गुरुवार, सितंबर 26, 2019

प्राइवेट डॉक्टर नशेड़ियों को नहीं दे सकेंगी दवा, ओट केंद्र से सस्ती मिलेगी दवा : मंत्री


पंजाब के सेहत मंत्री बलबीर सिंह सिद्धृ से नशे की रोकथाम को लेकर हुई, मेरी बातचीत के अंश पढ़ें…
सवाल : आपकी सरकार नशे का खात्मा करने के वादे के साथ आई थी, अब इसमें कितना बदलाव आया है? 
·         जवाब : ड्रग के बड़े तस्कर हमने पकड़कर अंदर कर दिए और हजारों केस दर्ज किए हैं। सीमा पार से आने वाले नशे पर भी अब धीरे-धीरे नकेल कसी जा रही है। इसमें केंद्र की मदद से पकड़ी जा रही है। पिछली सरकार ने बजाए इनपर नकेल कसने के इनको प्रश्रय देकर रखा। अब जब बड़े तस्कर पकड़े गए तो उसमें पिछली सरकार की मिलीभगत सामने आई है। हमारी सरकार ने इन पर नकेल कसी है। पुलिस अफसरों पर भी केस किए हैं। केवल सरकार इस पर अकेले नकेल नहीं कस सकती, इसमें सबका साथ चाहिए।
·         सवाल : मनोचिकित्सकों की काफी कमी है।सरकारी अस्पतालों और निजी केंद्रों में केवल 130 मनोचिकित्सक हैं, जबकि आवश्यकता 300 की होती है। इसका हल क्यों नहीं हुआ?
·         जवाब : हम दैनिक आधार पर मनोचिकित्सकों की भर्ती पर काम कर रहे हैं। सरकार ने क्षेत्रवार वेतन भी तय कर रखा है। फिर भी डॉक्टरों का प्राइवेट की तरफ रुझान ज्यादा रहा है। इससे हालात में काफी सुधार आया है।
·         सवाल : सरकारी डॉक्टर प्राइवेट अस्पतालों का रुख कर रहे हैं, सरकार उन्हें रोकने में क्यों नाकाम रही है?
·         जवाब : सरकार लोगों के लाभ के लिए है, लेकिन अगर लोग भगवान के बाद किसी पर भरोसा करते हैं तो वह डॉक्टर है। क्योंकि दुनिया बहुत व्यवसायिक हो गई है हर कोई पैसे के पीछे भाग रहा है। डॉक्टर निजी अस्पतालों की ओर भाग रहे ,हैं क्योंकि वहां चमक-दमक ज्यादा है, जबकि सरकारी अस्पताल आम होते हैं। कई तरह के डॉक्टर हैं,  कुछ वास्तव में अच्छी तरह से लोगों की सेवा कर रहे हैं।
·         सवाल : पॉलिसी के मामले में हम एक्सपर्ट डॉक्टर्स एम्ज से उनकी मदद क्यों नहीं लेते? डॉ सतीश और डॉ अतुल आंबेकर जैसे सीनियर डॉक्टर्स का बयान है कि सरकार प्राइवेट सेक्टर को सही तरीके से डील नहीं कर रही है?
·         जवाब: मुझे आपके जरिए इस बारे में पता है। हम इनसे भी टाइअप करेंगे।
·         सवाल : पंजाब सरकार मरीज के इलाज में लचीलापन रुख क्यों नहीं अपनाती? 7-7- दिन के बाद अगर मरीज नहीं आता है, तो उसकी खोज खबर क्यों नहीं ली जाती। सरकार उलटा मरीज पर ही केस डालने की बात करती है, जबकि समझाइश से उसे मुख्य धारा में लाया जा सकता है?
·         जवाब: जो बच्चे इस ओर चल पड़े हैं, हम उनकी पहचान गुप्त रखते हुए इलाज कर रहे हैं। उन्हें समझाइश की कोशिश कर रहे हैं। उन्हें भरोसे में लेकर सही रास्ते पर लाने की कोशिश कर रही है। सीएम की प्राथमिकता नशा मुक्त पंजाब करना है। इस दिशा में हम काम कर रहे हैं।
·         सवाल : 7 लाख 20 हजार मरीज हैं पंजाब में, अब तक केवल 2 लाख का इलाज ही हुआ है, यानी केवल एक तिहाई तक ही पहुंचे। लेकिन इस संख्या को बढ़ाया क्यों नहीं जा रहा है?
·         जवाब: नशा कई तरह का है। चिट्‌टा, अफीम या छोटा मोटा नशा करने वाले है। इस वजह से नशेड़ियों की संख्या ज्यादा हो जाती है, लेकिन असल में वो 2 लाख 10 हजार ही जिन पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है।
·         सवाल : दवा का स्टॉक ओट क्लीनिक के साथ-साथ ज्यादा से ज्यादा प्राइवेट संस्थाओं तक क्यों नहीं पहुंचाया जा रहा ? ब्यूपेरोनोफीन की सप्लाई को कुछ हाथों तक ही क्यों सीमित रखा गया है?
·         जवाब: ओट क्लीनिक की संख्या बढ़ाने जा रहे हैं। हमने जांच की है कि प्राइवेट सेक्टर में कुछ डॉक्टर इसका गलत इस्तेमाल कर रहे हैं, हम उन पर धीरे-धीरे शिकंजा कसेंगे। सरकारी इलाज को बढ़ावा देंगे। प्राइवेट डॉक्टर नशेड़ियों को नहीं दे सकेंगे दवा, ओट केंद्र से सस्ती मिलेगी दवा।
