवार को ही वह जम्मू-कश्मीर के लिए यहां से रवाना हुए।

8- प्रदीप कुमार
शामली के बनत निवासी प्रदीप कुमार के घर में कोहराम मचा हुआ है। वे भी इस हमले में शहीद हुए हैं। वह 21 वीं बटालियन में तैनात थे। शहीद प्रदीप कुमार के परिवार में तीन भाई और एक बहन है। प्रदीप के एक बेटा और एक बेटी है, जो पढ़ाई कर रहे हैं। आईटीबीपी में तैनात बड़े भाई संजय का कहना है कि, देश को इसका बदला लेना चाहिए, सर्जिकल स्ट्राइक की एक बार और जरूरत है।

9- रमेश यादव
वाराणसी के तोफापुर बराइन गांव निवासी रमेश यादव भी पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुए हैं। रमेश की शादी 4 साल पहले रेणु से हुई थी, डेढ़ साल का एक बेटा है।एक भाई प्राइवेट नौकरी मुम्बई में करता है। बहन सरोज के मुताबिक, रमेश ने कहा था होली पर आएंगे, गांव में होली खेला जाएगा। सपना टूटा नहीं, बिखर गया। पिता श्याम नारायण ने रो रो कर कहा- मेरे बेटे को धोखे से गद्दारों ने मारा, सामने से तो वह 15 पर भारी पड़ता।

10- श्याम बाबू
कानपुर देहात के डेरापुर थाना के रैगवा के रहने वाले श्याम बाबू शहीद हो गए। बीए प्रथम वर्ष की पढ़ाई करते हुए ही 2007 में उन्होंने सीआरपीएफ ज्वॉइन किया था। श्याम लाल के दो बच्चे हैं। एक लड़का 4 वर्ष का और एक लड़की पांच माह की है।

11- अमित कुमार
शामली के मोहल्ला रेपार निवासी अमित कुमार भी पुलवामा हमले में शहीद हुए हैं। अमित दो साल पहीले सीआरपीएफ में नियुक्त हुए थे। अमित अपने छह भाई-बहनों में सबसे छोटा भाई था। अमित के पापा स्थानीय व्यापारी के पास मुनीम का कार्य करते हैं। शहीद अमित के बड़े भाई का कहना है कि, हम लोगों को शुक्रवार सुबह करीब 7:30 बजे फोन करके सूचना दी गई। घटना के बाद से पूरे परिवार में कोहराम मचा हुआ है

12- विजय मौर्या
देवरिया के भटनी थाना इलाके के छपिया जयदेव निवासी विजय मौर्या सीआरपीएफ के 92 बटालियन में तैनात थे। गुरुवार देर रात जब शहादत की खबर आई तो पूरे गांव में मातम छा गया।

13- पंकज त्रिपाठी
महाराजगंज के रहने वाले जवान पंकज त्रिपाठी भी पुलवामा हमले में शहीद हुए हैं। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। पंकज परिवार में सबसे बड़े बेटे थे। पिता ओम प्रकाश ने बताया कि पंकज की शादी छह साल पहले हुई थी। उसके चार साल का बेटा है। वह बाबा के देहांत पर आया था और चार दिन पहले ड्यूटी पर गया था।

14- अवधेश यादव
चंदौली के मुगलसराय इलाके के बहादुरपुर गांव निवासी अवधेश यादव 2006 में सीआरपीएफ में नियुक्त हुए थे। वर्तमान में उनकी तैनाती 45वीं बटालियन में थी। चार भाई-बहनों में सबसे बड़े अवधेश पुलवामा हमले में शहीद हो गए। उनकी तीन साल पहले शादी हुई थी। दो साल का बच्चा है। उनकी मां कैंसर से पीड़ित हैं।

15- राम वकील
मैनपुरी के बरनाहल स्थित गांव विनायकपुर के सैनिक राम वकील 10 फरवरी को ही छुट्टी बिताकर वापस लौटे थे। पत्नी गीता से वादा करके गए थे कि वापस लौटकर आऊंगा, मुझे अपना मकान बनवाना हैं। रामवकील के तीन छोटे बच्चे हैं। रामवकील के बच्चे इटावा के केंद्रीय विद्यालय में पढ़ते हैं। इनका परिवार अपने नाना नानी के साथ रहता है। जैसे ही शहीद होने खबर परिवार को लगी तो पत्नी, बच्चों व परिजनों का रो रो करके बुरा हाल है। घर मे मातम छा गया है। शहीद की शादी 15 वर्ष पहले हुई थी।

16- विजय सोरेंग
झारखंड के गुमला के बसिया के फरसमा गांव के निवासी विजय सोरेंग इस हमले में शहीद हो गए. वो अपने पीछे दो बच्चे और तीन बच्चियां छोड़ गए हैं. एक फरवरी को विजय सोरेंग अपने घर छुट्टी पर आए थे। रांची के डीआइजी होमकर ने इस बात की जानकारी दी है.

17- संजय कुमार सिन्हा
बिहार के मसौढ़ी के संजय कुमार सिन्हा भी पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हो गए हैं। उनकी उम्र 45 वर्ष थी. संजय कुमार सिन्हा 8 फरवरी को घर आए थे और 15 दिन बाद वो अपनी बेटी की शादी के लिए फिर से घर आने वाले थे। संजय कुमार सिन्हा के परिवार में कोहराम मच गया है और इलाके में सन्नाटा पसर गया है। शहीद संजय कुमार सिन्हा जो बतौर हेड कांस्टेबल के देश की सेवा कर रहे थे, उनकी शहादत की खबर मिलते ही उनके परिवार में भी मातम पसर गया है। पास-पड़ोस के घरों में आज चूल्हे भी नहीं जले हैं। संजय के पिता महेंद्र प्रसाद सीआरपीएफ की 176वीं बटालियन में तैनात थे।

18- रतन कुमार ठाकुर
बिहार के भागलपुर के रतन कुमार ठाकुर शहीद हो गए। रतन कुमार ठाकुर 2011 के बैच के 45 बटालियन में कॉन्सेटेबल के पद पर तैनात थे. रतन कुमार की पत्नी मां बनने वाली हैं और इसलिए उन्हें अभी तक इस बात की जानकारी नहीं दी गई है. भागलपुर के शहीद रतन ठाकुर का परिवार मूल रूप से कहलगांव के आमंडंडा थाना के रतनपुर गांव का रहने वाला है। घर में पत्नी राजनंदिनी देवी और चार साल का बेटा कृष्णा है। राजनंदिनी फिर से मां बनने वाली हैं तो वहीं संजय कमार सिन्हा ने बताया कि हर शाम वो फोन करता था पिता निरंजन कुमार ठाकुर ने कहा शाम को बेटे के फोन का इंतजार हो रहा था तब तक उधर से सात बजे उसके शहादत की खबर आई। खबर के सुनते ही पूरे घर में कोहराम मच गया।

19- सुदीप बिस्वास
पश्चिम बंगाल के नाडिया जिले के हंसपुकुरिया गांव के रहने वाले सुदीप बिस्वास इस हमले के बाद लापता बताए जा रहे हैं।

20- राठौड़ नितिन शिवाजी 
पुलवामा में सुरक्षाबलों पर हुए कायराना हमले में महाराष्ट्र के बुल्ढाना शहर की तहसील लोनार के चोरपांगरा गांव के निवासी राठौड़ नितिन शिवाजी पुलवामा हमले में शहीद हो गए।

21- भागीरथ सिंह 
पुलवामा हमले में भागीरथी सिंह भी शहीद हो गए। राजस्थान के जिले ढोलपुर में जैतपुर के रहने वाले थे।

22- वीरेंद्र सिंह 
उत्तराखंड के उधमसिंह नगर जिले के मोहम्मद पुर भूरिया गांव में रहने वाले वीरेंद्र सिंह भी आतंकी हमले में शहीद हो गए।

23- कुलविंदर सिंह 
कुलविंदर सिंह पुलवामा हमले में शहीद हो गए। वह पंजाब के आनंदपुर साहिब के रौली गांव के रहने वाले थे।