·         सवाल : मेरी जांच में सामने आया है कि स्टॉक से ज्यादा दवाएं मरीज को दी जा रही हैं?
·         जवाब: मैं सभी फाइलों का रिव्यू कर रहा हूं और जो मेरी सोच है वो ये है कि बजाए नशा मुक्ति केंद्र के स्थान पर हम पुनर्वास केंद्र बनाएंगे जो मेरा सपना है। पंजाब में हम ऐसे चार-पांच पुनर्वास केंद्र स्थापित करेंगे, जो पांच एकड़ का होंगे। बच्चों की पढ़ाई, खेल, रिक्रेशन रूम होंगे। देश-दुनिया के अच्छे सेलीब्रेटी बुलाकर इन बच्चों को प्रोत्साहित करेंगे। ऐसे बच्चों को हम बिजी रखना चाहेंगे। इन्हें काउंसलिंग की ज्यादा जरूरत है। प्राइवेट अस्पतालों ने इसे गोलियां बेचने का धंधा बना लिया है। मनोचिकत्सिक पक्का हो, उसकी पर्ची पर दवा देनी होगी, कितनी देनी है ये भी तय होगा। नहीं तो ऐसे डॉक्टर पर भी कार्रवाई होगी।
·         सवाल : डॉक्टर लॉबी में चर्चा है कि पूर्व सेहत मंत्री ब्रह्म मोहिंदरा और सेहत सचिव सतीश चंद्रा को इसलिए सीएम ने बदला कि वे दवा माफिया पर नकेल डालने में असफल रहे हैं? अभी तक आपने इस धंधे की सबसे बड़ी मछली(एक डॉक्टर दंपति) को नहीं हटाया है, जबकि पूरा मंत्रालय बदला जा चुका है?
·         जवाब : पिछले हफ्ते राष्ट्रीय प्राइस कंट्रोल के चेयरमैन के साथ मुलाकात हुई है। लोगों को बाजिव रेट पर दवा मिलेगी। आपने जो नाम बताएं है, वो सिर्फ ये ही ऐसे कई लोग हैं, हम उन्हें रोकेंगे, उनका रिव्यू कर रहा है। सीएम साहब तय करते हैं कि किसे क्या विभाग देना है। ब्रह्म मोहिंदरा चूंकि उम्रदराज थे, लेकिन मैं युवा हूं और कई दौरे कर चुका हूं। दौरे करके निजी नशा मुक्ति केंद्रों की खुद जांच करुंगा।
·         सवाल : हमारे संपर्क में ऐसे कई डॉक्टर आए हैं, जिन्होंने कहा कि डॉक्टर अमित  के सूबे में कई नशा मुक्ति केंद्र हैं। उन्होंने अपने एजेंट छोड़ रखे हैं, जो दूसरे डॉक्टरों के मरीजों को बरगलाकर ले जाते हैं?
·         जवाब: एक डॉक्टर के नाम पर केवल एक ही नशा मुक्ति सेंटर ही चलेगा, वो 24 घंटे वहां मौजूद रहेगा। किसी डॉक्टर के नाम पर एक से अधिक निजी नशा मुक्ति केंद्र मिले तो उसका लाइसेंस कैसिंल कर देंगे। इसकी अनदेखी सरकार बर्दाश्त नहीं करेगी। अब जो भी ऐसे केंद्र चल रहे हैं, हम उनका रिव्यू करके उसे भी कैंसिल कर सकते हैं।
·         सवाल : पंजाब सरकार निजी नशामुक्ति और पुनर्वास केंद्रों की स्थापना के लिए प्रोत्साहित कर रही थी। निजी केंद्र नियमों का पालन सुनिश्चित करें इसके लिए क्या किया जा रहा है?
·         जवाब : शायद पिछली सरकार को लगता था कि हम हरेक तक नहीं पहुंच सकते, शायद इसलिए इसे लागू किया गया था। लेकिन हम पिछली सरकार के इस नियम को बदलने जा रहे हैं। हम चिंतिंत हैं, लोगों को सहूलियत देंगे।
·         सवाल : पंजाब स्टेट हेल्थ मेंटल केयर रूल 2019 को लागू करने में देरी क्यों लगी रही है?
·         जवाब : इसमें समय लग रहा है, हम इसे लागू करके रहेंगे। हम इसमें कोई ढील नहीं बरतेंगे। नई योजनाएं लांच करने के लिए हम अलग-अलग जिले चुन रहे हैं। पंजाब के सभी लोगों को लामबंद करना हमारा मकसद है। समाज ऐसे बच्चों से नफरत की बजाए प्यार करे ताकि वे मुख्य धारा में लौट सकें।
·         सवाल : आखिरी सवाल दवा माफिया पर नकेल कैसे कसेंगे?
·         जवाब : एक दवा माफिया नहीं, कई जगह मरीजों से लूट हो रही है। हर सरकारी अस्पताल में हम एक जनऔषधि सेंटर खोलने जा रहे हैं ताकि दवा माफिया पर नकेल लगा सकें। दिल्ली मीटिंग का उद्देश्य मेरा यही था। दवा पर एमआरपी का रेट ज्यादा लिखा रहता है। इस धोखे को हम खत्म करना चाहते हैं। 60 फीसदी इनके दवा में रेट का फर्क है। बतौर मंत्री मैं खुद फैक्टरी, बैरियर और लोगों को मिलने वाले दवा बिल की भी जांच करुंगा। इससे जरूरी दवा के तहत लाना हमें मकसद है ताकि मरीजों को उचित दर पर दवा मिल सके।

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