24- मनेश्वर बासुमतारी 
मनेश्वर बासुमतारी भी आतंकी हमले में शहीद हो गए। वह असम के बासका जिले के कलबारी गांव के रहने वाले थे।

25- मोहन लाल 
उत्तराखंड के मोहन लाल भी इस हमले में शहीद हो गए। वह उत्तरकाशी के बानकोट गांव के रहने वाले थे।

25- नसीर अहमद 
नसीर अहमद भी इस हमले में शहीद हो गए। वह जम्मू-कश्मीर के रजौरी जिले से डोडासनबाला के रहने वाले थे।

26-जयमाल सिंह 
पुलवामा हमले में शहीद हुए जयमाल सिंह पंजाब के मोगा जिले के कोटइसेखां के रहने वाले थे। बताया जा रहा है कि जिस पर बस पर हमला हुआ उसे जयमाल ही चला रहे थे।

27-सुखजिंदर सिंह 
सुखजिंदर सिंह भी हमले में शहीद हो गए। वह पंजाब के तरनतारन जिले के गंडीविंड के रहने वाले थे।

28- तिलक राज 
तिलक राज पुलवामा हमले में शहीद हो गए। वह हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के ढेवा गांव के रहने वाले थे।

29- वसंत कुमार वीवी 
वसंत कुमार वीवी भी इस हमले में शहीद हो गए। वह केरल के वायानाड जिले के रहने वाले थे।

30- सुब्रमण्यम जी 
सुब्रमण्यम जी आतंकी हमले में शहीद हो गए। वह तमिलनाडु के तूतिकोरिन जिले के सबलापेरी गांव के रहने वाले थे।

31- गुरु एच 
गुरु एच पुलवामा हमले में शहीद हो गए। वहकर्नाटक के मांड्या जिले के गुड़िगेरे गांव के रहने वाले थे।

32- मनोज कुमार बेहरा 
मनोज कुमार बेहरा इस हमले में शहीद हो गए। वह ओडिशा के कटक के रतनपुर गांव के रहने वाले थे।

33- हेमराज मीणा 
राजस्थान के रहने वाले हेमराज मीणा भी इस हमले में शहीद हो गए। वह कोटा के विनोद कालन गांव के रहने वाले थे।

34- पीके साहू 
ओडिशा के जगतसिंह पुर जिले के रहने वाले पीके साहू भी इस हमले में शहीद हो गए।

35- संजय राजपूत 
महाराष्ट्र के बुल्ढाना जिले के लखनी प्लॉट गांव के निवासी संजय राजपूत भी शहीदों में शामिल हैं।

36- मनिंदर सिंह अटरी 
पंजाब के गुरदासपुर जिले आर्य नगर गांव के रहने वाले मनिंदर सिंह भी हमले में शहीद हो गए।

37- बबलू संतरा 
पश्चिम बंगाल के हावड़ा जिले के पश्चिमी बउरिया निवासी बबूल संतरा भी इस हमले में शहीद हो गए।

38- अश्विनी कुमार काउची 
मध्य प्रदेश के जबलपुर निवासी अश्वनी कुमार भी इस हमले में शहीद हो गए। वह जबलपुर के कुदावल के रहने वाले थे।

जवान, जो लापता बताए जा रहे हैं

1- शिवचंद्रन सी
तमिलनाडु के अरियालपुर जिले के करगुड़ी गांव के निवासी शिवचंद्रन सी इस हमले के बाद से लापता हैं।

2- गोपाल सिंह किरूला
उत्तराखंड के अल्मोड़ा के बांद्रा गांव के रहने वाले गोपाल सिंह किरूला इस हमले में लापता बताए जा रहे हैं

यहां खाकी बदनाम :- नशा तस्करों से मोटी रकम वसूलने वाले सहायक थानेदार और सिपाही नामजद, दोनों फरार

यहां खाकी बदनाम :- नशा तस्करों से मोटी रकम वसूलने वाले सहायक थानेदार और सिपाही नामजद, दोनों फरार एसटीएफ की कार्रवाई में आरोपियों से...